Apr 06, 2016, toc News
बिजनौर। एनआईए ऑफिसर तंजील अहमद की हत्या मामले में बरेली जोन के आईजी का सफेद झूठ सामने आया है। आईजी ने दावा किया था की पुलिस सिर्फ पांच मिनट में घटना स्थल पर पहुंच गई थी, बता दें कि घटना स्थल से पुलिस चौकी की दूरी मात्र 200 मीटर है और इतनी दूरी तय करने में 1 से 2 मिनट का समय लगता है, लेकिन घटना के चश्मदीद जिसने सबसे पहले रात में 100 नंबर पर फोन कर पुलिस को हत्या की सूचना दी थी। उसका दावा है कि पुलिस आधे घंटे के बाद भी मौका ए वारदात पर नहीं पहुंची थी।
इतना ही नहीं चश्मदीद की मानें तो पुलिस ने घटना स्थल पर पहुंचने की बजाय सूचना देने वाले शख्स को ही थाने आने के लिए कहा था।
चश्मदीद के मुताबिक वह आधे घंटे तक पुलिस का इंतजार करता रहा और बाद में वही शख्स ज़ख़्मी ऑफिसर और उनकी पत्नी को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्योहारा पहुंचा।
वारदात के कुछ देर बाद तंजील के भाई रागिब घटना स्थल पर पहुंचते हैं और उसी दौरान सहसपुर के मीट प्लांट में बिहार के रहने वाले आलम अपनी गाड़ी से सहसपुर जा रहे थे तो डिप्टी एसपी की लड़की ने आलम की गाड़ी रुकवाकर मदद मांगी। आलम ने सबसे पहले इस हत्याकांड की सूचना स्योहारा थाने में 100 नंबर पर फोन करके दी, लेकिन उसके बाद आलम आधे घंटे तक पुलिस का इंतजार करता रहा। पुलिस तो नहीं आई, लेकिन पुलिस वालों का फोन आया और कहा कि तू अड्डे पर आकर पूरी बात बता इतना ही नहीं पुलिसवालों ने आलम के साथ फोन पर बदतमीजी भी की। आलम आधे घंटे तक पुलिस का इंतजार करने के बाद में तंजील और उनकी पत्नी फरजाना को लेकर स्योहारा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे।
लेकिन यहां आईजी साहब अपनी पुलिस का बचाव करते नजर आए। उधर इस घटना के बाद सबसे पहले डीआईजी और उनके बाद आईजी बरेली जॉन विजय मीणा घटना स्थल पर पहुंचे तो मीडिया के कड़वे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि पुलिस पांच मिनट में पहुंच गई थी। इस दौरान आईजी बरेली ने सफेद झूठ बोलकर अपनी पुलिस की पैरवी की। इतना ही नहीं सहसपुर के लोगों की मानें तो पुलिस ने घोर लापरवाही की थी। वहीं पुलिस की इतनी बड़ी लापरवाही पर आईजी साहब कार्यवाही करने की बजाय पुलिस का बचाव करते नजर आए।
बिजनौर। एनआईए ऑफिसर तंजील अहमद की हत्या मामले में बरेली जोन के आईजी का सफेद झूठ सामने आया है। आईजी ने दावा किया था की पुलिस सिर्फ पांच मिनट में घटना स्थल पर पहुंच गई थी, बता दें कि घटना स्थल से पुलिस चौकी की दूरी मात्र 200 मीटर है और इतनी दूरी तय करने में 1 से 2 मिनट का समय लगता है, लेकिन घटना के चश्मदीद जिसने सबसे पहले रात में 100 नंबर पर फोन कर पुलिस को हत्या की सूचना दी थी। उसका दावा है कि पुलिस आधे घंटे के बाद भी मौका ए वारदात पर नहीं पहुंची थी।
इतना ही नहीं चश्मदीद की मानें तो पुलिस ने घटना स्थल पर पहुंचने की बजाय सूचना देने वाले शख्स को ही थाने आने के लिए कहा था।
चश्मदीद के मुताबिक वह आधे घंटे तक पुलिस का इंतजार करता रहा और बाद में वही शख्स ज़ख़्मी ऑफिसर और उनकी पत्नी को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्योहारा पहुंचा।
वारदात के कुछ देर बाद तंजील के भाई रागिब घटना स्थल पर पहुंचते हैं और उसी दौरान सहसपुर के मीट प्लांट में बिहार के रहने वाले आलम अपनी गाड़ी से सहसपुर जा रहे थे तो डिप्टी एसपी की लड़की ने आलम की गाड़ी रुकवाकर मदद मांगी। आलम ने सबसे पहले इस हत्याकांड की सूचना स्योहारा थाने में 100 नंबर पर फोन करके दी, लेकिन उसके बाद आलम आधे घंटे तक पुलिस का इंतजार करता रहा। पुलिस तो नहीं आई, लेकिन पुलिस वालों का फोन आया और कहा कि तू अड्डे पर आकर पूरी बात बता इतना ही नहीं पुलिसवालों ने आलम के साथ फोन पर बदतमीजी भी की। आलम आधे घंटे तक पुलिस का इंतजार करने के बाद में तंजील और उनकी पत्नी फरजाना को लेकर स्योहारा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे।
लेकिन यहां आईजी साहब अपनी पुलिस का बचाव करते नजर आए। उधर इस घटना के बाद सबसे पहले डीआईजी और उनके बाद आईजी बरेली जॉन विजय मीणा घटना स्थल पर पहुंचे तो मीडिया के कड़वे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि पुलिस पांच मिनट में पहुंच गई थी। इस दौरान आईजी बरेली ने सफेद झूठ बोलकर अपनी पुलिस की पैरवी की। इतना ही नहीं सहसपुर के लोगों की मानें तो पुलिस ने घोर लापरवाही की थी। वहीं पुलिस की इतनी बड़ी लापरवाही पर आईजी साहब कार्यवाही करने की बजाय पुलिस का बचाव करते नजर आए।
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