Present by- Toc News
अवधेश पुरोहित
भोपाल । मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार किस तरह से व्याप्त है इसकी हकीकत जिस भ्रष्टाचार रोक ने के लिए प्रदेश में लोकायुक्त संगठन की स्थापना की गई है उसी के मुखिया पीपी नावलेकर ने स्वीकार किया, उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की समस्या भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है, फर्क इतना है कि दूसरी जगह गलत काम करने के पैसे लगते हैं लेकिन यहां (मध्यप्रदेश) में सही काम के लिये रिश्वत देनी पड़ती है,
हालांकि उन्होंने इसके लिये समाज के लोगों को सोच बदलने की आवश्यकता जताई नावलेकर ने कहा कि परिस्थितियां ऐसी हैं कि जिसके पास ज्यादा धन-सम्पदा है, समाज में उसकी प्रतिष्ठा अधिक होती है वह सोच बदले तो बदलाव जल्दी आएगा, उन्होंने कहा कि जो खुद को सम्पन्न मानते हैं उन्हें विचार करना पड़ेगा कि उनके पास जो समृद्धि आई है वह किस तरह आई।
लोकायुक्त ने सुझाव दिया कि भ्रष्टाचार मिटाने में लगी एजेंसियों के अफसरों को नई तकनीकी सिस्टम और व्यवस्था भी अपनाना चाहिए उन्होंने बताया कि अपना कामकाज संभालने के बाद सरकारी पैसा वसूलने के लिये छापामारी रिश्वतखोरों को पकडऩे एवं वसूली पर सख्ती की गई तो सरकारी खजाने में १७ हजार करोड़ जमा होंगे।
लोकायुक्त के इस तरह के बयान से यह बात साफ हो गई कि प्रदेश में भ्रष्टाचार सत्ताधीशों से लेकर पटवारी तक जमकर चल रहा है प्रदेश में चल रहे सिस्टम के चलते इसे रोकने के प्रयास तो किये जा रहे हैं लेकिन प्रदेश में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी मजबूत हो गई हैं कि उसे रोकने में हर एजेंसी असफल सी नजर आ रही है और सुरसा की तरह यह भ्रष्टाचार बढ़ रहा है हालांकि प्रदेश के सत्ताधीश भ्रष्टाचार रोकने का ढिंढोरा पीटते हैं लेकिन जमीन स्तर पर भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
स्रोत - हिन्द न्यूज सर्विस
अवधेश पुरोहित
भोपाल । मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार किस तरह से व्याप्त है इसकी हकीकत जिस भ्रष्टाचार रोक ने के लिए प्रदेश में लोकायुक्त संगठन की स्थापना की गई है उसी के मुखिया पीपी नावलेकर ने स्वीकार किया, उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की समस्या भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है, फर्क इतना है कि दूसरी जगह गलत काम करने के पैसे लगते हैं लेकिन यहां (मध्यप्रदेश) में सही काम के लिये रिश्वत देनी पड़ती है,
हालांकि उन्होंने इसके लिये समाज के लोगों को सोच बदलने की आवश्यकता जताई नावलेकर ने कहा कि परिस्थितियां ऐसी हैं कि जिसके पास ज्यादा धन-सम्पदा है, समाज में उसकी प्रतिष्ठा अधिक होती है वह सोच बदले तो बदलाव जल्दी आएगा, उन्होंने कहा कि जो खुद को सम्पन्न मानते हैं उन्हें विचार करना पड़ेगा कि उनके पास जो समृद्धि आई है वह किस तरह आई।
लोकायुक्त ने सुझाव दिया कि भ्रष्टाचार मिटाने में लगी एजेंसियों के अफसरों को नई तकनीकी सिस्टम और व्यवस्था भी अपनाना चाहिए उन्होंने बताया कि अपना कामकाज संभालने के बाद सरकारी पैसा वसूलने के लिये छापामारी रिश्वतखोरों को पकडऩे एवं वसूली पर सख्ती की गई तो सरकारी खजाने में १७ हजार करोड़ जमा होंगे।
लोकायुक्त के इस तरह के बयान से यह बात साफ हो गई कि प्रदेश में भ्रष्टाचार सत्ताधीशों से लेकर पटवारी तक जमकर चल रहा है प्रदेश में चल रहे सिस्टम के चलते इसे रोकने के प्रयास तो किये जा रहे हैं लेकिन प्रदेश में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी मजबूत हो गई हैं कि उसे रोकने में हर एजेंसी असफल सी नजर आ रही है और सुरसा की तरह यह भ्रष्टाचार बढ़ रहा है हालांकि प्रदेश के सत्ताधीश भ्रष्टाचार रोकने का ढिंढोरा पीटते हैं लेकिन जमीन स्तर पर भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
स्रोत - हिन्द न्यूज सर्विस
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