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अवधेश पुरोहित
भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को अपनी विधानसभा क्षेत्र के गांव बुदनी में आयोजित दशहरा उत्सव के अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि अगर जनता लगन और ईमानदारी से काम करे तो प्रदेश में रामराज की स्थापना संभव है, उन्होंने इसके लिए लोगों को संकल्प दिलाते हुए सरकार को सहयोग करने का आव्हान किया जिस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपना संबोधन कर रहे थे तो उनके साथ उनकी धर्मपत्नी साधना सिंह भी थीं, मुख्यमंत्री के इस तरह के संबोधन को लेकर प्रदेश के राजनैतिकों में यह चर्चा आम है कि प्रदेश को रामराज बनाने की दिशा में केवल और केवल प्रदेश की जनता को ही संकल्प लेना पड़ेगा इस तरह का आभास मुख्यमंत्री के संबोधन से होता है,
उन्होंने अपने संबोधन में सिर्फ जनता की ही बात कही लेकिन राजनेताओं, मंत्रियों की तो चर्चा तक नहीं की। इस तरह के संबोधन से लाख टके का सवाल यह उत्पन्न होता है कि यदि प्रदेश के मंत्री, राजनेता और अधिकारियों का इससे कोई संबंध नहीं, कुछ लोग तो मुख्यंमत्री के इस तरह के बयान को लेकर यह चर्चा करते हुए नजर आए कि जो शिवराज सिंह प्रदेश की जनता को संकल्प दिलाने की बात कर रहे थे यदि उनके कार्यकाल की शुरुआत उनकी धर्मपत्नी श्रीमती साधना ङ्क्षसह के द्वारा अपनी पहचान छुपाने के साथ जो डम्पर खरीदी का सिलसिला शुरू हुआ
वह सिलसिला आज भी जारी है और प्रदेश में इसी मामले से प्रेरणा लेते हुए ऐसे कई मंत्रियों, राजनेताओं अधिकारियों ने राज्य की बात बात छोड़ो देश के अन्य शहरों में कई बेनामी सम्पत्ति बना रखी हैं। वैसे भी यह कहावत है कि पर उपदेश कुशल बहुतेरे, की तर्ज पर शिवराज सिंह लोगों को उपदेश देते हैं मगर उनका स्वयं पर एक प्रतिशत भी पालन नहीं करते हैं। यह अलग बात है कि डम्पर मामले में लोकायुक्त की जांच में वह गलत पाया गया कैसे पाया गया यह प्रदेश की जनता जानती है,
वह यह भी जानती है कि डम्पर मामले में लोकायुक्त की जांच को लेकर तमाम सवाल खड़ेे हुए थे यही नहीं कांग्रेस के नेताओं जिनमें दिग्विजय सिंह भी शामिल हैं उन्होंने लोकायुक्त की जांच पर तरह-तरह के सवाल खड़े किए थे और यहां तक कहा था कि जो लोकायुक्त पुलिस मुख्यमंत्री के अधीनस्थ काम करती है वह इस मामले में क्या जांच कर पाएगी, वैसे हुआ तो यही लेकिन चूंकि अब यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है इसलिये इस पर कुछ ज्यादा लिखा या कहा नहीं जा सकता, लेकिन सवाल तो सवाल हैं जनता इन सवालों के जवाब की प्रतीक्षा में आज भी है? मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जनता को लगन और ईमानदारी का जो पाठ पढ़ाया सवाल यह भी है कि क्या उनके मंत्रीमण्डल के सदस्यों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं,
