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नई दिल्ली। आर्थिक तथा अन्य लाभों के लिए राष्ट्रगान का व्यावसायिक इस्तेमाल रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इस बाबत दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को शीर्ष अदालत ने यह कदम उठाया।
जस्टिस दीपक मिश्र और अमिताव राय की पीठ ने यह नोटिस श्यामनारायण चौकसी की याचिका पर जारी किया। याचिका में राष्ट्रीय सम्मान के अपमान प्रतिबंध और आदर कानून, 1971 का हवाला दिया गया है। इसमें बताया गया है कि राष्ट्रगान का कई परिस्थितियों में गायन किया जाता है, जिसकी राष्ट्रीय सम्मान कानून को देखते हुए इजाजत नहीं है। उदाहरण के तौर पर मनोरंजन शो को नाटकीय रंग देने के लिए इसकी एक दो लाइन गाकर या बजाकर समाप्त कर दिया जाता है, जो कि गलत है।
चौकसी ने याचिका में कहा कि राष्ट्रगान से कोई भी वित्तीय लाभ अर्जित नहीं किया जा सकता। इसके गायन में किसी तरह का व्यवधान नहीं आना चाहिए और न ही इसका संक्षिप्त संस्करण गाया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त राष्ट्रगान उन लोगों के समक्ष भी नहीं गाया जाए जो इसे समझते नहीं हैं। ऐसे लोगों के लिए पहले ही निर्देश दिया जाना चाहिए कि राष्ट्रगान के वक्त उन्हें सम्मान प्रदर्शित करना होगा।
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