भोपाल। लगातार सूखे की मार झेल रहे प्रदेश केबुंदेलखंड अंचल में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 100 करोड़ की नलजल योजना में हुए 80 करोड़ के घोटाले में शामिल अफसरों को बचाने के प्रयास शुरु हो गए है। इस मामले में हुई जांच कमेटी बना दी गई है। हालांकि इस मामले की जांच रिपोर्ट मे हुए खुलासे के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने पूरा मामला पीएचई मंत्री कुसुम मेहदेले के हवाले कर दिया। जिसके बाद दोषियों पर कार्रवाई की तैयारी शुरुकर दी गई है। अब माना जा रहा है कि पूरा मामला लोकायुक्त या फिर ईओडब्ल्यू को सौंपा जा सकता है। दरअसल इस मामले में हाईकोर्ट के निर्देश पर जंच कमेटी गठित क गई थी। कमेटी ने जांचकर अपनी रिपोर्ट सामान्य प्रशासन विभाग को सौंप दी है। जिसमें बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ी और इसकेलिए तत्कालीन मुख्य अभियंता एनके कश्यप एवं तत्काीन अधीक्षक यंत्री सीके सिंह को पदस्थ कार्यपालन यंत्रियों को दोषी बताया गया है। राज्य प्रशासन ने गड़बड़ी पर लीपापोती करने के लिए एक और जांच कमेटी बना दी। इससे जांच कमेटी द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट को एक तरह से चुनौती दी गई है।
पुन: जांच पर लगेगा विराम
समीक्षा बैठक के दोरान पीएचई मंत्री कुसुम महदेेले ने मुख्यमंत्री से कहा कि बुंदेलखंड पैकेज के लिए तीन साल पहले नलजल योजनाओं में 100 करोड़ खर्च हो गए, लेकिन नलों से पानी की बूंद नहीं आ रही है। विभागीय जांच में 80 करोड़ का घोटाला सामने आया है। यह सुनते ही पीएचई अफसरों में सन्नाटा खिंच गया। इस पर कुछ देर चुप रहने के बाद सीएम ने पीएचई मंत्री से दोषी अफसरों के खिलफ कठोर कार्यवाही को कहा। सीएम द्वारा दिए गए निर्देश के बाद इस घोटाले की पुन: जांच कराने पर लगभग विरामलग गया है, बल्कि 80 करोड़ रुपए डकराने वाले अफसरों के खिलाफ मामला अब ईओडब्ल्यू या लोकायुक्त को भेजा जाना तय है।
जांच में ये गड़बड़ी मिली
गावों में पेयजल की जरूरत को ध्यान में रखकर योजनाएं नहीं बनाई गर्ईं फिर भी प्रशासकीय मंजूरी दे दी गई। घटिया स्तर के पाइप, मोटर पंप, स्टार्टर का इस्तेमाल किया। पाइपालाइन के काम में लेवलिंग सही नहीं की गई। कहीं पानी नहीं निकला तो कहीं बोर सूख गए पड़े हैं। योजनाएं पंचायतों को हस्तांतरित करने के लिए पूर्व सरपंचों से कागजों पर हस्ताक्षर करा लिए गए, जबकि वर्तमान सरपंचों को इसकी जानकारी ही नहीं है
(बिच्छू रोज़ाना)
पुन: जांच पर लगेगा विराम
समीक्षा बैठक के दोरान पीएचई मंत्री कुसुम महदेेले ने मुख्यमंत्री से कहा कि बुंदेलखंड पैकेज के लिए तीन साल पहले नलजल योजनाओं में 100 करोड़ खर्च हो गए, लेकिन नलों से पानी की बूंद नहीं आ रही है। विभागीय जांच में 80 करोड़ का घोटाला सामने आया है। यह सुनते ही पीएचई अफसरों में सन्नाटा खिंच गया। इस पर कुछ देर चुप रहने के बाद सीएम ने पीएचई मंत्री से दोषी अफसरों के खिलफ कठोर कार्यवाही को कहा। सीएम द्वारा दिए गए निर्देश के बाद इस घोटाले की पुन: जांच कराने पर लगभग विरामलग गया है, बल्कि 80 करोड़ रुपए डकराने वाले अफसरों के खिलाफ मामला अब ईओडब्ल्यू या लोकायुक्त को भेजा जाना तय है।
जांच में ये गड़बड़ी मिली
गावों में पेयजल की जरूरत को ध्यान में रखकर योजनाएं नहीं बनाई गर्ईं फिर भी प्रशासकीय मंजूरी दे दी गई। घटिया स्तर के पाइप, मोटर पंप, स्टार्टर का इस्तेमाल किया। पाइपालाइन के काम में लेवलिंग सही नहीं की गई। कहीं पानी नहीं निकला तो कहीं बोर सूख गए पड़े हैं। योजनाएं पंचायतों को हस्तांतरित करने के लिए पूर्व सरपंचों से कागजों पर हस्ताक्षर करा लिए गए, जबकि वर्तमान सरपंचों को इसकी जानकारी ही नहीं है
(बिच्छू रोज़ाना)
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