एक मंत्री के ड्रायवर के पास करोड़ों रुपए जप्त हुए थे तो एक अधिकारी के यहां जब जांच एजेंसियों द्वारा छापे की कार्यवाही की गई तो उसके यहां जप्त बेनामी सम्पत्ति जप्त होने पर उसकी धर्मपत्नी के द्वारा यह भी आरोप लगाया गया था कि एक करोड़ रुपए प्रतिमाह मंत्री के यहां पहुंचाए जाते हैं क्या मुख्यमंत्री अपने स्तर पर उक्त अधिकारी की पत्नी द्वारा मंत्री को एक करोड़ रुपए देने का आरोप लगाया था उसकी जांच अभी तक कराई और उसके परिणाम क्या निकले सार्वजनिक करेंगे, ऐसे एक नहीं अनेकों मामले हैं जिनमें मंत्रियों अधिकारियों और भाजपा के कार्यकर्ताओं के पास भारतीय जनता पार्टी की सरकार और खासकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के बाद किस तरह से कुबेर मेहरबान हुए हैं वह सर्वविदित है,
यही नहीं तत्कालीन भारतीय जनशक्ति की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री उमा भारती ने उस समय यह भी आरोप लगाए थे कि जिन भाजपा कार्यकर्ताओं के पास समोसे खरीदने के पैसे नहीं हैं आज वह आलीशान भवनों और लग्जरी वाहनों में घूम रहे हैं। उस समय उमा के इन आरोपों को भले ही लोगों ने हवा में उड़ा दिया हो लेकिन शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल के दौरान जिस प्रकार राज्य में मंत्रियों, अधिकारियों, सत्ता के दलालों और ठेकेदारों का रैकेट सक्रिय है, यह रैकेट अपनी कारगुजारी दिखाकर तमाम सरकारी योजनाओं में हेराफेरी और फर्जीवाड़ा करने में माहिर है।
यही वजह है कि तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदेश की जनता को तो नहीं मिला लेकिन यह जरूर है कि इसकी धनराशि इनकी तिजोरियों में पहुंच गई लेकिन आज तक इस रैकेट के खिलाफ सरकार ने कोई कार्यवाही करने की जहमत तक उठाने का प्रयास नहीं किया। शिवराज सिंह यूं तो अच्छे और प्रभावशाली भाषण देने की परम्परा में पारंगत हैं तो वहीं अपने मंत्रियों, चहेते अधिकारियों, सत्ता के दलालों और उन ठेकेदार जो कारगुजारी इस प्रदेश में कर रहे हैं ना तो उन्हें शिवराज सिंह के उपदेशों का पालन करने का दबाव बनाया गया और ना ही प्रदेश में सत्ताधीश से लेकर पटवारी तक जो रिश्वत लेने का सिलसिला जारी है उस पर कोई लगाम लगाने का प्रयास किया गया।
जैसा कि शिवराज सिंह ने प्रदेश की जनता को यह उपदेश दिया है कि वह लगन, ईमानदारी से काम करें तो प्रदेश में रामराज की स्थापना संभव है। सवाल यह है कि प्रदेश के जनता लगन और ईमानदारी से काम कर रही है मगर यदि यह उद्देश्य अपने मंत्रियों भाजपा नेताओं को दिया होता तो शायद समझ में आता क्योंकि इस प्रदेश के भाग्यविधाता तो मुख्यमंत्री से लेकर यही मंत्री, अधिकारी और सत्ता के दलाल के साथ-साथ ठेकेदार हैं जो इस प्रदेश की तमाम योजनओं को मूर्तरूप देने में लगे हुए हैं
यदि वह सब लगन और ईमानदारी से काम करते तो आज उमा और गौर के शासनकाल की यदि बात छोड़ दें तो केवल और केवल शिवराज सिंह चौहान के विकास के शानदार दस वर्षों में यह प्रदेश आज रामराज्य की दिशा में बढ़ता नजर आ रहा होता। लेकिन इन दस वर्षों में विकास के नाम पर तमाम योजनाएं चलाई गई फिर भी आज प्रदेश की हालत २००३ के पूर्व की है, जिसमें बिजली पानी और सड़क के मुद्दे से आज भी प्रदेश की जनता जूझ रही है।
(हिन्द न्यूज सर्विस)
