अवधेश पुरोहित @ toc news
भोपाल. सौभाग्य ही कहें या संयोग कि
१९९८ में तत्कालीन संगठन मंत्री के रूप में जब मोदी इस प्रदेश के प्रभारी थे तो उस समय यह चचा्र आम थी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के गुरु पूर्व मुख्यमंत्री और सुन्दरलाल पटवा और उनके गुट द्वारा मोदी को असहयोग किया
जा रहा है, यही नहीं जो पत्रकार मोदी के पास घण्टों अपनी बैठकें लगाया करते थे उनको को भी संगठन मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस तरह की खबरें परोसी जाती थीं। प्रदेश का नागरिक यह भी जानता है कि १९९८ में प्रदेश में
कांग्रेस के खिलाफ चहुंओर माहौल था और राज्य के मतदाताओं में परिवर्तन की
लहर चल रही थी, लेकिन केवल और केवल उमा भारती की तरह किसी राजनेता को उसकी पहल करने की जरूरत थी, लेकिन पटवा के और उसके गुट और मोदी के बीच
चले इस तरह के असहयोग के कारण प्रदेश में २००३ के पहले भाजपा की सरकार नहीं बन पाई, मामला जो भी हो यह तो पटवा और मोदी जानें लेकिन हाल ही में सुन्दरलाल पटवा के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र सीहोर में उनके ही चेले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा नरेन्द्र मोदी का जो आत्मीय
स्वागत शेरपुरा में किया गया उसे देखकर राजनीतिक लोगों में यह चर्चा चल पड़ी कि क्या बात है एक समय था जब पटवा और मोदी में सामंजस्य नहीं बैठ
रहा था लेकिन आज शिवराज और मोदी में क्या सामंजस्य दिखाई दे रहा है। तो
वहीं यह चर्चा भी आम थी कि इसे कहते हैं राजनीतिक सूझबूझ भले ही २०१४ के
लोकसभा चुनाव के पूर्व शिवराज सिंह चौहान को पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं
के द्वारा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाये जाने की जुगत लगाई हो
लेकिन संघ और नरेन्द्र मोदी की रणनीति के चलते उन नेताओं की नहीं चल पाई
और वह आज हाशिये में हैं, लेकिन उन्हीं नेताओं के द्वारा शिवराज को जो
प्रधानमंत्री बनने का सपना दि खाया था भले ही वह आज भी शिवराज के मन में
कहीं न कहीं उछाल जरूर मार रहा होगा, लेकिन जब बात मोदी के आत्मतीय
स्वागत करने की आई तो उन्होंने उसमें कोई कसर नहीं छोड़ी तो वहीं इस
आत्मीय स्वागत में यह भी नजर आया कि जहां शिवराज ने मोदी की तारीफ के
कसीदे पढऩे में कोई कसर नहीं छोड़ी तो वहीं मोदी ने भी सबकुछ भुलाकर
शिवराज की भी जमकर तारीफ करने का कोई मौका अपनी तरफ से नहीं जाने दिया।
यह सब देख लोग यह कहने में नहीं चूके कि इसे कहते हैं कि करो क्रंदन करें
अभिनंदन आप हमारा हम आपका। कुल मिलाकर १८ वर्षों बाद पटवा के पूर्व
निर्वाचन क्षेत्र में १८ फरवरी को हुए इस आत्मीय सम्मान को देखकर लोगों
में तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त थीं।
भोपाल. सौभाग्य ही कहें या संयोग कि
१९९८ में तत्कालीन संगठन मंत्री के रूप में जब मोदी इस प्रदेश के प्रभारी थे तो उस समय यह चचा्र आम थी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के गुरु पूर्व मुख्यमंत्री और सुन्दरलाल पटवा और उनके गुट द्वारा मोदी को असहयोग किया
जा रहा है, यही नहीं जो पत्रकार मोदी के पास घण्टों अपनी बैठकें लगाया करते थे उनको को भी संगठन मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस तरह की खबरें परोसी जाती थीं। प्रदेश का नागरिक यह भी जानता है कि १९९८ में प्रदेश में
कांग्रेस के खिलाफ चहुंओर माहौल था और राज्य के मतदाताओं में परिवर्तन की
लहर चल रही थी, लेकिन केवल और केवल उमा भारती की तरह किसी राजनेता को उसकी पहल करने की जरूरत थी, लेकिन पटवा के और उसके गुट और मोदी के बीच
चले इस तरह के असहयोग के कारण प्रदेश में २००३ के पहले भाजपा की सरकार नहीं बन पाई, मामला जो भी हो यह तो पटवा और मोदी जानें लेकिन हाल ही में सुन्दरलाल पटवा के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र सीहोर में उनके ही चेले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा नरेन्द्र मोदी का जो आत्मीय
स्वागत शेरपुरा में किया गया उसे देखकर राजनीतिक लोगों में यह चर्चा चल पड़ी कि क्या बात है एक समय था जब पटवा और मोदी में सामंजस्य नहीं बैठ
रहा था लेकिन आज शिवराज और मोदी में क्या सामंजस्य दिखाई दे रहा है। तो
वहीं यह चर्चा भी आम थी कि इसे कहते हैं राजनीतिक सूझबूझ भले ही २०१४ के
लोकसभा चुनाव के पूर्व शिवराज सिंह चौहान को पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं
के द्वारा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाये जाने की जुगत लगाई हो
लेकिन संघ और नरेन्द्र मोदी की रणनीति के चलते उन नेताओं की नहीं चल पाई
और वह आज हाशिये में हैं, लेकिन उन्हीं नेताओं के द्वारा शिवराज को जो
प्रधानमंत्री बनने का सपना दि खाया था भले ही वह आज भी शिवराज के मन में
कहीं न कहीं उछाल जरूर मार रहा होगा, लेकिन जब बात मोदी के आत्मतीय
स्वागत करने की आई तो उन्होंने उसमें कोई कसर नहीं छोड़ी तो वहीं इस
आत्मीय स्वागत में यह भी नजर आया कि जहां शिवराज ने मोदी की तारीफ के
कसीदे पढऩे में कोई कसर नहीं छोड़ी तो वहीं मोदी ने भी सबकुछ भुलाकर
शिवराज की भी जमकर तारीफ करने का कोई मौका अपनी तरफ से नहीं जाने दिया।
यह सब देख लोग यह कहने में नहीं चूके कि इसे कहते हैं कि करो क्रंदन करें
अभिनंदन आप हमारा हम आपका। कुल मिलाकर १८ वर्षों बाद पटवा के पूर्व
निर्वाचन क्षेत्र में १८ फरवरी को हुए इस आत्मीय सम्मान को देखकर लोगों
में तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त थीं।
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