नरसिंहपुर जिले में विधान सभा के चुनाव शांतिपूर्ण सपन्न हो गये हैं पर जीत-हार की अटकलों का बाजार गर्म है। आंकड़ों, सर्वे, अनुभव, माथापच्ची, खर्च के धन का हिसाब-किताब, एकपक्षीय मानसिक कसरत, राजनैतिक उपेक्षा ओर उदासीनता, साहस, निडरता ओर शक्ति संतुलन, मतदाताओं का मौन, राजनैतिक एकाधिकार एवं अकूत धन संपदा, ईष्र्या व निंदा, विरोधियों, कुंठित, चुके चुकाये ओर उपेक्षित लोगों की मुखरता, बड़बोलेपन, टाईम पास, ईष्यात्मक प्रतिक्रिया, अवसर, बदले की भावना, भितरघात, बंदरबांट, समालो चना, मतों का विभाजन ओर जमानत जप्त,
उम्मीदवारों का राजनैतिक कद, आरोप ओर प्रत्यारोप,कहीं अनकहीं, भ्रामक, तथ्य हीन ओर झूठा प्रचार, उम्मीदवार के साथ लग कर चांदी पीटी, दोहरे राजनैतिक चरित्र, राजनैतिक बंटाधारी, नये ओर पुराने राजनैतिक मैनेजरों, औपचारिकता, डायलाग बाजी, धन-बल ओर भभका, धमकी, चमकाना ओर भय, देख ले हैं, मतदान केंद्र के हिसाब से जाति वादी ओर क्षेत्र वार गणित, अंदर-बाहर की चर्चा,अत्यधिक चुनावी खर्च, राजनैतिक षडयंत्र का पाखंड,खाना-खजाना, कहीं पे निगाहें कहीं पर निशाना,राजनैतिक प्रताडऩा ओर कहर,दलबदल,कानाफूनी,द्विअर्थी संवाद ओर आचरण, सटटे बाजी,चमचागिरी, बहती धन की गंगा में हाथ धौना, राजनैतिक सेटिंग, फंड मैनेजमेंट, शराब,
धन ओर सामग्री का वितरण, भैया-भैया जपना उनका धन अपना, स्थानीय प्रत्याशी की कसक, निष्कासन, निलम्बन ओर नई राजनैतिक कसावट, शिष्टता,गंभीर ओर संयमित व्यवहार, भाषा ओर आचरण की फूहडता, प्रतिद्वंदी कार्यकत्र्ताओं एवं नेताओं में आपस में सूचनाओं का आदान-प्रदान, लाई ओर लईया लुटवाना, राजनैतिक सौहार्द्र, हम से क्या बुराई, क्षेत्रीय विकास व स्वयं का विकास, परिवार का विकास ओर औद्योगिक विकास, राजनैतिक रोजगारी ओर बेरोजगारी, चुनावी मुददे, पैराशूट ओर ग्रासरूट, हिंग लगे ना फिटकरी, रंग चौखा का चौखा, अपराधिकरण ओर आग्रनाईज क्राइम,
सरकार के विकास, पार्टियों की नीतियां, उम्मीदवारों के व्यक्तिव ओर उनके नाते दारों के साथ कथित ओर दूर के रिश्तेदारों, जीत-हार का टेबिल गणित, हार-जीत की कामना, वे ना चल हैं, राजनैतिक भविष्य ओर भाग्य, सरलता ओर सहजता, राजनैतिक कुर्तो का कलफ, झनक ओर ललक, राजनैतिक दरारें ओर खाई, गुटीय संतुलन ओर असंतुलन, व्यक्तिगत प्रर्दशन ओर संगठन, जबरही व्यस्तता ओर दिखावा, युवाओं में राजनैतिक रूझान या रोजगार की चाहत,महिला सशक्तिकरण, कर्मचारियों का राजनैतिक करवट, एंटी इनबनकमबेंसी, बाबा जी का..............,
राजनैतिक कर्मठता, राजनैतिक चार्तुय, भर्तिया उपस्थिति ओर कार्य, राजनैतिक अहंकार, रूठे ओर क्षुब्ध कार्यकत्र्ताओं व नेताओं को मनाना, आवेश ओर धैर्य, क्षेत्रीय दबदबा, राजनैतिक निपटाना, पास बनाना, फर्जी मतदान के साथ पूरा चुनावी मजा लेने की चर्चा जिले के लोगों की जुबान पर है। भले ही ठंड से कपकपा रहे है पर चुनावी रंग ढंग में अपनी कीमती राय देने में इन दिनों लोगों को कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा है। चुनावी समीक्षा का बुखार लोगों को ऐसा चढ़ा है इसकी चर्चा के बिना खाना हजम होना मुश्किल हो रहा है। मतगणना तक यह दौर समीक्षा के साथ टीका-टिप्पणी,अटकलों ओर अनुमानों का चलता ही रहेगा।