अवधेश पुरोहित
भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को अपनी विधानसभा क्षेत्र के गांव बुदनी में आयोजित दशहरा उत्सव के अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि अगर जनता लगन और ईमानदारी से काम करे तो प्रदेश में रामराज की स्थापना संभव है, उन्होंने इसके लिए लोगों को संकल्प दिलाते हुए सरकार को सहयोग करने का आव्हान किया जिस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपना संबोधन कर रहे थे तो उनके साथ उनकी धर्मपत्नी साधना सिंह भी थीं, मुख्यमंत्री के इस तरह के संबोधन को लेकर प्रदेश के राजनैतिकों में यह चर्चा आम है कि प्रदेश को रामराज बनाने की दिशा में केवल और केवल प्रदेश की जनता को ही संकल्प लेना पड़ेगा इस तरह का आभास मुख्यमंत्री के संबोधन से होता है,
उन्होंने अपने संबोधन में सिर्फ जनता की ही बात कही लेकिन राजनेताओं, मंत्रियों की तो चर्चा तक नहीं की। इस तरह के संबोधन से लाख टके का सवाल यह उत्पन्न होता है कि यदि प्रदेश के मंत्री, राजनेता और अधिकारियों का इससे कोई संबंध नहीं, कुछ लोग तो मुख्यंमत्री के इस तरह के बयान को लेकर यह चर्चा करते हुए नजर आए कि जो शिवराज सिंह प्रदेश की जनता को संकल्प दिलाने की बात कर रहे थे यदि उनके कार्यकाल की शुरुआत उनकी धर्मपत्नी श्रीमती साधना ङ्क्षसह के द्वारा अपनी पहचान छुपाने के साथ जो डम्पर खरीदी का सिलसिला शुरू हुआ
वह सिलसिला आज भी जारी है और प्रदेश में इसी मामले से प्रेरणा लेते हुए ऐसे कई मंत्रियों, राजनेताओं अधिकारियों ने राज्य की बात बात छोड़ो देश के अन्य शहरों में कई बेनामी सम्पत्ति बना रखी हैं। वैसे भी यह कहावत है कि पर उपदेश कुशल बहुतेरे, की तर्ज पर शिवराज सिंह लोगों को उपदेश देते हैं मगर उनका स्वयं पर एक प्रतिशत भी पालन नहीं करते हैं। यह अलग बात है कि डम्पर मामले में लोकायुक्त की जांच में वह गलत पाया गया कैसे पाया गया यह प्रदेश की जनता जानती है,
वह यह भी जानती है कि डम्पर मामले में लोकायुक्त की जांच को लेकर तमाम सवाल खड़ेे हुए थे यही नहीं कांग्रेस के नेताओं जिनमें दिग्विजय सिंह भी शामिल हैं उन्होंने लोकायुक्त की जांच पर तरह-तरह के सवाल खड़े किए थे और यहां तक कहा था कि जो लोकायुक्त पुलिस मुख्यमंत्री के अधीनस्थ काम करती है वह इस मामले में क्या जांच कर पाएगी, वैसे हुआ तो यही लेकिन चूंकि अब यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है इसलिये इस पर कुछ ज्यादा लिखा या कहा नहीं जा सकता, लेकिन सवाल तो सवाल हैं जनता इन सवालों के जवाब की प्रतीक्षा में आज भी है? मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जनता को लगन और ईमानदारी का जो पाठ पढ़ाया सवाल यह भी है कि क्या उनके मंत्रीमण्डल के सदस्यों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं,
