तहसील प्रमुख // हरीशंकर कदम (बुदनी // टाइम्स ऑफ क्राइम)
तहसील प्रमुख से सम्पर्क 90986 76150
toc news internet channal
पनपता तो जस्वा दिलों में देश के लिए कुछ कर गुजरने का कदम चूमती थी मंजिले न डर था किसी फंसाने का अब न तमन्ना है कोई सरफरोसी की दिलों में यारो भ्रष्टाचारी वृक्ष से टपकता है लालच देश प्रेम भुलाने का
भ्रष्टाचार बंद करो भ्रष्टाचार पर नया विधेयक पारित होना चाहिए ये तमाम बातों में भी एक नया भ्रष्टाचार जन्म लेता है कहने का मतलब यह नही कि आज कल लोगों के दिलो में देश प्रेम की भावना नही है देश मर मिटने का जज्बा आज भी है और आगे भी रहेगा पंरतु कुछ मतलब परस्त ताकतों के भय से देश प्रेम का जज्वा दिल में दब गया है वह लोगों के दिलों में एक लाबा की तरह धदक रहा है जिस दिन भी यह ज्वालमुखी फूटेगा उस दिन भ्रष्टाचारी राक्षस का अंत निश्चित है अंग्रेजी नीति आज भी हमारे कल्चर पर भारी है समाज के नाम पर हमारा एक बडा समुदाय भिन्न भिन्न भागो में वटा है यह हिन्दुत्व की एक बहुत बड़ी कमजोरी रही है इस कमजोरी का विदेशी ताकतों के साथ साथ मतलब परस्त नेताओं द्वारा समय समय पर लाभ उठाया यह एक दुर्भाग्य पूर्ण समय रहा है फला वर्ग के पांच लेाग ओर फला वर्ग के बीस लोग आज फला वर्ग के समाज का वहुत बड़ा परिचय सम्मेलन है कोई बात नही हम कल अपनी समाज का बहुत बड़ा समाज सम्मेलन करेगे। समाज का उत्थान अति उत्तम है यह भावना लोगो के मन में कुटका पैदा करती है दिलों की दूरिया बड़ाती है नफरत की खाई को गहरी करती है। समाज का उत्थान अच्छा है लेकिन प्रतिस्पर्धा के साथ नही यह स्पर्धा के नफरत का मूल कारण है यह लेख किसी समाज या समुदाय को ठेस पहुचाने का नही है यह एक वास्तविक सच्चाई है हिंदुत्व को बाटकर ही विदेशी ताकतों ने हमारे देश पर राज किया है दूसरा बड़ा कारण हमारी राजनैतिक पार्टीया कल तक तीन पार्टिया थी दो राष्ट्रीय एक निर्दलीय प्रजातंत्र की बागडोर एक किसी पार्टी के हाथ में होती थी उसके अपने विधायक एम एल ए होते थे वह निश्चित अवधि तक स्वतंत्र राज चलाते थे अब अनेक पार्टिया होने के कारण पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाना मुश्किल है पांच पार्टियो के गठबंधन के साथ सरकार बनती है और वह पांचो पार्टी के मत अलग अलग दिशाओं में भटकते है ओर फिर शुरु होता है अपनी मनमानी का दौर अगर आपने एक पार्टी के सदस्य की मांग पूरी नही की तो धर्म की सरकार गिराने की ओर खामियाजा भुगतना पड़ता है आवाम को । चुनाव ओर बजट की मार आम जनता की कमर तोड़ देती है मंहगाई का मुंह बड़ता जाता हंै। बड़े बड़े एड आपने पढ़े होगे अपने मतों का सही उपयोग ईमानदारी से ईमानदार उम्मीदवार को चुने आवाम के मन में विचार उठता है वोट तो देना है किसी को भी कोई भी जीते जनता को वही हालात से गुजरना है। आज एक पार्टी की दस पार्टियां है, समय नही लगता जब भी कोई मदभेद हुआ फिर एक अलग पार्टी तैयार मजा तो तब आएगा जब आधी पार्टी होगी ओर आधे होगे मतदाता एक मुंह के सांप का तो पता होता है, कि पुंछ कहा और मुंह कहा लेकिन दो मुंह का संाप अक्सर धोखा दे ही जाता है
No comments:
Post a Comment