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नई दिल्ली: देश के मौजूदा हालात पर अपनी नाखुशी का इज़हार करते हुए उर्दू के लोकप्रिय शायर मुनव्वर राना ने ABP न्यूज के कार्यक्रम #साहित्यकारVsसरकार के दौरान अपना साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटाया. मुनव्वर राना ने अवॉर्ड के साथ एक लाख का चेक भी लौटा दिया.
मुनव्वर राना ने एबीपी न्यूज़ के लाइव शो में अपना अवॉर्ड लौटाते हुए कहा कि देश में जो हालात हैं उससे वह मायूस हैं.
मुनव्वर राना ने साहित्यकारों को दरबारी कहे जाने पर अपनी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा, "मैं रायबरेली से आता हूं. सत्ता मेरे शहर की नालियों से गुजरती रही है.कभी उधर देखा नहीं."
अवॉर्ड लौटाए जाने के साथ ही मुनव्वर राना ने एलान किया कि अब वह भविष्य में कभी कोई सरकारी अवॉर्ड नहीं लेंगे. हालांकि, शो के दौरान कई दूसरे साहित्यकारों, लेखकों और कवियों ने मुनव्वर राना से अपील कि वह अभी अपना अवॉर्ड नहीं लौटाएं, लेकिन मुनव्वर राना ने ऐसा करने से मना कर दिया.
सम्मान लौटाते वक़्त मुनव्वर राना ने कहा, "साहित्यकारों और लेखकों को किसी न किसी पार्टी से जोड़ा जा रहा है. किसी को कांग्रेसी तो किसी को भाजपाई कहा जा रहा है. मैं मुसलमान हूं मुझे पाकिस्तानी भी करार दिया जा सकता है. इस देश में बिजली के तार नहीं जुडे हैं, लेकिन मुसलमानों के तार दाऊद इब्राहीम से जोड़ दिया जाता है."
मुनव्वर राना ने कहा, "इस मुल्क में आतंक के मायने क्या हैं. अब तक ये तय नहीं हुआ, अगर एक मुसलमान फटाका फोड़े तो आतंकवादी बता दिया जाता है. ऐसे इंसाफ नहीं हो सकता."
मुनव्वर राना के सम्मान लौटाए जाने से पहले और बाद में भी बीजेपी के नेता संबित पात्रा ने कहा कि साहित्यकारों की दिक्कत ये है कि वे मोदी सरकार को कबूल नहीं करना चाहते, क्योंकि सम्मान लौटाने वाले लेखक वामपंथी विचारधारा के हैं. संबित पात्रा का कहना था कि लेखक को तटस्थ होना चाहिए.
कौन हैं मुनव्वर राना?
मुनव्वर राना उर्दू के जाने माने शायर हैं और मुशायरों में उनकी ग़ज़ल के दीवानों की संख्या लाखों में है.
उनका जन्म, 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ.
उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं: माँ, ग़ज़ल गाँव, पीपल छाँव, बदन सराय, नीम के फूल, सब उसके लिए, घर अकेला हो गया, कहो ज़िल्ले इलाही से, बग़ैर नक़्शे का मकान, फिर कबीर, नए मौसम के फूल.
नई दिल्ली: देश के मौजूदा हालात पर अपनी नाखुशी का इज़हार करते हुए उर्दू के लोकप्रिय शायर मुनव्वर राना ने ABP न्यूज के कार्यक्रम #साहित्यकारVsसरकार के दौरान अपना साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटाया. मुनव्वर राना ने अवॉर्ड के साथ एक लाख का चेक भी लौटा दिया.
मुनव्वर राना ने एबीपी न्यूज़ के लाइव शो में अपना अवॉर्ड लौटाते हुए कहा कि देश में जो हालात हैं उससे वह मायूस हैं.
मुनव्वर राना ने साहित्यकारों को दरबारी कहे जाने पर अपनी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा, "मैं रायबरेली से आता हूं. सत्ता मेरे शहर की नालियों से गुजरती रही है.कभी उधर देखा नहीं."
अवॉर्ड लौटाए जाने के साथ ही मुनव्वर राना ने एलान किया कि अब वह भविष्य में कभी कोई सरकारी अवॉर्ड नहीं लेंगे. हालांकि, शो के दौरान कई दूसरे साहित्यकारों, लेखकों और कवियों ने मुनव्वर राना से अपील कि वह अभी अपना अवॉर्ड नहीं लौटाएं, लेकिन मुनव्वर राना ने ऐसा करने से मना कर दिया.
सम्मान लौटाते वक़्त मुनव्वर राना ने कहा, "साहित्यकारों और लेखकों को किसी न किसी पार्टी से जोड़ा जा रहा है. किसी को कांग्रेसी तो किसी को भाजपाई कहा जा रहा है. मैं मुसलमान हूं मुझे पाकिस्तानी भी करार दिया जा सकता है. इस देश में बिजली के तार नहीं जुडे हैं, लेकिन मुसलमानों के तार दाऊद इब्राहीम से जोड़ दिया जाता है."
मुनव्वर राना ने कहा, "इस मुल्क में आतंक के मायने क्या हैं. अब तक ये तय नहीं हुआ, अगर एक मुसलमान फटाका फोड़े तो आतंकवादी बता दिया जाता है. ऐसे इंसाफ नहीं हो सकता."
मुनव्वर राना के सम्मान लौटाए जाने से पहले और बाद में भी बीजेपी के नेता संबित पात्रा ने कहा कि साहित्यकारों की दिक्कत ये है कि वे मोदी सरकार को कबूल नहीं करना चाहते, क्योंकि सम्मान लौटाने वाले लेखक वामपंथी विचारधारा के हैं. संबित पात्रा का कहना था कि लेखक को तटस्थ होना चाहिए.
कौन हैं मुनव्वर राना?
मुनव्वर राना उर्दू के जाने माने शायर हैं और मुशायरों में उनकी ग़ज़ल के दीवानों की संख्या लाखों में है.
उनका जन्म, 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ.
उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं: माँ, ग़ज़ल गाँव, पीपल छाँव, बदन सराय, नीम के फूल, सब उसके लिए, घर अकेला हो गया, कहो ज़िल्ले इलाही से, बग़ैर नक़्शे का मकान, फिर कबीर, नए मौसम के फूल.
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