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भोपाल। 7 मार्च 2017 का दिन लोकतंत्र के मंदिर विधानसभा में मध्यप्रदेश के कद्दावर मंत्री गोपाल भार्गव ने सफ़ेद झूठ बोला। यह झूठ उन्होंने मनरेगा में हुए भारी भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए बोला। यह बात विचार मध्यप्रदेश ने मीडिया के जरिये कही। इस दौरान संस्था के विनायक परिहार, पारस सकलेचा, अक्षय हुंका एवं आजाद सिंह डबास शामिल मौजूद थे।
इन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के 230 जन प्रतिनिधियों के सामने एक लिखित सवाल के जवाब को गलत देकर न सिर्फ पूरे प्रदेश को गुमराह करने की कोशिश की गई, बल्कि विधानसभा के अंदर झूठ बोलकर विधानसभा रूपी मंदिर, जिसमें पूरे प्रदेश की आस्था है, उससे भी खिलवाड़ किया है। यह कोई साधारण प्रश्न नहीं है,बल्कि लाखों मजदूरों को मनरेगा के माध्यम से मिलने वाले पैसे से सम्बंधित है। मनरेगा में विलम्ब से होने वाले भुगतान को लेकर उच्च न्यायलय एवं ने भी स्पष्ट आदेश पारित किए हैं।
संस्थान ने कहा कि सवाल मनरेगा में भुगतान में होने वाली देरी को लेकर पूछा गया था कि श्योपुर जिले में मनरेगा में कुल कितनी क्षतिपूर्ति राशि दी जाना थी? जिसके जवाब में पंचायत मंत्री की तरफ से स्पष्ट जवाब दिया गया कि श्योपुर जिले में कोई क्षतिपूर्ति राशि अधिरोपित नहीं है। जबकि श्योपुर जिले में विगत दस वर्षों के मनरेगा मजदूरों को करोड़ों की मजदूरी का भुगतान विलंब से किया गया है।
यह बात सरकारी वेबसाइट nrega.nic.in/netnrega/home.aspx पर उपलब्ध है। इसका उल्लेख केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अपने पत्राचार मे भी किया है।।
यह बात सरकारी वेबसाइट nrega.nic.in/netnrega/home.aspx पर उपलब्ध है। इसका उल्लेख केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अपने पत्राचार मे भी किया है।।
संस्था ने सरकारी वेबसाइट का डाटा पेश किया। इसके अनुसार, 8 मार्च 2017 की स्थिति यह है
-2014-15—–1366.75 लाख रुपए।-2015-16—–1741.64 लाख रुपए।
-2016-17—–1645.61 लाख रुपए।
स्पष्ट है कि सिर्फ श्योपुर जिले में ही क्षतिपूर्ति की राशि कई करोड़ है। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार मप्र मे 63% भुगतान विलंब से हुए हैं। मनरेगा सॉफ्टवेयर के अनुसार पिछले 5 वर्षों में5500 (साढ़े पांच हजार करोड़) से अधिक का भुगतान विलंब से हुआ है, जिसके लिए लगभग रु.100 करोड़ की क्षतिपूर्ति का भुगतान प्रदेश के मजदूरों को किया जाना शेष है
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