अवधेश पुरोहित
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले कुछ दिनों से अपनी खेती से हो रही फसल जिसमें अनार, मौसंबी, मटर, मिर्ची, शिमला मिर्च, लौकी और प्याज आदि की खेती और उससे लाभ को लेकर नित्य नये-नये खुलासे कर रहे हैं, वह इस तरह के खुलासे ऐसे समय कर रहे हैं जबकि प्रदेश का अधिकांश किसान पिछले चार वर्षों से उन पर पड़ रही मार झेल रहे हैं और आज भी यह स्थिति है कि प्रदेश के अधिकांश जिलों में किसानों को न तो खाद, बिजली और खेतों की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अपनी खेती के उत्पाद को लेकर एक तरह से किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं, हालांकि उनके इस तरह के बढ़ा-चढ़ाकर दावे करने को लेकर लोगों की अलग-अलग राय है
एक तरफ तो लोग यह कहते नजर आ रहे हैं कि शिवराज अकेले ही इस प्रदेश में वह राजनेता नहीं हैं जिनके यहां खेती में लगातार लाभ हो रहा है और ऐसे भी पहले कई नेता हुए हैं जिनकी खेती हमेशा लाभ की रही लेकिन आजतक उन्होंने अपनी खेती किसानी को लेकर रोज-रोज नये-नये खुलासे नहीं किये तो वहीं लोगों की राय है कि मुख्यमंत्री यह दावे ठीक उन टैक्स चोरों की तरह कर रहे हैं जिन्होंने प्रदेश में लगातार खेती किसानी में पड़ी मौसम की मार से नुकसान ही नुकसान झेला है, मगर उनके द्वारा जो आयकर का रिटर्न भरा गया है उसमें उनके द्वारा अपने खेतों में कहीं मूंग तो कहीं फूल तो कहीं सब्जियां को लेकर कई कृषि उत्पादों से भारी मुनाफा होने का दावा करते हुए आयकर में फार्म भरे हैं, यदि आयकर द्वारा ठीक से पूरे प्रदेश के उन आयकरदाताओं के द्वारा भरे गये फार्मों की जांच कराई जाए तो ऐसे एक नहीं अनेकों मामले उजागर होंगे जिनमें आयकरदाताओं द्वारा अपनी खेती को लाभ का धंधा बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने आयकर रिटर्न में उनके खेती में हो रही लगातार उन्नति और उससे लाभ को लेकर किस तरह का विवरण देते हैं, यह तो आयकर रिटर्न फार्म देखकर ही पता चलता है लेकिन इसी बीच कुछ लोग यह मांग करते नजर आ रहे हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पिछले चार वर्षों के दौरान हुई खेती-किसानी से हुई आय का ब्यौरा प्रदेश की जनता के समक्ष रखना चाहिए जिससे यह साफ हो जाएगा कि वह जिस तरह के दावे कर रहे हैं उनमें कितनी सच्चाई है,
कुल मिलाकर मुख्यमंत्री के इस तरह के दावों से जहां प्रदेश का किसानों के जख्म पर नमक छिड़कने का काम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किया जा रहा है इसको लोग उचित नहीं मान रहे हैं तो वहीं लोग यह मांग भी करते नजर आ रहे हैं कि यदि वास्तव में मुख्यमंत्री के फार्म हाउस में दिन प्रतिदिन प्रगति नजर आ रही है और वह उन्नत खेती करने की दिशा में लगे हुए हैं तो इस तरह की उन्नत खेती का जायजा प्रदेशभर के किसानों को अपने फार्म हाउस पर लाकर देने की योजना बनाएं जिससे वह उनके द्वारा की जा रही खेती वह भी ऐसे समय में जबकि प्रदेश के किसान लगातार चार वर्षों से मौसम की मार झेल रहे हैं और ऐसे में मुख्यमंत्री की खेती लगातार लाभ का धंधा बन रही है, लोग यह भी कहते नजर आ रहे हैं
कि मुख्यमंत्री जब अपनी खेती का बड़ाचढ़ाकर आंकड़े देते हैं तो उन्हें यह भी बताने में संकोच नहीं करना चाहिए कि उनकी खेती की पूरी देखभाल कृषि विभाग के अधिकारियों और कृषि विशेषज्ञों की देखरेख में की जा रही है, जबकि प्रदेश के किसानों को यह सब नसीब नहीं है, कुल मिलाकर मुख्यमंत्री के इस तरह के अपनी खेती किसानी के दावों को लेकर लोगों में तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं तो एक तरफ लोग यह कहते नजर आ रहे हैं कि मुख्यमंत्री का यह कृत्य किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा नहीं है तो वहीं दूसरी ओर लोगों की यह राय है कि मुख्यमंत्री के इस तरह के दावे टैक्स चोरों की संज्ञा में नहीं आते, मामला जो भी हो यह वही जाने लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा लगातार अपनी खेती किसानी के बारे में किये जा रहे खुलासों से लोगों में तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले