अब नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रिन्युवल अटकी, मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप का इंतजार ! |
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- सर्वर डाउन रही समस्या, लेट फीस का भी नहीं प्रावधान
- हजारों नर्सिंग छात्रों का भविष्य बीच अंधकार में अटका
रवि गुप्ता // भोपाल
प्रदेश में संचालित होने वाले नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रिन्युवल अटक जाने के कारण कॉलेजों में अध्ययनरत नर्सिंग छात्रों का भविष्य अंधकार में अटक गया है। मप्र सरकार ने प्रदेश के संचालित नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता ऑन लाइन रिन्युवल करने का समय 30 दिसम्बर 2018 तक दिया था। ऑन लाइन रिन्युवल में विभाग का सर्वर डाउन रहने की स्थिति में आधा-अधूरा फार्म सममिट होने की स्थिति में रिन्युवल फीस नहीं भरी जा सकी, विभाग ने मन्युवल फार्म लेने से इंकार भी कर दिया और लेट फीट के साथ रिन्युवल करने का मौका भी नहीं देने के कारण प्रदेश के लगभग दस से बीस हजार नर्सिंग छात्रों का भविष्य बीच अंधकार में अटक गया है।
व्यवस्थाओं पर सवाल
जानकारी के अनुसार नर्सिंग कॉलेज संचालक का आरोप है कि पूर्व की सरकार ने नर्सिंग कॉलेजों के रिन्युवल के लिए तोड़-मरोडक़र बनाए नियम से इस तरह की बाधा उत्पन्न की गई है, इतना ही नहीं बगैर विधानसभा से पास कराए ही अपने हिसाब से नियम बनाकर राजपत्र का प्रकाशन करवाकर नर्सिंग कॉलेजों के लिए एक दीवार खड़ी कर दी। इससे प्रदेश की कमलनाथ सरकार के लिए बड़ी समस्या उत्पन्न हो रही है। हालांकि नर्सिंग छात्रों की मांगे भी उठने लगी है जिनमें आर्ट्स और मैथ्स इत्यादि से जीएनएम नर्सिंग करने वाले अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरी में लिया जाए, सरकारी व निजी नर्सिंग संस्थानों से नर्सिंग करने वाले अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरियों में एक समान अवसर मिले, सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार व केंद्र सरकार के निर्देशानुसार निजी अस्पतालों में काम रहे स्टाफ नर्स को सही वेतनमान (कम से कम 20 हजार) व सुविधाएं दी जाए तथा ब्रिज कोर्स में निजी नर्सिंग संस्थानों में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ को भी समान अवसर मिले इत्यादि।
स्वास्थ्य सुविधाओं पर असर
प्रदेश में पूर्व की सरकार ने चिकित्सा माफियाओं से मिलकर मनमाफिक नियम बनवाए और माफियाओं को लाभांवित करने के लिए ही उनके ही नर्सिंग कॉलेजो को ही मान्यता देने पर कार्य किया जा रहा है और वास्तिवक सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने की मंशा लेकर नर्सिंग कॉलेज का संचालन करोड़ों रूपए खर्च करके इस क्षेत्र में उतरे हैं इनकी मान्यता रिन्यवुल करने के लिए लेट फीस का प्रावधान खतम कर सर्वर डाउन करवाकर दर्जनों नर्सिंग कॉलेजों को बंद करने की साजिश ऐसे समय पर की जा रही है जब कमलनाथ की सरकार प्रदेश में नए विकास को आयाम करने के उद्देश्य से पूर्ण बहुमत के साथ बनी।
छह सौ कॉलेज है संचालित
नर्सिंग संचालकों का मानना है कि प्रदेश में छह सौ से अधिक महाविद्यालय संचालित हैं एवं दो सौ से अधिक ऐसे महाविद्यालय है जो राज्य शासन से मान्यता प्राप्त थे, परन्तु इण्डियन नर्सिंग कॉउन्सिल से मान्यता प्राप्त करने हेतु आवेदन दाखिल करने के पश्चात निरीक्षण का इंतजार कर रहे थे, इन महाविद्यालयों को राज्य सरकार द्वारा नए नियम बनाने के बाद मान्यता देने के लिए निर्देशित किया गया, जिससे सभी दो सौ महाविद्यालयों को मान्यता हेतु दो वर्ष तक इंतजार कर सभी खर्चों को स्वयं वहन करना पड़ रहा है, अर्थात ऐसी स्थिति में दो सौ महाविद्यालय नहीं खुल पाएंगे।
गरीब विद्यार्थी की पढ़ाई पर असर
जानकारी के अनुसार राज्य शासन द्वारा निजी महाविद्यालयों को चार कोर्स जिसमें जीएनएम, नर्सिंग, बीएससी नर्सिंग, पोस्ट बेसिक नर्सिंग एवं एमएससी नर्सिंग का संचालन करने के लिए चार सौ बिस्तर का निजी अस्पताल खोले जाने या अन्य किसी अस्पताल से जुडऩे हेतु आदेशित किया गया, जो कि हर स्थान पर होना असंभव है तथ इसके लागू होने से अस्पताल स्थापना में होने वाले खर्च का भार भी छात्र-छात्राओं पर आना है, अगर समय रहते नियमों में बदलाव नहीं किया तो प्रदेश के हरिजन, दलित, पिछड़े एवं गरीब छात्रों में पढ़ाई छोडऩे का भय उत्पन्न हो जाएगा।
इन्होने बताया
ऑनलाइन फार्म भरने की तीन बार तारीखों को बढ़ाया गया है, सर्वर डाउन रहने का सवाल ही नहीं उठता है, लेट फीस के साथ फार्म सममिट करने का कोई प्रावधान नहीं है।
-आर.एस. जुलानिया, एसीएस
चिकित्सा शिक्षा विभाग मप्र
इन्होने बताया
मैं इस समय बैठक में हूं, नर्सिंग कॉलेजों के रिन्युवल सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा की जा रही है। बैठक उपरांत लिए जाने वाले निर्णय के बारे में बता पाऊंगी।
-विजय लक्ष्मी साधौ, चिकित्सा शिक्षा मंत्री
मध्यप्रदेश शासन
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