Toc news @ Jabalpur
जबलपुर। तीन लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए विपणन संघ के अधिकारी पीयूष बघेल और एनपी राय की जोड़ी एक बोरे पर 500 रुपए की रिश्वत लेती थी। इस रिश्वत का बंटवारा बड़ी ईमानदारी से होता था, हर बोरे की तुलाई पर 200 रुपए विपणन संघ को मिलते थे, जबकि 300 रुपए ऊपर तक जाते थे। इसमें एक बड़े नेता का नाम भी सामने आ रहा है।
सूत्रों के मुताबिक हर साल जबलपुर जिले के किसान लाखों बोरों का धान व गेहूं विपणन संघ के जरिए बेचा करते थे। लिहाजा ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि सालों से चल रहे इस गोरखधंधे में अरबों का गड़बड़झाला होने का अनुमान है।
सूत्रों के मुताबिक धान-गेहूं की खरीदी से जुड़े ठेकेदार, व्यापारी और कर्मचारी गुमनाम फोन के सभी जगह इस बड़े भ्रष्टाचार की सूचनाएं पहुंचा रहे हैं। जिसके चलते प्रदेश के लोकायुक्त जस्टिस पीपी नावलेकर ने भी जांच दल को निर्देश दिए हैं कि इस मामले में अब तक जो भी जांच हुई उसकी रिपोर्ट उनके शहर पहुंचने पर सौंपी जाए।
हर काम में लेते थे कमीशन
लोकायुक्त जांच दल के पास शुक्रवार को एक दर्जन से अधिक ऐसी शिकायतें पहुंचीं हैं, जिसमें बघेल और राय के भ्रष्टाचार की करतूतें सामने आई हैं। सूत्रों के अनुसार धान-गेहूं की खरीदी, तुलाई, भंडारण, परिवहन, ठेका और रिकवरी तक में दोनों अधिकारियों ने अपना कमीशन बांध रखा था। रिश्वत का पैसा चपरासी से लेकर उच्च पदों पर आसीन अफसरों और कृषि मंडी से जुड़े सभी नेताओं के पास पहुंचता था।
बघेल ने खोजे रिश्वत के नए सिस्टम
विपणन संघ में एनपी राय लिपिक के पद पर सालों से पदस्थ है लेकिन साल 2012 में पीयूष बघेल ने वरिष्ठ सहायक अधिकारी बनते ही रिश्वतखोरी के नए-नए तरीके शुरू हो गए थे।
सम्पत्तियों की जांच शुरू
जांच दल ने शुक्रवार को बघेल और राय के घर व दफ्तरों से जब्त दस्तावेजों से उनकी सम्पत्ति, बैंक खातों के साथ आय के जरियों को खोजना शुरू कर दिया है। सूत्र बताते हैं कि जल्द ही दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के साथ आय से अधिक सम्पत्ति रखने का मामला भी दर्ज हो सकता है।
क्या है मामला
गुरुवार को गोंदिया महाराष्ट्र के राइस मिल मालिक मुकेश कालड़ा की शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने विपणन संघ के वरिष्ठ सहायक अधिकारी पीयूष बघेल और क्षेत्र अधिकारी एनपी राय को 3 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ ट्रेप किया था। दोनों आरोपियों ने मुकेश कालड़ा से उसके डेढ़ करोड़ रुपए वापस करने के नाम पर 12 लाख की रिश्वत मांगी थी, जिसका एडवांस डेढ़ लाख रुपया वे दोनों पहले ही ले चुके थे। बाकी की रकम किश्तों में ली जा रही थी।
जबलपुर। तीन लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए विपणन संघ के अधिकारी पीयूष बघेल और एनपी राय की जोड़ी एक बोरे पर 500 रुपए की रिश्वत लेती थी। इस रिश्वत का बंटवारा बड़ी ईमानदारी से होता था, हर बोरे की तुलाई पर 200 रुपए विपणन संघ को मिलते थे, जबकि 300 रुपए ऊपर तक जाते थे। इसमें एक बड़े नेता का नाम भी सामने आ रहा है।
सूत्रों के मुताबिक हर साल जबलपुर जिले के किसान लाखों बोरों का धान व गेहूं विपणन संघ के जरिए बेचा करते थे। लिहाजा ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि सालों से चल रहे इस गोरखधंधे में अरबों का गड़बड़झाला होने का अनुमान है।
सूत्रों के मुताबिक धान-गेहूं की खरीदी से जुड़े ठेकेदार, व्यापारी और कर्मचारी गुमनाम फोन के सभी जगह इस बड़े भ्रष्टाचार की सूचनाएं पहुंचा रहे हैं। जिसके चलते प्रदेश के लोकायुक्त जस्टिस पीपी नावलेकर ने भी जांच दल को निर्देश दिए हैं कि इस मामले में अब तक जो भी जांच हुई उसकी रिपोर्ट उनके शहर पहुंचने पर सौंपी जाए।
हर काम में लेते थे कमीशन
लोकायुक्त जांच दल के पास शुक्रवार को एक दर्जन से अधिक ऐसी शिकायतें पहुंचीं हैं, जिसमें बघेल और राय के भ्रष्टाचार की करतूतें सामने आई हैं। सूत्रों के अनुसार धान-गेहूं की खरीदी, तुलाई, भंडारण, परिवहन, ठेका और रिकवरी तक में दोनों अधिकारियों ने अपना कमीशन बांध रखा था। रिश्वत का पैसा चपरासी से लेकर उच्च पदों पर आसीन अफसरों और कृषि मंडी से जुड़े सभी नेताओं के पास पहुंचता था।
बघेल ने खोजे रिश्वत के नए सिस्टम
विपणन संघ में एनपी राय लिपिक के पद पर सालों से पदस्थ है लेकिन साल 2012 में पीयूष बघेल ने वरिष्ठ सहायक अधिकारी बनते ही रिश्वतखोरी के नए-नए तरीके शुरू हो गए थे।
सम्पत्तियों की जांच शुरू
जांच दल ने शुक्रवार को बघेल और राय के घर व दफ्तरों से जब्त दस्तावेजों से उनकी सम्पत्ति, बैंक खातों के साथ आय के जरियों को खोजना शुरू कर दिया है। सूत्र बताते हैं कि जल्द ही दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के साथ आय से अधिक सम्पत्ति रखने का मामला भी दर्ज हो सकता है।
क्या है मामला
गुरुवार को गोंदिया महाराष्ट्र के राइस मिल मालिक मुकेश कालड़ा की शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने विपणन संघ के वरिष्ठ सहायक अधिकारी पीयूष बघेल और क्षेत्र अधिकारी एनपी राय को 3 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ ट्रेप किया था। दोनों आरोपियों ने मुकेश कालड़ा से उसके डेढ़ करोड़ रुपए वापस करने के नाम पर 12 लाख की रिश्वत मांगी थी, जिसका एडवांस डेढ़ लाख रुपया वे दोनों पहले ही ले चुके थे। बाकी की रकम किश्तों में ली जा रही थी।
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