गुर्दे के रोग आम की बनावट गुर्दे जैसी होती है। नित्य आम खाने से गुर्दे की दुर्बलता दूर हो जाती है। अंगूर की बेल के ३० ग्राम पत्तों को पीसकर पानी मिलाकर छानकर नमक मिलाकर पीने से गुर्दे के दर्द में आराम मिलता है। लौकी के टुकड़े को गर्म करके दर्द वाले स्थान पर इसके रस की मालिश करने से और लेप करने से आराम मिलता है।
मूत्रजलन — इलायची और आंवले का चूर्ण समान भाग में मिलाकर पानी से पीने पर मूत्र की जलन ठीक होती है।
पेशाब की रुकावट — पलास के फूल सूखे या हरे पानी के साथ पीसकर थोड़ा सा कलमी शोरा मिलाकर नाभि के नीचे पेडू पर लगाने से ५.१० मिनट में पेशाब खुलकर आने लगता है।
पथरी — १ गिलास पानी में १ नींबू निचोडकर सेंधा नमक मिलाकर सुबह शाम दो बार नित्य १ माह तक पीने से पथरी पिघलकर निकल जाती है।
पथरी — कच्चे पालक के रस से लाभ होता है करेला वृक्क या मूत्राशय की पथरी को तोड़कर पेशाब को लाता है। इसके लिए दो करेले का रस रोज पिएं, सब्जी खायें। पेशाब में रक्त आना भी बंद हो जाएगा। जिन लोगों के गुर्दे और मसाने में पथरी है उनके लिए चावल बहुत हानिकारक है। मक्का के भुट्टे जलाकर राख कर लें और जौ को भी जलाकर राख कर दोनों को अलग—अलग शीशियों में भरकर रख दें। एक कप पानी में मक्का की राख दो चम्मच घोलें, फिर छानकर इस पानी को प्रात: पिएं। इससे पथरी गल जाती है। इसी प्रकार शाम को जौ की राख पिएं। २५० ग्राम खीरे का रस दिन में तीन बार नित्य पीना चाहिए। खीरे के रस को स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें एक चम्मच चासनी और आधा नींबू डाल दें। मूली के बीज ३५ ग्राम आधा किलो पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो छान कर पिएं, कुछ दिनों तक लेने से मूत्राशय की पथरी गल जाती है। निकल जाती है। मूली का रस २० ग्राम नित्य पियें तथा इसके पत्ते चबा—चबाकर खायें। ऐसा २—३ माह तक करने से लाभ होता है। ६ ग्राम मेंहदी के पत्ते ५०० ग्राम पानी से उबालकर जब १५० ग्राम पानी रह जाए तो छानकर गरम—गरम यह पानी पिलाएँ।
पेशाब में जलन — आधा गिलास चावल के माण्ड में चीनी मिलाकर पिलायें, इससे जलन दूर होगी। ताजे मक्के के भुट्टे पानी मेंं उबालकर उस पानी को छानकर मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है। कच्चे दूध में पानी मिलाकर रोज पिएं, लाभ होगा। पाँच बादाम की गिरी भिगोकर छीलकर इसमें सात छोटी इलाइची स्वादानुसार मिश्री मिलाकर पीसकर एक गिलास पानी में घोलकर पियें। ठंडे पानी या बर्फ के पानी में कपड़ा भिगोकर नाभि के नीचे बिछायें, रखें। लाभ होगा। अनार का शर्बत नित्य दो बार पियें। पेशाब की जलन ठीक हो जायेगी। फालसा पेशाब की जलन को दूर करता है।
बहुमूत्रता — पिसी हुई हल्दी को एक—एक चम्मच सुबह—शाम लेने से लाभ होता है। तीन आँवलों का रस पानी में मिलाकर सुबह—शाम चार दिन पीने से बार—बार पेशाब जाना बंद हो जाता है। एक केला खाकर आँवले के रस में शक्कर मिलाकर पिएं। लाभ होगा। अकेला केला खाने से भी लाभ होता है। सेब खाने से रात को बार—बार पेशाब जाना बंद हो जाता है। बूढ़े आदमी बार—बार पेशाब जाते हों तो नित्य छुआरे खिलायें। रात को छुआरे खाकर दूध पिएं। रात को बार—बार पेशाब जाना शाम को पालक की सब्जी खाने से कम हो जाता है। एक छटाँक भुने, सिके चने खाकर, ऊपर से थोड़ा सा गुड खायें। दस दिन लगातार खाने से बहुमूत्रता कम हो जाती है। वृद्धों को अधिक दिन तक यह सेवन करना चाहिए। २५० ग्राम गाजर का रस नित्य तीन बार पिएं। पेशाब का रंग पीला हो तो शहतूत के रस में शक्कर मिलाकर पीने से रंग साफ हो जाता है।
