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वाराणसी। द्वारकापीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्ते श्वरानंद का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) हिंदू धर्म के रक्षक नहीं हैं। उन्होंने मोदी को दो तरह के दांत वाला व्यक्ति करार दिया और आरोप लगाया कि उन्होंने गंगा को ‘बिकाऊ ब्रांड’ बना दिया है।
मोदी को दो तरह के दांत
अविमुक्ते श्वरानंद ने कहा, “मोदी ने गंगा को अविरल बनाने का वादा किया था, लेकिन सरकार गंगा को लेकर जो कुछ कर रही है, उससे गंगा एक बिकाऊ ब्रांड तो बन गई है, लेकिन उसकी अविरलता, निर्मलता बाधित हो रही है।”
उन्होंने कहा, “मोदी ने चुनाव के समय कहा था कि गंगा मैया ने उन्हें बुलाया है। गंगा मैया ने बुलाया था और उन्हें आशीर्वाद भी दिया। देश का सबसे क्षमतावान पद भी दिया, लेकिन वह पद पाकर गंगा मैया से दूर हो गए। मैया से मजदूरी करानी शुरू कर दी, उससे माल ढुलाई कराने लगे। गंगा रो रही है। उसके किनारे बसे लोग निराश हैं।”
लेकिन विधानसभा चुनाव में गंगा का कोई जिक्र नहीं हुआ है, जबकि मोदी तीन दिन बनारस में थे। क्यों?
अविमुक्ते श्वरानंद ने कहा, “दरअसल उस समय हम लोगों ने गंगा को लेकर आंदोलन छेड़ रखा था, काफी शोर था गंगा को लेकर। उन्हें यह गरम मुद्दा लगा और लपक लिया। उसका लाभ भी मिल गया। आज गंगा को लेकर शांति है, तो यह चुनावी मुद्दा नहीं है।”
स्वामी ने मौजूदा सरकार पर गंगा प्राधिकरण की बैठक न बुलाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं और तीन साल में उसकी सिर्फ एक बैठक हुई है। उसमें भी उन्होंने जल संसाधन मंत्री उमा भारती को अध्यक्षता की कमान सौंप दी। विरोध करने पर मात्र 15 मिनट के लिए आए और खानापूर्ति कर के चले गए। ये क्या है, ये कौन-सा गंगा प्रेम है।”
विद्या मठ के स्वामी ने कहा, “गंगा में आज पानी नहीं, गंगा के आंसू बह रहे हैं। सरकार बनते ही तमाम बांध बनाने के आदेश दे दिए गए। वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि गंगा में आने वाले 96 प्रतिशत जल को निकाल लिया जाता है। गंगा मर रही है। कानपुर में गंगा जल में कीड़े पाए गए।”
अविमुक्ते श्वरानंद ने आरोप लगाया, “गंगा के नाम पर खजाने की सफाई हो रही है, गंगा तो मैली की मैली है। हम जितना चिल्लाते हैं, उन्हें उतना ही धन गंगा के नाम पर निकालने का मौका मिल जाता है। लेकिन सरकार की योजनाएं तो गंगा का किनारा संवारने की है, उसकी धारा को अविरल बनाने की नहीं। धारा है, तभी किनारा है।”
धर्म के राजनीतिक दुरुपयोग के सवाल पर अविमुक्ते श्वरानंद ने कहा, “जबतक जनता जागरूक नहीं होगी, नेता ऐसा करते रहेंगे।
इनके लिए गाय, गंगा, गोमती वोट लेने के साधन हैं। हिंदू धर्म, या सनातन धर्म से इनका कोई लेना-देना नहीं है। प्रधानमंत्री बनने के बाद एक भी बयान हिंदुओं के लिए मोदी ने नहीं दिया है। जनता ने उन्हें स्पष्ट बहुमत दिया है। उन्हें भी अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। गंगा हो, समान आचार संहिता हो, राम मंदिर हो, प्रधानमंत्री बनने के बाद किसी भी विषय पर कोई शब्द नहीं आया है। स्पष्ट है आप के पास भी हाथी की तरह दो तरह के दांत हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “वाराणसी में गणेश प्रतिमा के साथ इतनी बड़ी घटना घटी। हमने प्रतिकार यात्रा निकाली, गणेश भक्तों की भीड़ पर लाठीचार्ज हुआ। आप यहां के सांसद है, एक शब्द नहीं बोला, एक ट्वीट नहीं किया। कौन कहता है कि आप बोलने वाले प्रधानमंत्री हैं। मैं तो कहूंगा कि आप गूंगे-बहरे हैं।”
आखिर इस समस्या का समाधान क्या है? कहीं ऐसा तो नहीं कि आप जैसे धर्माचार्य आम जन से कटे हुए हैं, इसलिए इसका नाजायज फायदा उठा रहे हैं ऐसे लोग? अविमुक्ते श्वरानंद ने कहा, “हमने अब रामराज्य अभियान शुरू किया है। रामराज्य लाएंगे। रामराज्य में हर कोई सुखी रहेगा, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति और पंथ का हो। हम घर-घर जाएंगे, लोगों को जगाएंगे। मौजूदा चुनाव में इस अभिान ने दो निर्दलियों को समर्थन दिया है। हम वाराणसी को इसका मॉडल बनाएंगे और फिर उसे देश में ले जाएंगे।”
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