अवधेश पुरोहित @ present by - Toc news
भोपाल। सिंहस्थ चाहे उज्जैन में हो या इलाहाबाद में मगर हर सिंहस्थ में ५०० क्विंटल से ज्यादा गांजा लगता है, इसका इंतजाम भी ऊपर वाला ही करता है इस तरह का कहना है राजस्थान से आये महामण्डलेश्वर रविकरण दास जी का उन्हें चिलम बाबा भी कहा जाता है, यूं तो साधु-संतों की दुनिया ही निराली है जो चिलम न पिए वह साधु काहे का आखिर साधु लोग चिलम क्यों पीते हैं आम धारणा तो यह है कि नशा करने की आदत होती है इसलिये साधु-संत चिलम पीते हैं मगर महामण्डलेश्वर ने इस संबंध में खुलासा करते हुए बताया कि चिलम पीने की वजह क्या होती है और क्यों हर साधु चिलम पीता है, राजस्थान के खाटु श्याम आश्रम से आए महामण्डलेश्वर रविकरण दास ने बताया कि जब मंत्रों से सिद्धि की जाती है यक्ष और गंधर्व जैसी शक्तियां कोशिश करती हैं कि साधक अपनी सिद्धि को सफल न कर पाए इसके लिये तरह-तरह के प्रयास करती है कि साधक की मानसिक स्थिति बिगड़े ध्यान लगाने के लिए सिद्धि साधना करने के लिये साधक चिलम पीता है वरना यक्ष और गंधर्व दिमाग को बिगाड़ देते हैं साधु के चिलम पीने का यही सबसे बड़ा कारण है गांजा कहां से आता है इस बात पर रविकरण दास का कहना है कि वह अपने आप कहां से यह पता नहीं, एक साधु एक दिन में पचास ग्राम से ज्यादा गांजा पीता है और पचास ग्राम में नौ चिलमें बनती हैं उन्होंने बताया कि सिंहस्थ में क्विंटलों से गांजा आता है लगभग ५०० क्विंटल गांजे की खपत सिंहस्थ में होती है, क्या यह व्यवस्था सरकार द्वारा की जाती है इस प्रश्न को बड़ी खूबसूरती से टालते हुए वह कहते हैं कि व्यवस्था तो ऊपर वाला करता है।
भोपाल। सिंहस्थ चाहे उज्जैन में हो या इलाहाबाद में मगर हर सिंहस्थ में ५०० क्विंटल से ज्यादा गांजा लगता है, इसका इंतजाम भी ऊपर वाला ही करता है इस तरह का कहना है राजस्थान से आये महामण्डलेश्वर रविकरण दास जी का उन्हें चिलम बाबा भी कहा जाता है, यूं तो साधु-संतों की दुनिया ही निराली है जो चिलम न पिए वह साधु काहे का आखिर साधु लोग चिलम क्यों पीते हैं आम धारणा तो यह है कि नशा करने की आदत होती है इसलिये साधु-संत चिलम पीते हैं मगर महामण्डलेश्वर ने इस संबंध में खुलासा करते हुए बताया कि चिलम पीने की वजह क्या होती है और क्यों हर साधु चिलम पीता है, राजस्थान के खाटु श्याम आश्रम से आए महामण्डलेश्वर रविकरण दास ने बताया कि जब मंत्रों से सिद्धि की जाती है यक्ष और गंधर्व जैसी शक्तियां कोशिश करती हैं कि साधक अपनी सिद्धि को सफल न कर पाए इसके लिये तरह-तरह के प्रयास करती है कि साधक की मानसिक स्थिति बिगड़े ध्यान लगाने के लिए सिद्धि साधना करने के लिये साधक चिलम पीता है वरना यक्ष और गंधर्व दिमाग को बिगाड़ देते हैं साधु के चिलम पीने का यही सबसे बड़ा कारण है गांजा कहां से आता है इस बात पर रविकरण दास का कहना है कि वह अपने आप कहां से यह पता नहीं, एक साधु एक दिन में पचास ग्राम से ज्यादा गांजा पीता है और पचास ग्राम में नौ चिलमें बनती हैं उन्होंने बताया कि सिंहस्थ में क्विंटलों से गांजा आता है लगभग ५०० क्विंटल गांजे की खपत सिंहस्थ में होती है, क्या यह व्यवस्था सरकार द्वारा की जाती है इस प्रश्न को बड़ी खूबसूरती से टालते हुए वह कहते हैं कि व्यवस्था तो ऊपर वाला करता है।
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