Toc news @ Present byप्रोस्टेट एक छोटी सी ग्रंथि होती है जिसका आकार अ्खरोट के बराबर होता है। यह पुरुष के मूत्राषय के नीचे और मूत्रनली के आस-पास होती है। ५० की आयु के बाद बहुधा प्रोस्टेट ग्रन्थि का आकार बढने लगता है।इसमें पुरुष के सेक्स हार्मोन प्रमुख भूमिका होती है। जैसे ही प्रोस्टेट बढती है मूत्र नली पर दवाब बढता है और पेशाब में रुकावट की स्थिति बनने लगती है। पेशाब पतली धार में ,थोडी-थौडी मात्रा में लेकिन बार-बार आता है कभी-कभी पेशाब टपकता हुआ बूंद बूंद जलन के साथ भी आता है। कभी-कभी पेशाब दो फ़ाड हो जाता है। रोगी मूत्र रोक नहीं पाता है। रात को बार -बार पेशाब के लिये उठना पडता जिससे नीद में व्यवधान पडता है। यह रोग ७० के उम्र के बाद उग्र हो जाता है। यह देखने में आया है कि ६० के पार ५०% पुरुषों और ७०-८० की आयु पार कर चुके लगभग ९०% पुरुषों में प्रोस्टेट वृद्धि के लक्षण दिखाई पडते हैं।
प्रोस्टेट वृद्धि के लक्षण--
१) पेशाब करने में कठिनाई मेहसूस होना।
२) थौडी २ देर में पेशाब की हाजत होना। रात को कई बार पेशाब के लिये उठना।
३) पेशाब की धार चालू होने में विलंब होना।
४) मूत्राषय पूरी तरह खाली नहीं होता है। मूत्र की कुछ मात्रा मूत्राषय में शेष रह जाती है। इस शेष रहे मूत्र में रोगाणु पनपते हैं।
५) मालूम तो ये होता है कि पेशाब की जोरदार हाजत हो रही है लेकिन बाथरूम में जाने पर बूंद-बूंद या रुक-रुक कर पेशाब होता है।
६) पेशाब में जलन मालूम पडती है।
७ ) पेशाब कर चुकने के बाद भी मूत्र की बूंदे टपकती रहती हैं, याने मूत्र पर नियंत्रण नहीं रहता।
८) अंडकोषों में दर्द उठता रहता है।
९) संभोग में दर्द के साथ वीर्य छूटता है।
इस बीमारी को नियंत्रित करने वाले कुछ घरेलू उपचार यहां प्रस्तुत कर रहा हूं जिनका समुचित प्रयोग करने से इस व्याधि से मुक्ति पाई जा सकती है।
१) दिन में ३-४ लिटर पानी पीने की आदत डालें। लेकिन शाम को ६ बजे बाद जरुरत मुताबिक ही पानी पियें ताकि रात को बार बार पेशाब के लिये न उठना पडे।.
२) अलसी को मिक्सर में चलाकर पावडर बनालें । यह पावडर २० ग्राम की मात्रा में पानी में घोलकर दिन में दो बार पीयें। बहुत लभदायक उपचार है।
३) कद्दू में जिन्क पाया जाता है जो इस रोग में लाभदायक है। कद्दू के बीज की गिरी निकालकर तवे पर सेक लें। इसे मिक्सर में पीसकर पावडर बनालें। यह चूर्ण २० से ३० ग्राम की मात्रा में नित्य पानी के साथ लेने से प्रोस्टेट सिकुडकर मूत्र खुलासा होने लगता है।
४) सोयाबीन में फ़ायटोएस्टोजीन्स होते हैं जो शरीर मे टेस्टोस्टरोन का लेविल कम करते हैं। रोज ३० ग्राम सोयाबीन के बीज गलाकर खाना लाभदायक उपचार है।
५) दो टमाटर प्रतिदिन अथवा हफ़्ते में कम से कम दो बार खाने से प्रोस्टेट केंसर का खतरा ५०% तक कम हो जाता है। इसमें पाये जाने वाले लायकोपिन और एन्टिआक्सीडेंट्स केंसर पनपने को रोकते हैं।
६) जिन्क एवं विटामिन डी३ प्रोस्टेट बढने की बीमारी में उत्तम परिणाम प्रस्तुत करते हैं। ३० एम जी जिन्क प्रतिदिन लेने से अच्छे परिणाम आते हैं। विटामिन डी३ याने केल्सीफ़ेर्रोल ६०० एम जी प्रतिदिन लेना चाहिये।
प्रोस्टेट वृद्धि के लक्षण--
१) पेशाब करने में कठिनाई मेहसूस होना।
२) थौडी २ देर में पेशाब की हाजत होना। रात को कई बार पेशाब के लिये उठना।
३) पेशाब की धार चालू होने में विलंब होना।
४) मूत्राषय पूरी तरह खाली नहीं होता है। मूत्र की कुछ मात्रा मूत्राषय में शेष रह जाती है। इस शेष रहे मूत्र में रोगाणु पनपते हैं।
५) मालूम तो ये होता है कि पेशाब की जोरदार हाजत हो रही है लेकिन बाथरूम में जाने पर बूंद-बूंद या रुक-रुक कर पेशाब होता है।
६) पेशाब में जलन मालूम पडती है।
७ ) पेशाब कर चुकने के बाद भी मूत्र की बूंदे टपकती रहती हैं, याने मूत्र पर नियंत्रण नहीं रहता।
८) अंडकोषों में दर्द उठता रहता है।
९) संभोग में दर्द के साथ वीर्य छूटता है।
इस बीमारी को नियंत्रित करने वाले कुछ घरेलू उपचार यहां प्रस्तुत कर रहा हूं जिनका समुचित प्रयोग करने से इस व्याधि से मुक्ति पाई जा सकती है।
१) दिन में ३-४ लिटर पानी पीने की आदत डालें। लेकिन शाम को ६ बजे बाद जरुरत मुताबिक ही पानी पियें ताकि रात को बार बार पेशाब के लिये न उठना पडे।.
२) अलसी को मिक्सर में चलाकर पावडर बनालें । यह पावडर २० ग्राम की मात्रा में पानी में घोलकर दिन में दो बार पीयें। बहुत लभदायक उपचार है।
३) कद्दू में जिन्क पाया जाता है जो इस रोग में लाभदायक है। कद्दू के बीज की गिरी निकालकर तवे पर सेक लें। इसे मिक्सर में पीसकर पावडर बनालें। यह चूर्ण २० से ३० ग्राम की मात्रा में नित्य पानी के साथ लेने से प्रोस्टेट सिकुडकर मूत्र खुलासा होने लगता है।
४) सोयाबीन में फ़ायटोएस्टोजीन्स होते हैं जो शरीर मे टेस्टोस्टरोन का लेविल कम करते हैं। रोज ३० ग्राम सोयाबीन के बीज गलाकर खाना लाभदायक उपचार है।
५) दो टमाटर प्रतिदिन अथवा हफ़्ते में कम से कम दो बार खाने से प्रोस्टेट केंसर का खतरा ५०% तक कम हो जाता है। इसमें पाये जाने वाले लायकोपिन और एन्टिआक्सीडेंट्स केंसर पनपने को रोकते हैं।
६) जिन्क एवं विटामिन डी३ प्रोस्टेट बढने की बीमारी में उत्तम परिणाम प्रस्तुत करते हैं। ३० एम जी जिन्क प्रतिदिन लेने से अच्छे परिणाम आते हैं। विटामिन डी३ याने केल्सीफ़ेर्रोल ६०० एम जी प्रतिदिन लेना चाहिये।
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