इस पर मतगणना तक विराम लगना मुश्किल है। चुनावी चकल्लस में राजनैतिक कार्यकत्र्ता तो ठीक है पर उम्मीदवारों के एक तरफा सर्मथक ओर चमचे नुमा कुछ लोग कहर ही बरसायें हैं अपने आत्ममुग्ध भाव से लोगों को जीत का दावा कर जतला रहे हैं। किसी ने कह दिया कि ऐसा नहीं हो सकता तो लाखों की शर्त लगाने तैयार है। किसी ने कहा कि कैसे जीत रहें है तो अपने अंध ज्ञान से जीत का गणित बता रहें हे इस पर अपने गुटीय सहयोगियेां को भी निपटाने में लगे है। राजनैतिक विचाराधारा में चुनाव में व्यक्तिवादी सोच के कारण कांग्रेस ओर भाजपा में उम्मीदवार का खास होने,बताने ओर जतलाने की होड़ में कई तो माल अंदर करने के बाद भी उन्हें नींद नहीं आ रही है कि भैया ने दिये धन का हिसाब मांग लिया तो उन्हें क्या बतायेगें।
पुष्टि कराने की बात आ गयी तो लोचा ही हो जायेगा। इसके लिये मतगणना तक कुछ लोग हिसाब न देने के चक्कर में अपने परिवार कार्यो में व्यस्त होने का नाटक कर रहें। इसी में दूसरे किस्म का वर्ग उम्मीदवारों की टोली में पाया जाता है वो चुनाव जीतने के हिसाब से कार्यो के बंटवारों में मंत्रीमंडल के गठन में विभाग बंटवारा के हिसाब से जुट गया है कौन-कौन पर क्या-क्या कार्य की जिम्मेदारी रहेगी। ओर आपस में एक दूसरे के कार्यो पर कोई अलसेट नहीं देगा। इस प्रकार के सपने बुनने में लगे है पर इनको कोन समझाये कि ये सपने हैं ओर रहेगें,उनसे कुछ बचेगा तो दूसरों को मिलेगा? चुनाव में बेजा खर्च हुआ उसका क्या
उत्साह से किया मतदान
नरसिंहपुर जिले में मतदान करने में लोगों ने उत्साह दिखाया। ऐसे कई वाक्या हुए हैं जो लोगों की जुबान पर बरबस है मतदाता सूची में नामी गिरामी लोगों के नाम न होना,कई स्थानों पर ईवीएम के खराब होने पर देर से मतदान होना। एक वाक्या तो सोशल मीडिया में इन दिनों छाया हुआ है कि एक से किसी ने पूंछ लिया कि मतदान कर आये तो उसने भी तपाक से अंदर तक चुभने वाला जबाव दिया कि मेरे एक मत से कोई अरब पति बन रहा है तो इसमें अपना क्या जाता है जिले में एक मतदान केंद्र में प्रात: ही वोट डालने लाइन में लगे लोग चौक गये कि एक व्यक्ति मतदान टेबिल पर वोट डालने में बड़ी देरी तक खड़ा रहा। पूंछने पर उसने बताया कि में असमंजस में पड़ गया था कि अध्धा किसने ओर पऊआ किसने दिया है इसी चक्कर में मत देने में समय लगा।
इसी तरह चुनावी गदर में शराब का दौर ऐसा चला है कि कुछ लोगों ने गले एवं पेट भर पी। ओर अगले दिनों तक का इंतजाम कर लिया है उसपर जानकारों की माने तो जितनी शराब एक साल में उपयोग की जाती है वह चालीस दिन में ही साल भर के उपभोग के बराबर हो गयी है। ठंड का मौसम है ज्यादा पीने में भी चढ़ी जैसी नहीं लगी है शराब के मिलावटी होने की चर्चा भी चुनावी चक्कर में नहीं हो पा रही है धन लगता तो दौंदरा पीटते,पर फ्री की शराब में हल्ला मचाना नैतिकता के खिलाफ है। लच्छू ने पूंछा कि जा जो शराब बटी है वह टेस्ंिटग की शराब तो नहीं थी। मैंने उसे बताया कि इस बारे में जांच होगी तो पता चलेगा, पर ऐसी शराब का लोगों पर क्या असर होता है यह ओर बात है लेकिन इसका राजनैतिक परीक्षण मतगणना के बाद होगा। शराब ने तांडव कितने कियें हैं कि नहीं ? शराब में होता नशा तो नाचती बोतल--------
अब मतगणना का इंतजार
नरसिंहपुर जिले में अब मतगणना की तरन्नुम में लोग लबरेज है जब तक इस बारे में अंतिम निर्णय नहीं हो जाता है तब तक हम लोग मानने वाले नहीं हैं कि किसको कितने मत मिलेगें ओर हर दिन ओर हर घंटे के हिसाब से अपनी राय धारणा के अनुसार दे रहे हैं उम्मीदवार भी अपने रणनीतिकारों के साथ बैठकर जीत के आंकड़े अपने विश्वास के साथ लोगों से सांझा कर रहे हैं। इसी में वे अपनी चुनावी खुमारी उतार रहे है उस पर भितरघातियों की सूची तैयार करने में लगे ओर जुटे हैं। ताकि जिन्होंने उन्हें निपटाया होगा उन्हें निपटाने का पूर्व अभ्यास जिले में करतब भरे राजनैतिक खेल दिखायेगा।
No comments:
Post a Comment