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बीडीए के फ्लैट, डुप्लेक्स और प्लाटों का नहीं मिल पा रहा बाजार मूल्य, दाम कम करके बिक्री करने पर विचार
रवि गुप्ता // भोपाल
राजधानी मुख्यालय पर भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) की खाली पड़ी जमीनों पर अतिक्रमणकारियों ने अपने पैर पसारना शुरू कर दिए हैं।
इससे चिंतित बीडीए प्रशासन ने नई व पुरानी सभी योजनाओं में उपलब्ध भूमि का सर्वेक्षण करने का निर्देश देकर खाली पड़ी जमीनों पर अनावश्यक अतिक्रमण एवं दुरुपयोग को रोकने पर बल देना शुरू कर दिया है। सर्वेक्षण दल को निर्देश भी दिए है कि सघन अभियान चलाकर एक साथ ऐसी समस्त भूमि का चिन्हांकन कर लिया जाए। ताकि अतिक्रमण से मुक्त करवाने की कार्रवाई की जा सके।
जर्जर होती बीडीए की कॉलोनियां
जानकारी के अनुसार राजधानी में स्थित बीडीए की पुरानी कॉलोनियां जो कि जर्जर हो रहीं हैं, ऐसे में इन जर्जर भवनों का पुर्ननिर्माण करने के लिए योजना बनाई जा रही है। हालांकि संभाग आयुक्त के निर्देश पर सीईओ बीडीए बुद्घेश कुमार बैद्य ने बीडीए की करीब 35 साल तक पुरानी 25 कॉलोनियों का सर्वे करने के लिए एक्जिक्यिुटिव इंजीनियरों की अध्यक्षता में 8 टीम गठित कर दी है। एक टीम में पांच सदस्य रखे गए हैं। यह टीम एक माह के अंदर सर्वे कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी इसके बाद पुर्ननिर्माण की योजना बनाई जाएगी।
कम भाव से करेंगे बिक्री
जानकारी के अनुसार बीडीए के लगभग सौ से डेढ़ सौ करोड़ के फ्लैट, डुप्लेक्स और प्लाट सालों से बाजार में बिक्री के लिए तैयार है, परन्तु मंहगाई के दौर में बीडीए की संपत्ति नहीं बिक पा रही है। ऐसी सभी प्रॉपर्टी का अब बाजार मूल्य और आवश्यकता के आधार पर नए सिरे से दाम तय किए जाने पर बीडीए प्रशासन विचार करने को मजबूर हो गया है। ताकि इन प्रॉपर्टी को बेचा जा सके। बीडीए अपनी ऐसी प्रॉपर्टी के दाम करीब 25 फीसदी तक कम करने पर राजी हो सकती है।
विशेषज्ञों की सलाह
राजधानी मुख्यालय पर बीडीए के दर्जनों फ्लैट तैयार की स्थिति में खड़े हुए हैं। जिनकी बिक्री नहीं होने के कारण जर्जर भी होते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नगरीय प्रशासन को दी जाने वाली राशि की कीमत से ही बीडीए के फ्लैट खरीदकर गरीबों के नाम आवंटित करने की कार्रवाई नई सरकार कर सकती है। इससे बीडीए के फ्लैट्स प्रधामंत्री आवास योजना से मिलने वाली राशि से भी बिक जाएंगे और गरीबों को आवास तुरंत मिल जाएगा। इतना ही नहीं दूरस्थ स्थलों पर बनाए गए फ्लैट में गरीबों को रहने की छत मिलते ही वहां चहल-पहल भी होने लगेगी और राजधानी के गरीबों को इसका लाभ मिलने से सरकार की उपलब्धि भी मानी जाएगी। हालांकि बीडीए के फ्लैट की कीमत ज्यादा है, परन्तु सरकार बीडीए प्रशासन और नगरीय प्रशासन के साथ मिलकर बैठक कर इस तरह का निर्णय लेने में सक्षम हो सकती है।
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