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प्रदेश के 1600 प्राइवेट स्कूलों के करीब 2 लाख विद्यार्थी प्राइवेट छात्र के रूप में हाई स्कूल और हायर सेकंडरी परीक्षा में शामिल होगे. यह खबर जब छात्रों के घर पहुंची, तो हंगामा खड़ा हो गया. अभिभावकों का कहना था कि स्कूल वालो ने बच्चो का भविष्य बर्वाद कर दिया. जब उन्होंने स्कूल प्रबंधन पर चढाई की, तो स्कूल संचालनालय और मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल के खिलाफ सक्रीय हो गए है. वे प्रदेश व्यापी आंदोलन की चेतावनी दे रहे है.
इस मामले में छात्रों का सिर्फ इतना कुसूर है कि उन्होंने इन स्कूलों में पढ़ाई और यह भी नहीं देखा कि उन्होंने इन स्कूलों में पढ़ाई की और यह भी नहीं देखा कि स्कूल की मान्यता मिली भी या नहीं. चुकी मंडल ने इस बार एक जुलाई से ही परीक्षा फॉर्म भरवा लिए थे. इस लिए सभी छात्रों ने नियमित परीक्षाओ के रूप में फॉर्म भरे है. महज 9 दिन बाद (एक मार्च को) हायर सेकंडरी और 10 दिन बाद हाई स्कूल परीक्षा शुरू हो रही है. परीक्षा के ठीक पहले छात्रों के घर पहुंची इस खबर ने छात्रों और उनके अभिभावकों का तनाव बड़ा दिया है. बच्चे का साल भर स्कूल भेजने और पूरी फीस देने के बाद उसे परीक्षा में प्राइवेट छात्र के रूप में बैठना पद रहा है. नाराज अभिभावक स्कूल संचालको पर गुस्सा निकल रहे है, क्योकि मान्यता ख़त्म होने के बाद भी वे अब तक छात्रों को प्राइवेट करने की बात को दवाये बैठे थे.
अधिनियम में अस्थाई मान्यता का प्रावधान नहीं
स्कूल शिक्षा विभाग ने पहली बार हाई स्कूल व हायर सेकंडरी की मान्यता देने के अधिकार कलेक्टर को दिए है. जबकि जिला शिक्षा अधिकारियो (डीडीओ) को मान्यता वृद्धि के अधिकार है. सभी डीडीओ ने आसानी से मान्यता वृद्धि कर दी जब वे फाइले कलेक्टरों के पास पहुंची, तो प्रदेश में 1492 प्रकरण निरस्त कर दिए गए.
प्रदेश के 1600 प्राइवेट स्कूलों के करीब 2 लाख विद्यार्थी प्राइवेट छात्र के रूप में हाई स्कूल और हायर सेकंडरी परीक्षा में शामिल होगे. यह खबर जब छात्रों के घर पहुंची, तो हंगामा खड़ा हो गया. अभिभावकों का कहना था कि स्कूल वालो ने बच्चो का भविष्य बर्वाद कर दिया. जब उन्होंने स्कूल प्रबंधन पर चढाई की, तो स्कूल संचालनालय और मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल के खिलाफ सक्रीय हो गए है. वे प्रदेश व्यापी आंदोलन की चेतावनी दे रहे है.
इस मामले में छात्रों का सिर्फ इतना कुसूर है कि उन्होंने इन स्कूलों में पढ़ाई और यह भी नहीं देखा कि उन्होंने इन स्कूलों में पढ़ाई की और यह भी नहीं देखा कि स्कूल की मान्यता मिली भी या नहीं. चुकी मंडल ने इस बार एक जुलाई से ही परीक्षा फॉर्म भरवा लिए थे. इस लिए सभी छात्रों ने नियमित परीक्षाओ के रूप में फॉर्म भरे है. महज 9 दिन बाद (एक मार्च को) हायर सेकंडरी और 10 दिन बाद हाई स्कूल परीक्षा शुरू हो रही है. परीक्षा के ठीक पहले छात्रों के घर पहुंची इस खबर ने छात्रों और उनके अभिभावकों का तनाव बड़ा दिया है. बच्चे का साल भर स्कूल भेजने और पूरी फीस देने के बाद उसे परीक्षा में प्राइवेट छात्र के रूप में बैठना पद रहा है. नाराज अभिभावक स्कूल संचालको पर गुस्सा निकल रहे है, क्योकि मान्यता ख़त्म होने के बाद भी वे अब तक छात्रों को प्राइवेट करने की बात को दवाये बैठे थे.
अधिनियम में अस्थाई मान्यता का प्रावधान नहीं
स्कूल शिक्षा विभाग ने पहली बार हाई स्कूल व हायर सेकंडरी की मान्यता देने के अधिकार कलेक्टर को दिए है. जबकि जिला शिक्षा अधिकारियो (डीडीओ) को मान्यता वृद्धि के अधिकार है. सभी डीडीओ ने आसानी से मान्यता वृद्धि कर दी जब वे फाइले कलेक्टरों के पास पहुंची, तो प्रदेश में 1492 प्रकरण निरस्त कर दिए गए.
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