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नई दिल्ली। एक तरफ पूरे देश में सड़कें बनाने का काम चल रहा है तो वहीं भारत की एक अदालत ने रोड को उखाड़ने का आदेश दिया है। खास बात यह है कि यह रोड़ कोई साधारण रोड नहीं है बल्कि यह देश की एक प्रमुख नेशनल हाईवे है। आपको सुनने में यह मामला जरूर थोड़ा अजीब लग रहा होगा, लेकिन हकीकत यही है कि सन 1951 में बनी अंबाला-जगाधरी रोड जिसे पुराना नेशनल हाईवे-73 भी कहा जाता है को ऊखाड़ने का आदेश दिया गया है।
ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि यह रोड कैल से जगाधरी के बीच कभी भी बंद हो सकती है और रोड़ को उखाड़ा जा सकता है। दरअसल, इस फैसले के लिए पिछले 68 साल से एक किसान परिवार प्रयासरत था। किसान परिवार का दावा है कि यह रोड हरीपुर जट्टान मोड़ से कचरा प्लांट तक करीब 9 बीघे की जमीन उसकी है। इसके लिए उसने कोर्ट की शरण ली और केस भी जीता। अब किसान का कहना है कि एक-दो दिन में वह इस सड़क को उखड़वा देगा, इसके लिए अर्थ मूविंग मशीन तैयार खड़ी है।
वहीं स्थानीय पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों ने भी वैकल्पिक रास्ते की तैयारी शुरू कर दी है। इस बारे में अधिकारियों का कहना है कि सड़क के पास ही करीब 100 फीट चौड़ी सरकारी जमीन है। उस पर अब नई रोड बनाई जाएगी। तब तक दादूपुर-नलवी नहर के साथ-साथ बनी रोड से ट्रैफिक निकाला जाएगा। यह रोड जगाधरी-यमुनानगर को नए बाइपास से जोड़ती है।
इस बारे में जमीन मालिक ने बताया कि पहले इस जमीन में जंगल था और जंगल के बीच से कच्चा रास्ता था। जिससे लोग आते-जाते थे। लेकिन आजादी के बाद साल 1951 में इस कच्चे रास्ते पर रोड बना दी गई। इसके बाद से ही इस जमीन से रोड को हटाने का प्रयास किया जा रहा था, इसके लिए वकायदा सरकारी विभागों से लेकर सरकार तक को पत्र लिखे गए, लेकिन जब कोई फायद नहीं हुआ तो साल 2000 में कोर्ट चले गए। जहां 2016 में सेशन कोर्ट ने हमारे हक में फैसला सुनाया। जिसके बाद इस फैसले के खिलाफ सरकार ने रिव्यू पिटिशन डाली, लेकिन कोर्ट ने फैसला नहीं बदला।
हालांकि सरकार ने इस जमीन के बदले दूसरी जमीन देने को भी कहा लेकिन किसान का परिवार नहीं माना। फलस्वरूप कोर्ट ने रोड में कब्जा करने का आदेश दे दिया। वहीं अब किसान परिवार सरकार से मुआवजा लेने की तैयारी में है। किसान परिवार का कहना है कि सरकार ने करीब 68 साल हमारी जमीन का इस्तेमाल किया है, इसलिए इसका मुआवजा मिलना चाहिए।
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