सिटी चीफ // आनंद कुमार नेमा (नरसिंहपुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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नरसिंहपुर जिले में रेत माफियाओं की मनमानी से जिले की जीवन रेखा कही जाने वाली माँ नर्मदा सहित अन्य नदियों के घाट दलदल में तब्दील हो रहे है। इन ठेकेदारों पर पैंसों का लालच इस कदर हावी है कि वे छोटे-मोटे नाले की रेत का अवैध उत्खनन करने तक से नहीं चूक रहे है। बारिश पूर्व रेत ठेकेदारों द्वारा हजारों डम्फर रेत डंप कर ली गयी है। जिसका नजारा जहां-तहां देखने मिल रहा है, लेकिन रेत माफियाओं के हाथों बिक चुका खनिज विभाग एवं प्रशासन पूरी तरह लाचार नजर आ रहा है। ग्राम नयागांव से महादेव पिपरिया जाने वाले मार्ग पर ३-४ स्थानों में रेत का अवैध भंडारण किया गया है। रेत के बड़े-बड़े पहाड़ ठेकेदारों की धनलोलुपता की ओर संकेत करते है। इसके अलावा नर्मदा के अन्य घाटों में भी यही स्थिति है। रेत ठेकेदार नालों की रेत को नर्मदा घाटों से उत्खनन की गयी रेत में मिलाकर बेच रहे है जिससे स्वाभाविक रूप से उपभोक्ता इस रेत की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे है। बारिश के दिनों में जब नदियां उफान पर होती है और रेत घाटों पर विशाल जलराशि के सिवा कुछ नजर नहीं आता, उस समय रेत का काम ढीला पड़ जाता है, किंतु कमोवेश रेत की मांग में कोई अंतर नहीं आता। सामान्य दिनों की अपेक्षा बारिश में लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर रेत ठेकेदार मनमानी कीमतें वसूलते है।
कई ठेकेदार तो बिना बिल के रेत बिक्री कर करों की चोरी करते हुए उत्खनन स्थल पर भी मनमानी करते है। रेत का यह कारोबार लठेतों की दम पर नियंत्रित किया जाता है, इसलिए आमजन इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाते।कुछ दिनों पूर्व जिलें के नर्मदा भक्तों द्वारा कलेक्ट्रेट पहुंचकर रेत माफियाओं की शिकायत की गयी थी। शिकायतपत्र में अनेक विसंगतियों को उजागर कर रेत माफियाओं के नाम व उनके डंफरों के नम्बर भी प्रशासन को दिये गये थे, बावजूद इसके अधिकारियों की जुबां पर ताले लगे हुए है।
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