बैतूल // रामकिशोर पंवार
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बैतूल।बैतूल जिला पंचायत से बीते छै माह पूर्व मांगी गई सूचना के अधिकार अधिनियम की जानकारी जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी के बार - बार कड़े निर्देशो एवं फटकार के बाद भी जिले की 558 ग्राम पंचायतो के सचिव जिले में वर्ष 2006 से शुरू हुई कपीलधार कूप योजना में करवाई गई ब्लास्टींग की जानकारी नहीं दे रहे हैं। सचिवो को कोई जानकारी न देने के लिए या तो डरा रहा है या फिर सचिव जेल जाने के डर से उक्त जानकारी नहीं दे रहे हैं। राष्ट्रहित में मांगी गई जानकारी के लिए आवेदक को बकायदा जिला पंचायत एवं जनपद पंचायतो से पत्र मिल रहे हैं लेकिन कोई भी ग्राम पंचायत जानकारी देने के लिए आगे नहीं आ रही हैं। भीमपुर जनपद की 5 ग्राम पंचायतो द्वारा दी गई जानकारी के बाद हुए खुलासे के बाद से सचिवो ने जानकारी न देने के लिए पूरी तैयारी कर रखी हैं। सचिवो को अंदेशा हैं कि उन्हे उक्त जानकारी के खुलासे होते ही जेल तक जाना पड़ सकता हैं क्योकि सचिवो ने ऐसे लोगो के नाम से भुगतान कर दिया है जिनका वजूद ही नहीं हैं। राजस्थान से लेकर हरदा जिले के कई लोगो के नाम पर किए गए फर्जी भुगतान के बाद अब रोज नए खुलासे सामने आ रहे हैं। जिले के कई सचिवो ने तो अपने नाते - रिश्तेदारों के नाम से फर्जी भुगतान जारी कर दिया हैं। ब्लास्टींग के मामले में जिले की सभी 558 ग्राम पंचायतो के सचिवो को कई बार चेतावनी पत्र तक जारी हो चुके हैं। इधर सुप्रीम कोर्ट के नए आदेशो के बाद मनरेगा की सीबीआई को जांच के निर्देश के बाद मध्यप्रदेश के बैतूल जिले से कपीलधारा कूप निमार्ण कार्य में योजना के प्रारंभ से इन पंक्तियों के लिखे जाने तक 116 करोड़ रूपए के ब्लास्टींग बिलो के भुगतान की जांच को लेकर बैतूल जिला पर्यावरण संरक्षण समिति के संयोजक एवं आरटीआई कार्यकत्र्ता रामकिशोर पंवार द्वारा सीबीआई को एक मय शपथ पत्र के शिकायत पत्र भेजा हैं जिसमें बैतूल जिले में बीते वर्षो में आई बारूद एवं डिटोनेटर्स की सप्लाई की जिला कलैक्टर कार्यालय बैतूल से प्रमाणित प्रति के साथ जिले के अधिकृत एक्सक्लूसिव लायसेंस धारको की सूचि भेजी हैं जिसके अनुसार जिले में आवक विस्फोटक सामग्री से सौ गुणा अधिक कपिलधारा कूपो के निमार्ण कार्यो में सप्लाई कर भुगतान किया गया हैं।
शिकायत के साथ सीबीआई को सौपी दस्तवेजों की सूचि में भुगतान पाने वाले ऐसे लोगो की भी जानकारी दी हैं जिनके पास उनकी तथाकथित फर्म , संस्थान के टन नम्बर , आयकर , सेल टैक्स , सर्विस टैक्स ,नम्बर न होने की भी विभागवार प्रमाणित प्रतियां भिजवाई गई हैं। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत राज्य सूचना आयोग को भी अपील की गई हैं तथा जिला पर्यावरण संरक्षण समिति की ओर से हाईकोर्ट में भी एक जनहित याचिका दायर की जा रही हैं। आर टी आई कार्यकत्र्ता ने सवाल किया हैं कि जिले के सचिव आखिर किसके दबाव में जानकारी नहीं दे रहे हैं इस बात की भी जांच होनी चाहिए।
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