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हैदराबाद। हैदराबाद में महज 13 साल की लड़की के 64 दिन का उपवास रखने के बाद मृत्यु हो गई। यह लड़की जैन धर्म के "चौमासा" व्रत पर थी और पिछले हफ्ते उपवास खोलने के बाद उसकी मौत हो गई। एक बाल अधिकार एनजीओ की जांच की मांग के बाद पुलिस अब इस मामले की जांच शुरू कर रही है।
अंधविश्वास के चलते 13 साल की बच्ची आराधना जैन के परिवार ने ही उसे मौत के मुंह में धकेल दिया। लिहाजा, पुलिस उपायुक्त बी. सुमति (नार्थ जोन) ने कहा कि घटना की प्रारंभिक जांच के बाद मामले की रिपोर्ट दर्ज की जाएगी। फिलहाल पुलिस ने केस की जनरल डायरी तैयार की है।
वहीं, स्थानीय एनजीओ बलाला हक्कुला संगम के अच्युत राव ने हैदराबाद पुलिस कमिश्नर से मांग की है कि लड़की के माता-पिता लक्ष्मीचंद और मनीषा को गिरफ्तार किया जाए। बाल अधिकारों की कार्यकर्ता शांता सिन्हा का कहना है कि इस मामले की पुलिस में शिकायत दर्ज की जानी चाहिए और बाल अधिकार आयोग को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
आठवीं में पढ़ने वाली आराधना हैदराबाद के स्कूल में पढ़ती थी। परिवार का दावा है कि 64 दिन के उपवास खोलने के दो दिन बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई। व्रत खोलने पर दो दिनों तक आराधना केवल तरल पेय पर थी।
आराधना के अंतिम संस्कार में 600 लोग आए थे जो उसे "बाल तपस्वी" बता रहे थे। यही नहीं आराधना की शव यात्रा को "शोभा यात्रा" कहा गया। परिवार का कहना है कि व्रत खोलने के दो दिन बाद आराधना बेहोश हो गई और उसे अस्पताल ले जाया गया जहां दिल का दौरा पड़ने से उसका निधन हो गया।
काचीगुड़ा स्थानक के महारासा रविंद्र मुनिजी का कहना है कि संथारा ज्यादातर उन बुज़ुर्गों के लिए होता है जो अपनी पूरी जिंदगी जी चुके हैं और मुक्ति चाहते हैं।
वहीं जैन समुदाय की सदस्य लता जैन का कहना है कि यह एक रस्म हो गई है कि लोग खाना-पानी त्यागकर खुद को तकलीफ पहुंचाते हैं। ऐसा करने वालों को धार्मिक गुरु और समुदाय वाले काफी सम्मानित भी करते हैं। उन्हें तोहफे दिए जाते हैं। लेकिन इस मामले में तो लड़की नाबालिग थी। अगर यह हत्या नहीं तो आत्महत्या तो जरूर है।
उल्लेखनीय है कि आराधना का परिवार गहनों का व्यवसाय करता है। सिकंदराबाद के पोट बाजार इलाके में उनकी दुकान है। कई लोगों ने सवाल उठाए हैं कि आखिर क्यों लड़की को स्कूल छुड़वाकर व्रत करने बैठाया गया। इस पर आराधना के दादा मानेकचंद समधरिया ने कहा, "हमने कुछ भी नहीं छुपाया। लेकिन अब कुछ लोग हम पर उंगली उठा रहे हैं।"
आराधना के व्रत के दौरान की कुछ तस्वीरें हैं, उसमें आराधना काफी कमजोर लग रही है। वह सजधज कर एक विशाल रथ पर बैठी है।
64 दिन का उपवास खत्म होने के बाद अखबार में आराधना का जो विज्ञापन छपा था उसमें सिकंदराबाद के मंत्री पद्मराव गौड़ को "पाराना" कार्यक्रम का मुख्य अतिथि बताया गया। यह आयोजन उपवास के बाद होता है। जहीराबाद के सांसद बीबी बाटिल भी इसमें उपस्थित थे।
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