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केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले तीन साल में विभिन्न अखबारों और पत्रिकाओं में प्रचार पर 1,856.82 करोड़ रुपये खर्च किए. राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में सूचना एवं प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने बताया कि मंत्रालय के अधीन ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन (BOC) ने विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के प्रचार अभियान में प्रिंट मीडिया में यह राशी खर्च की है. BOC केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी है जो तमाम मंत्रालयों, विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए प्रचार का काम करती है.
केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने बताया कि साल 2015-16 में 20,111 रिलीज ऑर्डर पर 579.88 रुपये खर्च हुए. वहीं अगले साल यानी 2016-17 में 21,576 रिलीज ऑर्डर के लिए 579.88 करोड़ रुपये खर्च किए गए. जबकि साल 2017-18 में 11,798 रिलीज ऑर्डर पर 648.82 करोड़ रुपये खर्च हुए. बता दें कि यह खर्च सिर्फ प्रिंट मीडिया के लिए है.
गौरतलब है कि इसी तरह के एक सवाल के जवाब में सूचना एवं प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने लोकसभा में बताया था कि 2014 से 7 दिसंबर के बीच सरकारी योजनाओं के प्रचार पर कुल 5,245.73 करोड़ रुपये खर्च हुए. उन्होंने बताया था कि विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में लक्षित लाभार्थियों के बीच प्रचार और उनकी जागरूकता के लिए सूचना, शिक्षा व संचार के कंपोनेंट होते हैं.
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे पर हुए खर्च से जुड़े सवाल के जवाब में विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने राज्यसभा में बताया था कि मई 2014 से प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके 92 विदेश दौरों पर करीब 2 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हुए हैं. मोदी की विदेश यात्रा के दौरान चार्टर्ड उड़ानों, विमानों के रखरखाव और हॉटलाइन सुविधाओं पर कुल 2,021 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.
आपको बता दें कि ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) द्वारा जारी हाल के आंकड़ों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने विधानसभा चुनावों के दौरान टेलीविजन पर विज्ञापन देने के मामले में देश की बड़ी बड़ी कंपनियों को पीछे छोड़ दिया था. इस टॉप 10 लिस्ट में विपक्षी दल कांग्रेस का कहीं नाम नहीं था जबकि दूसरे नंबर पर नेटफ्लिक्स और तीसरे नंबर पर ट्रिवागो रही.
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