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मोदी की मंशा पर पानी फेरेगा ये कानून, लो आ गया तोड़,,,
पांच सौ और हजार रुपये की करेंसी बदलने की घोषणा कुछ फीसदी कालाधन तो बाहर जरूर लाएगी, लेकिन अगले साल जब कार्रवाई का नंबर आएगा तो उसमें सबसे ज्यादा दुश्वारियां जोड़तोड़ से अमूमन दूर रहने वाले मध्यमवर्गीय परिवारों को झेलनी पड़ेंगी।
यह स्थिति आयकर अधिनियम के मौजूदा नियम-कानून के चलते आएगी। स्थिति यह है कि अगर कोई व्यक्ति चाहे तो मात्र ढाई लाख रुपये आयकर देकर अपनी एक करोड़ तक की आय तो एक नंबर की बना सकता है। इसके लिए तमाम चार्टर्ड एकाउंटेंट दुकान खोलकर बैठ गए हैं।
आयकर अधिनियम-1961 की धारा 44-एडी के तहत यदि कोई व्यक्ति अपने व्यवसाय में साल में एक करोड़ तक का टर्नओवर करता है और आठ फीसदी का मुनाफा दिखाकर तीस फीसदी की दर से टैक्स देता है तो उसके खातों का ऑडिट नहीं किया जाएगा। यह अलग बात है कि दो वर्ष बाद जब उसका केस स्क्रूटनी में आएगा तो उसे यह बताना होगा कि कैसे उसने एक करोड़ का टर्नओवर किया।
आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो यह बताना कोई मुश्किल नहीं रह गया है, क्योंकि इसके लिए खर्चे और खरीद-फरोख्त के बोगस बिल आसानी से मिल जाते हैं। इस दशा में उसे ढाई लाख रुपये से भी कम टैक्स देना होगा और उसका एक करोड़ रुपया एक नंबर का हो जाएगा। वहीं 200 फीसदी की पेनाल्टी का जो हौव्वा बनाया जा रहा है, उसमें भी कुछ खास दम नहीं है।
एक अप्रैल से लागू पेनाल्टी के नए सेक्शन-270 में किसी व्यक्ति पर पेनाल्टी उसी दशा में लगाई जा सकती है, जब आयकर विभाग उस कमाई को पकड़ लेता है। यह कमाई वह होती है, जिसे आपने अपने रिटर्न में नहीं दर्शाया है। यानी आयकर विभाग से छुपाकर कमाई की है, लेकिन कालेधन के खिलाड़ियों ने इसका भी तोड़ ढूंढ लिया है।
उदाहरण के तौर पर किसी व्यक्ति ने वित्तीय वर्ष 2015-16 में अपनी वार्षिक आय दस लाख रुपये दिखाई। इस साल वह अपने पास कालेधन के रूप में मौजूद 50 लाख रुपये को बैंक खाते में जमा कर देता है और रिटर्न फाइल करते वक्त इस पैसे को अपनी इनकम में दिखा देता है तो इस 50 लाख की रकम पर उसे तीस फीसदी की दर से टैक्स देना होगा। यानी पंद्रह लाख देकर वह 50 लाख एक नंबर में ले आएगा। चिर-परिचित बोगस बिल और अन्य तरीकों से आय के श्रोत दिखाना कोई बड़ी बात नहीं। ये तरीके खूब प्रचलित हैं।
सरकार ने ढाई लाख रुपये से ज्यादा के बड़े नोट खाते में जमा करने की दशा में कार्रवाई करने की बात कही है। लेकिन, विभाग फिलहाल इस स्थिति के लिए तैयार नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक लगभग 25 करोड़ बैंक खातों में नकदी जमा होगी। इसमें से करीब एक चौथाई यानी पांच से छह करोड़ ऐसे होंगे, जिनमें ढाई लाख से ज्यादा की राशि जमा होगी। ज्यादातर रकम उन लोगों की होगी जिन्होंने कालाधन जमा करके रखा है।
बाजार में जो कमीशन लेकर नए नोट देने के दावे किए जा रहे हैं, वे ऐसे ही खातों की दम पर किए जा रहे हैं। आयकर विभाग के पास फिलहाल इतने संसाधन और स्टाफ है ही नहीं कि वे इतनी बड़ी संख्या में खाताधारकों पर कार्रवाई कर सकें। आयकर अफसरों की मानें तो नोट बंद करने से फिलहाल बैंकिंग चैनल में पैसा आ जाएगा। करीब 30 फीसदी कालाधन भी सामने आ जाएगा, जिस पर टैक्स मिलेगा।
बड़े नोटों को बदलने का फैसला स्वागतयोग्य है लेकिन इसके पूर्व व्यापक पैमाने पर जो तैयारियां होनी चाहिए थीं, वे नहीं की गईं। आयकर अधिनियम में भी अभी तमाम ऐसे प्रावधान हैं, जिनका बेजा इस्तेमाल तमाम लोग आसानी से कालेधन को सफेद कर लेंगे। इस दशा में आम लोगों को दिक्कत आना लाजमी है। आईडीएस में इसका प्रावधान करना चाहिए था।
- सीए विवेक खन्ना, (पूर्व चेयरमैन), सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल
