अवधेश पुरोहित // TOC NEWS
भोपाल। एक समय था जब तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शासन के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था उस अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में चर्चा होने के पूर्व ही तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष के रूप में विधायक कांग्रेस के नेता चौधरी राकेश सिंह ने एन वक्त पर भाजपा का कमल का दामन थाम लिया था लेकिन इसके बाद चौधरी की चौधराहट भाजपा में न तो चमक पाई और न ही उन्हें कांग्रेस की तरह कोई तवज्जो मिली ।
अब भाजपा से उपेक्षित राकेश चौधरी पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस में वापसी के प्रयास में लगे हैं लेकिन धोखा देकर भाजपा के पहुंचने के मामले को गंभीर मानते हुए कांग्रेस अब उन्हें वापसी के पक्ष में नहीं दिखाई दे रही है। वहीं दूसरी ओर भाजपा में चौधरी को कोई खास तवज्जो नहीं दिये जाने से उपेक्षित चौधरी अब नये घर की तलाश में भटकते नजर आ रहे हैं। एसा माना जा रहा है कि भिण्ड जिले के अटेर की जो सीट नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे के निधन के बाद रिक्त हुई है उस सीट पर चौधरी राकेश की जिले के ब्राह्मण वोटों पर बढ़ा जनाधार भी होने का दावा कर अब वह बसपा के हाथी पर बैठकर अपनी राजनीति चमकाने के प्रयास में लगे हुए हैं। हाल ही में हुए एक सोशल मीडिया पर हुए एक वीडियो वायरल में इस बात का खुलासा हुआ है कि चौधरी राकेश सिंह को बसपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव में जीत दिलाने की बात कही गई है। चौधरी के इस तरह के वीडियो के वायरल होने के बाद भाजपा नेताओं में जिस तरह की चर्चा आम है उसमें यह कहा जा रहा है कि भाजपा में केवल बाहर से आने वाले खनिज माफियाओं और अवैध कारोबारियों को ही तवज्जो दी जाती है और ऐसा ही कुछ कटनी के कांग्रेस विधायक रहे संजय पाठक का जीता जागता उदाहरण है
यही नहीं जहां भाजपा ने संजय पाठक को भजकलदारम की बदौलत अपनी पार्टी में शामिल किया तो वहीं उनके द्वारा तीस करोड़ रुपये खर्च करने के बाद उनके खनिज कारोबार को सत्ता का संरक्षण देने के लिये उन्हें मंत्री पद से भी नवाजा गया क्योंकि राकेश चौधरी न तो खनिज कारोबारी थे और न वह पार्टी में चल रही वर्तमान परम्परा के अनुसार न तो उन्होंने पार्टी में भजकलदारम की खनक का दौर चलाया, शायद यही वजह है कि वह पार्टी में उपेक्षित के दौर से गुजरते रहे लेकिन इस बीच उन्होंने कांग्रेस में वापसी के भी कई प्रयास किये लेकिन कांग्रेस उनके द्वारा ऐन अविश्वास प्रस्ताव के वक्त पार्टी के साथ जिस तरह की हरकत की थी उसको मद्देनजर रखते हुए उन्हें वापस लेने के मूड में नहीं दिखाई दी तो आखिरकार उन्हों ने अब बसपा के हाथी का दामन थामने का मन बना लिया है। देखना अब यह है कि वह हाथी की सवारी कितने दिनों तक कर पाते हैं? लेकिन इसी बीच उत्तरप्रदेश की तरह ही प्रदेश में बसपा को मजबूत राजनीतिक दल के रूप में स्थापित करने की योजना के तहत बसपा की नजर भाजपा में उपेक्षित नेता चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी पर है। दरअसल प्रदेश में बसपा तीसरे बड़े दल के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराए हुए है, लेकिन उसके सदस्यों की संख्या कभी भी एक दर्जन से अधिक नहीं हो पाई है।
हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी के राष्ट्रीय राजनीतिक दल का दर्जा बनाए रखने पर भी खतरा मंडराने लगा है। लिहाजा पार्टी ने उप्र चुनाव के बाद पूरा ध्यान मप्र में केंद्रित करने का मन बना लिया है। उसे उप्र की तरह ही मप्र में भी एक ऐसे ब्राह्मण नेता की तलाश है जो उसकी सोशल इंजीनियरिंग की सफलता का वाहक बन सके। गौरतलब है कि भिंड जिले की अटेर विधानसभा सीट नेता प्रतिपक्ष रहे सत्यदेव कटारे के निधन के बाद खाली हो गई है। उप चुनाव होना है, ऐसा माना जा रहा है कि बसपा चौधरी राकेश सिंह को पार्टी में शामिल कर इसी सीट से चुनाव मैदान में उतारकर अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहती है। यूपी से सटे होने के कारण इस क्षेत्र में बसपा का वर्चस्त भी कायम है। बताया जाता है कि इसके लिए पार्टी सुप्रीमो मायावती ने यूपी चुनाव के पहले अपने रणनीतिकारों के साथ इस पर निर्णय ले लिया है और नेताओं की खोज शुरू करने को कह दिया है। भाजपा नेता और कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी पर बसपा की नजरें हैं। चतुर्वेदी के चचेरे भाई यूपी से बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। इस तरह के बन रहे समीमरणों के चलते प्रदेश की राजनीतिक क्षेत्र में यह चर्चा जोरों पर है कि कांग्रेस को त्यागकर भाजपा में उपेक्षित होकर चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी बसपा के हाथी पर सवार होकर इस प्रदेश में ‘हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की की धूम मचाने के प्रयास में हैं।
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