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ब्यूनर्स आयर्स । देश में विजय माल्या, मेहुल चाेकसी और नीरव मोदी को लेकर विपक्ष के निशाने पर चल रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां जी-20 देशों की शिखर बैठक में भगोड़े आर्थिक अपराधियों को कानून के शिकंजे में लाने के लिए एक प्रभावी तंत्र बनाने एवं उसके लिए परस्पर सहयोग बढ़ाने का प्रस्ताव किया।
श्री मोदी ने जी-20 के अंतरराष्ट्रीय व्यापार, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एवं कर प्रणालियों पर आधारित सत्र में इस विषय में नौ सूत्रीय एजेंडा पेश किया जिसमें आर्थिक हेराफेरी करके देश छोड़ कर भागने वाले अपराधियों को अन्य देशों में प्रवेश एवं सुरक्षित पनाह नहीं देने का प्रस्ताव किया गया है।
भारत 2014 से काले धन को रखे जाने के विरुद्ध सूचनाओं को स्वत: साझा करने, अपराधियों के प्रत्यर्पण, कानूनी सहयोग आदि की वकालत करता आ रहा है। आज प्रस्तुत एजेंडा में कहा गया कि जी-20 फोरम को ऐसे भगोड़े आर्थिक अपराधियों की संपत्तियों की पहचान करने का काम शुरू करने पर विचार करना चाहिए जो अपने देश से ऋण लेकर भागे हैं।
एजेंडा में कहा गया कि अपराध से अर्जित संपत्ति को प्रभावी रूप से जब्त करने, भगोड़ों तथा अपराध से अर्जित संपत्ति को उसके मूल निवास वाले देश में जल्द से जल्द लाने के लिए कानूनी प्रक्रियाओं में सहयोग को सुचारू बनाया जाना चाहिए और बढ़ाया जाना चाहिए।
एजेंडा के दस्तावेज में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार रोधी संधि, संयुक्त राष्ट्र पारदेशीय संगठित अपराध संधि खासकर अंतरराष्ट्रीय सहयोग के सिद्धांतों को पूरी तरह से प्रभावी रूप से क्रियान्वित किया जाना चाहिए।
भारत ने यह सुझाव भी दिया कि वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) को प्राथमिकता तय करनी चाहिए और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि सक्षम अधिकारियों एवं वित्तीय खुफिया इकाइयों के बीच समय पर पूरी पूरी सूचनाओं का आदान प्रदान होता रहे।
दस्तावेज में कहा गया कि एफएटीएफ को भगोड़े आर्थिक अपराधियों की मानक परिभाषा तय करने तथा अपराधियों की पहचान करने, प्रत्यर्पण करने एवं न्यायिक कार्यवाही की सर्वसम्मत एवं मानकीकृत प्रक्रियाओं को निश्चित करने की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए ताकि उससे जी-20 देशों को भगोड़े आर्थिक अपराधियों से निपटने में मार्गदर्शन एवं सहायता मिल सके। रॉयल बुलेटिन की नई एप प्ले स्टोर पर आ गयी है।
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