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रेरा अध्यक्ष श्री अन्टोनी डिसा ने कहा है कि बिल्डर अपने व्यवसायिक कार्यों में जरूरतमंद नागरिकों को घर उपलब्ध करवाकर सामाजिक दायित्व की पूर्ति करते हैं।
रेरा एक्ट की मंशा है कि आवंटी को समय पर घर मिले तथा उसके पूर्ण संतुष्ट होने पर सम्पवर्तक का व्यापार और ख्याति, दोनों में वृद्धि हो। इसके मद्देनजर रेरा एक्ट को सशक्त और प्रभावी बनाया जाना जरूरी है। श्री डिसा नई दिल्ली में क्रेडाई यूथकॉन-19 की राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। कांफ्रेंस को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, उप राष्ट्रपति श्री वैंकैया नायडू और नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री हरदीप पुरी ने भी संबोधित किया।
श्री डिसा ने कहा कि रेरा ऐक्ट रियल एस्टेट सेक्टर को पुनर्जीवित तथा सेक्टर में आम जनता का विश्वास कायम करने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि रेरा एक्ट बिल्डरों के विरूद्ध नहीं है। इससे जो बदलाव आएगा, उससे बिल्डरों को ज्यादा खरीदार मिलने के साथ ही बाजार में मांग भी बढ़ेगी। श्री डिसा ने कहा कि रियल एस्टेट, भारतीय अर्थ-व्यवस्था में सर्वाधिक योगदान देने वाला द्धितीय महत्वपूर्ण घटक है।
इस सेक्टर की सफलता के लिये इससे जुड़े सभी घटकों द्वारा रेरा के नियमों का पालन जरूरी हैं। रेरा एक्ट का लाभ, सेक्टर को मिले, इसके लिये जरूरी है कि सभी प्रोजेक्ट रेरा में पंजीकृत हों। उन्होंने कहा कि पंजीकृत होने के बाद आवंटियों की समस्या का निराकरण करना आसान हो जाता है। रेरा प्राधिकरण द्वारा अपंजीकृत प्रोजेक्ट और कॉलोनी की जानकारी देने वाले सूचनाकर्ताओं को पुरस्कृत करने की योजना भी लागू की गई है।
मध्यप्रदेश मे रेरा एक्ट के क्रियान्वयन के अपने अनुभवों को साझा करते हुए श्री डिसा ने कहा कि रेरा प्राधिकरण के आदेशों का त्वरित क्रियान्वयन कराया जाना अभी सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिये नियमों में प्रावधान करने की जरूरत है। क्रेडाई की ओर से सुझाव दिया गया कि एक ही स्थान पर तमाम स्वीकृति देने की प्रणाली से प्रोजेक्ट समय पर पूरा करने में मदद मिलेगी। रेरा पंजीयन को बंधनकारी बनाने के लिये नियम बनाया जाना आवश्यक है, ताकि रेरा पंजीयनकर्ताओं को पंजीयन नहीं कराने वालों की तुलना में प्रोत्साहन मिल सके। नियमों में ही ऐसा प्रावधान किया जाये कि रेरा में पंजीयन कराये बगैर प्रोजेक्ट में निर्मित इकाइयों का अंतरण नहीं हो सके।
कांन्फ्रेंस मे सभी को सुविधाजनक आवास उपलब्ध कराने के कारण रियल एस्टेट के समक्ष आसन्न चुनौतियों तथा रियल एस्टेट सेक्टर को आ रही दिक्कतों को दूर करने के उपायों पर विचार किया जा रहा है।
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