अवधेश पुरोहित
भोपाल।मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी भले ही बिजली, पानी और सड़क के मुद्दे पर बनी हो लेकिन आज लगभग १२ साल बाद भी राज्य की जनता को इन मुद्दों से कोई मुक्ति नहीं मिली, बल्कि यदि यह कहा जाए कि तमाम वायदों और करोड़ों रुपए बर्बाद करने के बाद भी प्रदेश की जनता आज भी बिजली, पानी और सड़क की समस्या से जूझ रही है, मगर इनसे मुक्ति मिलने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं, स्थिति यह है कि राज्य के अधिकांश क्षेत्रों की जनता इस समय दूषित पानी पीने को मजबूर है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है,
प्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा सप्लाई किया जाने वाला बैक्टैरियायुक्त पानी पीने को प्रदेश की जनता मजबूर है इस तरह का आरोप विपक्षी दल द्वारा नहीं बल्कि खतरनाक बैक्टेरियायुक्त पानी पीने का खुलासा स्वयं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा लिये जाने वाले पानी के सेम्पलों की जांच से खुलासा हुआ। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सितम्बर माह की रिपोर्ट में खुद पीएचई विभाग ने यह पाया कि प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में जो पेयजल की पूर्ति की जाती है वह पानी ग्रामीण इलाकों की जनता के साथ-साथ स्कूलों, सामुदायिक भवनों और अन्य सार्वजनिक कार्यों के अलावा घरों में भी की जाती है,
सूत्रों का दावा है कि ऐसे कई जिले इसकी चपेट में है जिनके सेम्पल में पानी की प्रदूषित होने की मात्रा १०० प्रतिशत पाई गई, मजेे की बात यह है कि इस तरह का प्रदूषित पानी प्रदेश के दूर दराज के क्षेत्र ही नहीं बल्कि राजधानीवासी भी दूषित पानी पीने को मजबूर हैं, तो वहीं अन्य जिलों में प्रदूषित पानी का आंकड़ा १०० और ९० प्रतिशत पाया गया इसके अलावा भी प्रदूषित पानी की सप्लाई हो रही है जिसे रोकने के लिये शासन के पास इतने संसाधन नहीं हैं जिसके चलते लोगों को प्रदूषणमुक्त पेयजल उपलब्ध करा सकें।
इन हालातों की जानकारी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के आला अफसर और मंत्रियों को है लेकिन वह इस प्रदेश की जनता को इस तरह के दूषित पानी की सप्लाई करने में लगे हुए हैं और अपनी रिपोर्टों को अनदेखा कर रहे हैं सूत्रों के अनुसार पानी में पाए जाने वाले बैक्टेरिया की जांच के लिए पीएचई विभाग द्वारा प्रदेशभर में इस साल सितम्बर माह तक ३८०८६ सेम्पल जांच के लिए भेजे गए उनमें से ३२५५५ सेम्पल प्रदूषित पाए गए पानी में कैमिकल रिपोर्ट के मामले में स्थिति कुछ अलग है पानी में मिले रासायनिक तत्वों की जांच (माह सितम्बर तक की) रिपोर्ट के अनुसार ७८२४८ सेम्पल की जांच कराई गई उनमें से १८०२ सेम्पल के पानी में प्रदूषण मिला यह प्रदूषण कुल सेम्पल जांच का २.३ प्रतिशत है।
इस तरह से पूरे प्रदेश में कराई गई पानी की जांच में कई जिलों के १०० फीसदी सेम्पल प्रदूषित मिले, पीएचई विभाग के अलावा अलग-अलग जोन में शामिल जिलों की रिपोर्ट के अनुसार जिलों में १०० फसदी सेम्पल प्रदूषित मिले उनमें सबसे पहले राजधानी भोपाल का नाम आता है, यही नहीं राजगढ़, दतिया, सतना, खण्डवा, टीकमगढ़, डिण्डौरी जिले में जांच के लिए भेजे गए सभी सेम्पल बैक्टैरिया के कारण शत-प्रतिशत प्रदूषित पाए गए। इन प्रदूषित पानी के सेम्पलों की जांच से यह उजागर होता है कि प्रदेश की जनता भाजपा के शासनकाल के लगभग १२ वर्षों के बाद भी आज प्रदूषित पानी पीने को मजबूर है?