एक मंत्री के ड्रायवर के पास करोड़ों रुपए जप्त हुए थे तो एक अधिकारी के यहां जब जांच एजेंसियों द्वारा छापे की कार्यवाही की गई तो उसके यहां जप्त बेनामी सम्पत्ति जप्त होने पर उसकी धर्मपत्नी के द्वारा यह भी आरोप लगाया गया था कि एक करोड़ रुपए प्रतिमाह मंत्री के यहां पहुंचाए जाते हैं क्या मुख्यमंत्री अपने स्तर पर उक्त अधिकारी की पत्नी द्वारा मंत्री को एक करोड़ रुपए देने का आरोप लगाया था उसकी जांच अभी तक कराई और उसके परिणाम क्या निकले सार्वजनिक करेंगे, ऐसे एक नहीं अनेकों मामले हैं जिनमें मंत्रियों अधिकारियों और भाजपा के कार्यकर्ताओं के पास भारतीय जनता पार्टी की सरकार और खासकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के बाद किस तरह से कुबेर मेहरबान हुए हैं वह सर्वविदित है,
यही नहीं तत्कालीन भारतीय जनशक्ति की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री उमा भारती ने उस समय यह भी आरोप लगाए थे कि जिन भाजपा कार्यकर्ताओं के पास समोसे खरीदने के पैसे नहीं हैं आज वह आलीशान भवनों और लग्जरी वाहनों में घूम रहे हैं। उस समय उमा के इन आरोपों को भले ही लोगों ने हवा में उड़ा दिया हो लेकिन शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल के दौरान जिस प्रकार राज्य में मंत्रियों, अधिकारियों, सत्ता के दलालों और ठेकेदारों का रैकेट सक्रिय है, यह रैकेट अपनी कारगुजारी दिखाकर तमाम सरकारी योजनाओं में हेराफेरी और फर्जीवाड़ा करने में माहिर है।
यही वजह है कि तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदेश की जनता को तो नहीं मिला लेकिन यह जरूर है कि इसकी धनराशि इनकी तिजोरियों में पहुंच गई लेकिन आज तक इस रैकेट के खिलाफ सरकार ने कोई कार्यवाही करने की जहमत तक उठाने का प्रयास नहीं किया। शिवराज सिंह यूं तो अच्छे और प्रभावशाली भाषण देने की परम्परा में पारंगत हैं तो वहीं अपने मंत्रियों, चहेते अधिकारियों, सत्ता के दलालों और उन ठेकेदार जो कारगुजारी इस प्रदेश में कर रहे हैं ना तो उन्हें शिवराज सिंह के उपदेशों का पालन करने का दबाव बनाया गया और ना ही प्रदेश में सत्ताधीश से लेकर पटवारी तक जो रिश्वत लेने का सिलसिला जारी है उस पर कोई लगाम लगाने का प्रयास किया गया।
जैसा कि शिवराज सिंह ने प्रदेश की जनता को यह उपदेश दिया है कि वह लगन, ईमानदारी से काम करें तो प्रदेश में रामराज की स्थापना संभव है। सवाल यह है कि प्रदेश के जनता लगन और ईमानदारी से काम कर रही है मगर यदि यह उद्देश्य अपने मंत्रियों भाजपा नेताओं को दिया होता तो शायद समझ में आता क्योंकि इस प्रदेश के भाग्यविधाता तो मुख्यमंत्री से लेकर यही मंत्री, अधिकारी और सत्ता के दलाल के साथ-साथ ठेकेदार हैं जो इस प्रदेश की तमाम योजनओं को मूर्तरूप देने में लगे हुए हैं
यदि वह सब लगन और ईमानदारी से काम करते तो आज उमा और गौर के शासनकाल की यदि बात छोड़ दें तो केवल और केवल शिवराज सिंह चौहान के विकास के शानदार दस वर्षों में यह प्रदेश आज रामराज्य की दिशा में बढ़ता नजर आ रहा होता। लेकिन इन दस वर्षों में विकास के नाम पर तमाम योजनाएं चलाई गई फिर भी आज प्रदेश की हालत २००३ के पूर्व की है, जिसमें बिजली पानी और सड़क के मुद्दे से आज भी प्रदेश की जनता जूझ रही है।
(हिन्द न्यूज सर्विस)
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