कुछ दिनों से अपनी खेती से हो रही फसल जिसमें अनार, मौसंबी, मटर, मिर्ची, शिमला मिर्च, लौकी और प्याज आदि की खेती और उससे लाभ को लेकर नित्य नये-नये खुलासे कर रहे हैं, वह इस तरह के खुलासे ऐसे समय कर रहे हैं जबकि प्रदेश का अधिकांश किसान पिछले चार वर्षों से उन पर पड़ रही मार झेल रहे हैं और आज भी यह स्थिति है कि प्रदेश के अधिकांश जिलों में किसानों को न तो खाद, बिजली और खेतों की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अपनी खेती के उत्पाद को लेकर एक तरह से किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं, हालांकि उनके इस तरह के बढ़ा-चढ़ाकर दावे करने को लेकर लोगों की अलग-अलग राय है
एक तरफ तो लोग यह कहते नजर आ रहे हैं कि शिवराज अकेले ही इस प्रदेश में वह राजनेता नहीं हैं जिनके यहां खेती में लगातार लाभ हो रहा है और ऐसे भी पहले कई नेता हुए हैं जिनकी खेती हमेशा लाभ की रही लेकिन आजतक उन्होंने अपनी खेती किसानी को लेकर रोज-रोज नये-नये खुलासे नहीं किये तो वहीं लोगों की राय है कि मुख्यमंत्री यह दावे ठीक उन टैक्स चोरों की तरह कर रहे हैं जिन्होंने प्रदेश में लगातार खेती किसानी में पड़ी मौसम की मार से नुकसान ही नुकसान झेला है, मगर उनके द्वारा जो आयकर का रिटर्न भरा गया है उसमें उनके द्वारा अपने खेतों में कहीं मूंग तो कहीं फूल तो कहीं सब्जियां को लेकर कई कृषि उत्पादों से भारी मुनाफा होने का दावा करते हुए आयकर में फार्म भरे हैं, यदि आयकर द्वारा ठीक से पूरे प्रदेश के उन आयकरदाताओं के द्वारा भरे गये फार्मों की जांच कराई जाए तो ऐसे एक नहीं अनेकों मामले उजागर होंगे जिनमें आयकरदाताओं द्वारा अपनी खेती को लाभ का धंधा बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने आयकर रिटर्न में उनके खेती में हो रही लगातार उन्नति और उससे लाभ को लेकर किस तरह का विवरण देते हैं, यह तो आयकर रिटर्न फार्म देखकर ही पता चलता है लेकिन इसी बीच कुछ लोग यह मांग करते नजर आ रहे हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पिछले चार वर्षों के दौरान हुई खेती-किसानी से हुई आय का ब्यौरा प्रदेश की जनता के समक्ष रखना चाहिए जिससे यह साफ हो जाएगा कि वह जिस तरह के दावे कर रहे हैं उनमें कितनी सच्चाई है,
कुल मिलाकर मुख्यमंत्री के इस तरह के दावों से जहां प्रदेश का किसानों के जख्म पर नमक छिड़कने का काम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किया जा रहा है इसको लोग उचित नहीं मान रहे हैं तो वहीं लोग यह मांग भी करते नजर आ रहे हैं कि यदि वास्तव में मुख्यमंत्री के फार्म हाउस में दिन प्रतिदिन प्रगति नजर आ रही है और वह उन्नत खेती करने की दिशा में लगे हुए हैं तो इस तरह की उन्नत खेती का जायजा प्रदेशभर के किसानों को अपने फार्म हाउस पर लाकर देने की योजना बनाएं जिससे वह उनके द्वारा की जा रही खेती वह भी ऐसे समय में जबकि प्रदेश के किसान लगातार चार वर्षों से मौसम की मार झेल रहे हैं और ऐसे में मुख्यमंत्री की खेती लगातार लाभ का धंधा बन रही है, लोग यह भी कहते नजर आ रहे हैं
कि मुख्यमंत्री जब अपनी खेती का बड़ाचढ़ाकर आंकड़े देते हैं तो उन्हें यह भी बताने में संकोच नहीं करना चाहिए कि उनकी खेती की पूरी देखभाल कृषि विभाग के अधिकारियों और कृषि विशेषज्ञों की देखरेख में की जा रही है, जबकि प्रदेश के किसानों को यह सब नसीब नहीं है, कुल मिलाकर मुख्यमंत्री के इस तरह के अपनी खेती किसानी के दावों को लेकर लोगों में तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं तो एक तरफ लोग यह कहते नजर आ रहे हैं कि मुख्यमंत्री का यह कृत्य किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा नहीं है तो वहीं दूसरी ओर लोगों की यह राय है कि मुख्यमंत्री के इस तरह के दावे टैक्स चोरों की संज्ञा में नहीं आते, मामला जो भी हो यह वही जाने लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा लगातार अपनी खेती किसानी के बारे में किये जा रहे खुलासों से लोगों में तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं।
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