हिन्द न्यूज सर्विस
भोपाल।मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी भले ही बिजली, पानी और सड़क के मुद्दे पर बनी हो लेकिन आज लगभग १२ साल बाद भी राज्य की जनता को इन मुद्दों से कोई मुक्ति नहीं मिली, बल्कि यदि यह कहा जाए कि तमाम वायदों और करोड़ों रुपए बर्बाद करने के बाद भी प्रदेश की जनता आज भी बिजली, पानी और सड़क की समस्या से जूझ रही है, मगर इनसे मुक्ति मिलने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं, स्थिति यह है कि राज्य के अधिकांश क्षेत्रों की जनता इस समय दूषित पानी पीने को मजबूर है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है,
प्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा सप्लाई किया जाने वाला बैक्टैरियायुक्त पानी पीने को प्रदेश की जनता मजबूर है इस तरह का आरोप विपक्षी दल द्वारा नहीं बल्कि खतरनाक बैक्टेरियायुक्त पानी पीने का खुलासा स्वयं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा लिये जाने वाले पानी के सेम्पलों की जांच से खुलासा हुआ। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सितम्बर माह की रिपोर्ट में खुद पीएचई विभाग ने यह पाया कि प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में जो पेयजल की पूर्ति की जाती है वह पानी ग्रामीण इलाकों की जनता के साथ-साथ स्कूलों, सामुदायिक भवनों और अन्य सार्वजनिक कार्यों के अलावा घरों में भी की जाती है,
सूत्रों का दावा है कि ऐसे कई जिले इसकी चपेट में है जिनके सेम्पल में पानी की प्रदूषित होने की मात्रा १०० प्रतिशत पाई गई, मजेे की बात यह है कि इस तरह का प्रदूषित पानी प्रदेश के दूर दराज के क्षेत्र ही नहीं बल्कि राजधानीवासी भी दूषित पानी पीने को मजबूर हैं, तो वहीं अन्य जिलों में प्रदूषित पानी का आंकड़ा १०० और ९० प्रतिशत पाया गया इसके अलावा भी प्रदूषित पानी की सप्लाई हो रही है जिसे रोकने के लिये शासन के पास इतने संसाधन नहीं हैं जिसके चलते लोगों को प्रदूषणमुक्त पेयजल उपलब्ध करा सकें।
इन हालातों की जानकारी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के आला अफसर और मंत्रियों को है लेकिन वह इस प्रदेश की जनता को इस तरह के दूषित पानी की सप्लाई करने में लगे हुए हैं और अपनी रिपोर्टों को अनदेखा कर रहे हैं सूत्रों के अनुसार पानी में पाए जाने वाले बैक्टेरिया की जांच के लिए पीएचई विभाग द्वारा प्रदेशभर में इस साल सितम्बर माह तक ३८०८६ सेम्पल जांच के लिए भेजे गए उनमें से ३२५५५ सेम्पल प्रदूषित पाए गए पानी में कैमिकल रिपोर्ट के मामले में स्थिति कुछ अलग है पानी में मिले रासायनिक तत्वों की जांच (माह सितम्बर तक की) रिपोर्ट के अनुसार ७८२४८ सेम्पल की जांच कराई गई उनमें से १८०२ सेम्पल के पानी में प्रदूषण मिला यह प्रदूषण कुल सेम्पल जांच का २.३ प्रतिशत है।
इस तरह से पूरे प्रदेश में कराई गई पानी की जांच में कई जिलों के १०० फीसदी सेम्पल प्रदूषित मिले, पीएचई विभाग के अलावा अलग-अलग जोन में शामिल जिलों की रिपोर्ट के अनुसार जिलों में १०० फसदी सेम्पल प्रदूषित मिले उनमें सबसे पहले राजधानी भोपाल का नाम आता है, यही नहीं राजगढ़, दतिया, सतना, खण्डवा, टीकमगढ़, डिण्डौरी जिले में जांच के लिए भेजे गए सभी सेम्पल बैक्टैरिया के कारण शत-प्रतिशत प्रदूषित पाए गए। इन प्रदूषित पानी के सेम्पलों की जांच से यह उजागर होता है कि प्रदेश की जनता भाजपा के शासनकाल के लगभग १२ वर्षों के बाद भी आज प्रदूषित पानी पीने को मजबूर है?
हिन्द न्यूज सर्विस
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