मोदी की मंशा पर पानी फेरेगा ये कानून, लो आ गया तोड़,,,
पांच सौ और हजार रुपये की करेंसी बदलने की घोषणा कुछ फीसदी कालाधन तो बाहर जरूर लाएगी, लेकिन अगले साल जब कार्रवाई का नंबर आएगा तो उसमें सबसे ज्यादा दुश्वारियां जोड़तोड़ से अमूमन दूर रहने वाले मध्यमवर्गीय परिवारों को झेलनी पड़ेंगी।
यह स्थिति आयकर अधिनियम के मौजूदा नियम-कानून के चलते आएगी। स्थिति यह है कि अगर कोई व्यक्ति चाहे तो मात्र ढाई लाख रुपये आयकर देकर अपनी एक करोड़ तक की आय तो एक नंबर की बना सकता है। इसके लिए तमाम चार्टर्ड एकाउंटेंट दुकान खोलकर बैठ गए हैं।
आयकर अधिनियम-1961 की धारा 44-एडी के तहत यदि कोई व्यक्ति अपने व्यवसाय में साल में एक करोड़ तक का टर्नओवर करता है और आठ फीसदी का मुनाफा दिखाकर तीस फीसदी की दर से टैक्स देता है तो उसके खातों का ऑडिट नहीं किया जाएगा। यह अलग बात है कि दो वर्ष बाद जब उसका केस स्क्रूटनी में आएगा तो उसे यह बताना होगा कि कैसे उसने एक करोड़ का टर्नओवर किया।
आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो यह बताना कोई मुश्किल नहीं रह गया है, क्योंकि इसके लिए खर्चे और खरीद-फरोख्त के बोगस बिल आसानी से मिल जाते हैं। इस दशा में उसे ढाई लाख रुपये से भी कम टैक्स देना होगा और उसका एक करोड़ रुपया एक नंबर का हो जाएगा। वहीं 200 फीसदी की पेनाल्टी का जो हौव्वा बनाया जा रहा है, उसमें भी कुछ खास दम नहीं है।
एक अप्रैल से लागू पेनाल्टी के नए सेक्शन-270 में किसी व्यक्ति पर पेनाल्टी उसी दशा में लगाई जा सकती है, जब आयकर विभाग उस कमाई को पकड़ लेता है। यह कमाई वह होती है, जिसे आपने अपने रिटर्न में नहीं दर्शाया है। यानी आयकर विभाग से छुपाकर कमाई की है, लेकिन कालेधन के खिलाड़ियों ने इसका भी तोड़ ढूंढ लिया है।
उदाहरण के तौर पर किसी व्यक्ति ने वित्तीय वर्ष 2015-16 में अपनी वार्षिक आय दस लाख रुपये दिखाई। इस साल वह अपने पास कालेधन के रूप में मौजूद 50 लाख रुपये को बैंक खाते में जमा कर देता है और रिटर्न फाइल करते वक्त इस पैसे को अपनी इनकम में दिखा देता है तो इस 50 लाख की रकम पर उसे तीस फीसदी की दर से टैक्स देना होगा। यानी पंद्रह लाख देकर वह 50 लाख एक नंबर में ले आएगा। चिर-परिचित बोगस बिल और अन्य तरीकों से आय के श्रोत दिखाना कोई बड़ी बात नहीं। ये तरीके खूब प्रचलित हैं।
सरकार ने ढाई लाख रुपये से ज्यादा के बड़े नोट खाते में जमा करने की दशा में कार्रवाई करने की बात कही है। लेकिन, विभाग फिलहाल इस स्थिति के लिए तैयार नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक लगभग 25 करोड़ बैंक खातों में नकदी जमा होगी। इसमें से करीब एक चौथाई यानी पांच से छह करोड़ ऐसे होंगे, जिनमें ढाई लाख से ज्यादा की राशि जमा होगी। ज्यादातर रकम उन लोगों की होगी जिन्होंने कालाधन जमा करके रखा है।
बाजार में जो कमीशन लेकर नए नोट देने के दावे किए जा रहे हैं, वे ऐसे ही खातों की दम पर किए जा रहे हैं। आयकर विभाग के पास फिलहाल इतने संसाधन और स्टाफ है ही नहीं कि वे इतनी बड़ी संख्या में खाताधारकों पर कार्रवाई कर सकें। आयकर अफसरों की मानें तो नोट बंद करने से फिलहाल बैंकिंग चैनल में पैसा आ जाएगा। करीब 30 फीसदी कालाधन भी सामने आ जाएगा, जिस पर टैक्स मिलेगा।
बड़े नोटों को बदलने का फैसला स्वागतयोग्य है लेकिन इसके पूर्व व्यापक पैमाने पर जो तैयारियां होनी चाहिए थीं, वे नहीं की गईं। आयकर अधिनियम में भी अभी तमाम ऐसे प्रावधान हैं, जिनका बेजा इस्तेमाल तमाम लोग आसानी से कालेधन को सफेद कर लेंगे। इस दशा में आम लोगों को दिक्कत आना लाजमी है। आईडीएस में इसका प्रावधान करना चाहिए था।
- सीए विवेक खन्ना, (पूर्व चेयरमैन), सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल
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