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नई दिल्ली। किंगफिशर के मालिक विजय माल्या के प्रस्ताव को 17 विभिन्न बैंकों के समूह ने ठुकरा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए माल्या से उनकी पूरी संपत्ति का खुलासा कोर्ट में करने के निर्देश दिए हैं। माल्या ने बैंकों को सितंबर तक 4,000 करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव रखा था।
हालांकि बैंकों द्वारा प्रस्ताव स्वीकार न करने की ख़बरें पहले ही आने लगीं थीं, लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने आधिकारिक तौर पर अपना निर्णय बता दिया। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बैंकों ने अपने फैसले को रखते हुए कहा, 'विजय माल्या के प्रस्ताव को पूरे सोच-विचार के बाद नकारा जाता है।'
बैंकों ने कहा कि एक सार्थक समझौते के लिए माल्या का प्रत्यक्ष रूप से मौजूद होना जरूरी है। वहीं सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि वह कोर्ट में पेश किए गए डॉक्युमेंट्स से संतुष्ट नहीं है। कोर्ट ने माल्या से उनकी पूरी चल-अचल संपत्ति का खुलासा कोर्ट में करने के लिए कहा है। इसके लिए उन्हें 21 अप्रैल तक का समय दिया गया है।
गौरतलब है कि विजय माल्या पर विभिन्न बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये बकाया है, जिसे समय पर न चुका पाने के चलते उन्होंने माल्या को विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर रखा है। कर्ज की रकम की वसूली को लेकर उपजे विवादों के बीच माल्या विदेश चले गए, जिसे कर्ज लौटाने की जिम्मेदारी से बचकर भागने के तौर पर देखा गया।
इस मामले के अदालत में आने के बाद माल्या के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कर्ज की कुल रकम में से 4,000 करोड़ रुपये सितंबर तक लौटाने का प्रस्ताव रखा था।
नई दिल्ली। किंगफिशर के मालिक विजय माल्या के प्रस्ताव को 17 विभिन्न बैंकों के समूह ने ठुकरा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए माल्या से उनकी पूरी संपत्ति का खुलासा कोर्ट में करने के निर्देश दिए हैं। माल्या ने बैंकों को सितंबर तक 4,000 करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव रखा था।
हालांकि बैंकों द्वारा प्रस्ताव स्वीकार न करने की ख़बरें पहले ही आने लगीं थीं, लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने आधिकारिक तौर पर अपना निर्णय बता दिया। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बैंकों ने अपने फैसले को रखते हुए कहा, 'विजय माल्या के प्रस्ताव को पूरे सोच-विचार के बाद नकारा जाता है।'
बैंकों ने कहा कि एक सार्थक समझौते के लिए माल्या का प्रत्यक्ष रूप से मौजूद होना जरूरी है। वहीं सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि वह कोर्ट में पेश किए गए डॉक्युमेंट्स से संतुष्ट नहीं है। कोर्ट ने माल्या से उनकी पूरी चल-अचल संपत्ति का खुलासा कोर्ट में करने के लिए कहा है। इसके लिए उन्हें 21 अप्रैल तक का समय दिया गया है।
गौरतलब है कि विजय माल्या पर विभिन्न बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये बकाया है, जिसे समय पर न चुका पाने के चलते उन्होंने माल्या को विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर रखा है। कर्ज की रकम की वसूली को लेकर उपजे विवादों के बीच माल्या विदेश चले गए, जिसे कर्ज लौटाने की जिम्मेदारी से बचकर भागने के तौर पर देखा गया।
इस मामले के अदालत में आने के बाद माल्या के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कर्ज की कुल रकम में से 4,000 करोड़ रुपये सितंबर तक लौटाने का प्रस्ताव रखा था।
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