अवधेश पुरोहित // TOC NEWS
भोपाल । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भारतीय जनता पार्टी के इस नारे को लेकर यह दावा किया गया कि भाजपा की यह नीति रही है कि सबका विकास और सबका साथ लेकिन उत्तरप्रदेश की अखिलेश की सरकार में कुछ का विकास और कुछ के साथ की नीति का पालन किया गया और इसी मुद्दे को लेकर मोदी ने अखिलेश सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा लेकिन जब वह उत्तरप्रदेश के चुनावी सभाओं के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री व अखिलेश सरकार को भाजपा का नारा सबका साथ सबका विकास को जोड़कर अखिलेश की सरकार पर आरोपों की बौछार कर रहे थी ठीक उसी दौरान मध्यप्रदेश में भाजपा से जुड़े मुखाग्र बिन्दु से यह शब्द इस प्रदेश में गूंज रहे थे कि मोदी जी अपनी ही भाजपा शासित मध्यप्रदेश सरकार की नीतियों पर भी गौर करो, इस मध्यप्रदेश में भले ही भाजपा का यह नारा हो सबका साथ सबका विकास लेकिन इस नारे की हकीकत प्रदेश में यह है कि जमकर भ्रष्टाचार करनेवाले अधिकारी, मुख्यमंत्री के प्रिय होते हैं
और यही वजह है कि इस प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पिछले ११ सालों में मुख्यमंत्री सहित २४ मंत्रियों, १११ आईएएस, ३५ आईपीएस, १९ आईएफएस के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हुए हैं साथ ही १८ अन्य प्रकरणों में से मुख्यमंत्री सहित २२ मंत्रियों, १०६ आईएफएस, ३१ आईपीएस और १७ आईएएस और अन्य १५ विभागाध्यक्षों को क्लीनचिट दी गई इसमें सरकार कहीं न कहीं घेरे में है तो वहीं इस प्रदेश में १२ अरब का पोषण आहार घोटाला, १५०० करोड़ का शौचालय घोटाला, १०० करोड़ सुगनीदेवी घोटाला, हजारों करोड़ का मनरेगा घोटाला, हजारों करोड़ का सड़क घोटाला, बांध निर्माण घोटाला, दवा सप्लाई घोटला, ड्रग ट्रायल घोटाला, बिजली खरीदी घोटाला, सार्वजनिक वितरण प्रणाली घोटाला, राशन वितरण घोटाला, आवास योजना वितरण घोटाला, सरकारी बैंक घोटाला, खाद्य वारदाना चना खरीदी घोटाला, कम्पयूटर लेपटाप खरीदी घोटाला, सीमेंट खरीदी घोटाला, गणवेश घोटाला, कपिलधारा घोटाला, मुख्यमंत्री की चहेती योजना लाड़ली लक्ष्मी योजना में भी घोटाला, मध्याह्न भोजन घोटाला, सैडमैप घोटाला यही नहीं किसानों की खेती को लाभ का धंधा बनाने का ढिंढोरा पीटने वाले जो मुख्यमंत्री कल तक अपने आपको किसान पुत्र होने का दावा करते थे लेकिन आज इस भाजपा के शासनकाल के चलते वह स्वयं किसान की श्रेणी में आ गए हैं
उन्हीं मुख्यमंत्री के कार्यकाल में प्रदेश में तीस हजार किसानों ने आत्महत्यायें की, ३५ हजार बालिकाओं के अपहरण हुए, मई २०१६ में नेशनल क्राइम ब्यूरो ने जो रिपोर्ट जारी की है उसके मुताबिक प्रदेश में १९ महिलाएं और दो बच्चे प्रतिदिन लापता हो रहे हैं, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, अपहरण, डकैती, चोरी, लूट जैसे अपराधों में भाजपा की यह सरकार अव्वल पायदान पर है तो वहीं एक लाख ६२ हजार करोड़ का कर्ज सरकार पर है लेकिन इसके बावजूद भी इस प्रदेश में भ्रष्ट अधिकारियों पर कोई कार्यवाही न होना इस बात का प्रतीक है क यहां सबका विकास नहीं बल्कि कुछ का ही विकास होता है, तभी तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भतीजे प्रद्मुमन सिंह चौहान द्वारा अवैध खनन का कारोबार धड़ल्ले से जारी है और न उन पर कोई नियम और न कायदे तो वहीं प्रदेश में भूमि से संबंधित घोटाले दर घोटाले एक के बाद एक घटित हो रहे हैं लेकिन फिर भी इन घोटालेबाज अधिकारियों पर कोई कार्रवाई न होना इस बात का प्रतीक है कि भाजपा का यही सच्चा नारा है,
जिसके तहत सबका विकास सबके साथ नहीं कुछका विकास कुछ के साथ की नीति धड़ल्ले से इस प्रदेश में जारी है। शिवराज सरकार के कार्यकाल के दौरान यूँ तो इस प्रदेश में कई भूमि घोटाले हुए हैं तो इसी सिलसिले में दो अरब के भूमि घोटाले में कई दिग्गज अफसरान फंस गए हैं। घोटाले से संबंधित शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त ने नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव से तथ्यात्मक प्रतिवेदन उपलब्ध कराने को कहा है। इस मामले में निष्पक्ष जांच हुर्ठ तो नौकरशाही में हंगामा हो सकता है। क्योंकि घोटाले में शामिल बताए गए अफसरान जिम्मेदार पदों पर विराजमान हैं। यह मामला इंदौर का है, जहां गृह निर्माण समिति बनाकर सीलिंग को शासकीय भूमि ओने-पौने दामों पर लेकर सदस्यों को आवंटित करने की बजाय दूसरों को बेच दी गई। इस मामले में वरिष्ठ आईएएस संजय दुबे, विवेक अग्रवाल, राकेश श्रीवास्तव, राघवेन्द्र सिंह और पी. नरहरि सहित इंदौर नगर निगम उपायुक्त द्वय लता अग्रवाल, अरुण शर्मा, सहायक यंत्री पीसी जैन, इंदौर टीएनसीपी के संयुक्त संचालक विजय सांवलकर, सहकारिता उपायुक्त अम्बरीश वैद्य, रामसेवक फल, दिलीप सिसौदिया, सबीना इकबला तथा माखनलाल को आरोपी बनाया गया है।
इन पर शासकीय भूमि हथियाने, फर्जी सदस्य बनाकर शासन को धोखा देने, राजस्व हानि पहुंचाने, व्यक्तिगत लाभ लेने, डायवर्सन शुल्क जमा न करने तथा शासकीय पद और अधिकारों का दुरुपयोग करने के आरोप हैं। कुल मिलाकर इस प्रदेश में भले ही भाजपा यह नारा बुलंद करती दिखाई देती हो कि उसके राज्य में सबका विकास सबके साथ की नीति के चलते प्रदेश का चहुंमुखी विकास हो रहा है लेकिन शिवराज सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए घोटाले दर घोटालों पर यदि नजर डाली जाए तो जिन-जिन अधिकारियों ने इस भाजपा शासनकाल के चलते घोटालों को अंजाम दिया है वह सभी अधिकारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चहेते अधिकारियों की सूची में शुमार हैं, ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सरकार की यह नीति नहीं है कि कुछ का विकास मिलकर करो अपने साथ?
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