पेशाब रुकना — हरे धनिए की पत्तियों का रस दो तोले और एक तोला शक्कर मिलाकर दें यदि एक बार देने से लाभ न हो तो दोबारा दें। गर्म दूध में गुड मिलाकर पीने से मूत्राशय के रोगों में लाभ होता है। यह नित्य एक गिलास दो बार पिएं। गुर्दे की खराबी से यदि पेशाब बनना बंद हो जाए तो मूली का रस दो औंस प्रति मात्रा पीने से वह फिर बनने लगता है। नींबू के बीजों को पीसकर नाभि पर रखकर ठण्डा पानी डालें। रुका हुआ पेशाब होने लगता है। जीरा और चीनी—दोनों को समान मात्रा में पीसकर दो चम्मच फंकी लेने से लाभ होता है। रोज दो बार ५० ग्राम नारियल खाने से लाभ होता है। ककड़ी का रस लेने से मूत्र अधिक मात्रा में आता है। खरबूजा लेने से भी लाभ होता है। केले के तने का रस चार चम्मच, घी दो चम्मच मिलाकर नित्य दो बार पिलाने से पेशाब खुलकर आता है। मूत्रकृच्छ (पेशाब में रक्त आना और रुकावट) रात को कोरी हाँडी में आधा किलो उबलता हुआ पानी भर कर उसमें तीस ग्राम अधकचरा कुटा हुआ धनिया डालना।
मधुमेह — पेशाब के साथ जब चीनी जैसा मधु पदार्थ निकलता है, तो उसे मधुमेह कहते हैं।
लक्षण — मधुमेह की उत्पत्ति का कारण अग्न्याशय (पेनक्रियाज) में उत्पन्न होने वाले तत्व इन्सुलिन की कमी माना जाता है। मूत्र और रक्त की जाँच से दोनों में शर्करा आना इसका सही निदान है। अधिक प्यास, अधिक भूख लगना, बार—बार पेशाब जाना, बार—बार फोड़े—फुंसी होना, घाव न भरना, पैरों में दर्द, नेत्र दृष्टि में गिरावट, कब्ज रहना, टी. बी., शर्करा अधिक बढ़ने पर दुर्बलता, घबराहट, रक्त संचार की वृद्धि, बेहोशी होती है। सिर—दर्द, कब्जी, चमड़ा सूखा, खुदखुश खुजली, घावों का न भरना आदि मधुमेह के लक्षण हैं। मधुमेह के रोगी को मीठी चीजें जैसे—चीनी, गुड़, मिश्री, मीठे फल, चावल, मैदा की बनी चीजें नहीं खानी चाहिए। शारीरिक व्यायाम, भ्रमण, अल्पभोजन करना लाभदायक है। अगर मधुमेह कन्ट्रोल में नहीं है जौ, चना, गेहूं (तीन किलो जौ, एक किलो गेहूँ, आधा किलो चना को मिलाकर पिसवा लें) इसकी रोटियाँ खानी चाहिए। करेले की सब्जी या कच्चा करेला या जामुन खाना चाहिए। डायबिटीज में कमजोरी मालूम पड़ने लगती है। कमजोरी दूर करने के लिए हरा कच्चा नारियल चबायें। काजू, मूँगफली और अखरोट भिगाेकर खाएँ। प्यास अधिक होने पर पानी में नींबू निचोड़कर पिलाने से लाभ होता है। यह तीन बार नित्य पिएं। ताजे आँवलों के चार चम्मच रस में एक चम्मच गुड़ की चासनी मिलाकर खाने से लाभ होता है। जामुन का सेवन रोज करना चाहिए। जामुन की गुठली का चूर्ण आधा चम्मच शाम को पानी के साथ लेने से पेशाब में शर्करा आना ठीक हो जाता है। जामुन की गुठली और करेले सुखाकर समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें और एक चम्मच सुबह शाम पानी से फंकी लें। १५ ग्राम करेले का रस, १०० ग्राम पानी में करीब ३ महीने पिलाना चाहिए। छाया में सुखाए हुए करेलों का चूर्ण ६ ग्राम दिन में एक बार लेने से मूत्र में शर्करा आना बंद हो जाती है। भिन्डी के डॉड काट लें। इन डॉडों को छाया में सुखाकर कूटकर मैदा की छलनी से छान लें। इसमें समान मात्रा में मिश्री मिलाकर आधा चम्मच भूखे पेट ठंडे पानी से रोज लें लाभ होगा। दाना मेथी ६० ग्राम बारीक पीसकर एक गिलास पानी में भिगों दें। इसे १२ घंटे बाद छानकर पिएं। इस प्रकार सुबह शाम दो बार नित्य ६ सप्ताह पिलाने से लाभ होता है। रात को आधा छटाँक काले चने दूध में भिगो दें और सबेरे खायें। केवल चने की रोटी सुबह शाम खाने से लाभ होता है।
अधिक पेशाब — यदि बार—बार और अधिक मात्रा में पेशाब आए, प्यास लगे तो आठ ग्राम पिसी हुई हल्दी नित्य दो बार पानी से फंकी लें। लाभ होगा। एक कप तेज गर्म पानी में से आधा कप पानी अलग लेकर इसमें गुलाबी रंग के सदाबहार के तीन फूल पाँच मिनट तक पड़े रहने दें। पाँच मिनट बाद फूल निकाल कर फेंक दें और पानी नित्य सात दिन पिएं और आधा कप गरम पानी और पिएं, लाभ होगा।
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