मीनाल शॉपिंग मॉल के बाद डी बी मॉल का नम्बर
क्या आदर्श घोटाले का बाप निकलेगा डीबी मॉल घोटाला
विनय जी. डेविड // भोपाल (टाइम्स ऑफ क्राइम) 9893221036
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आखिर सच क्या है, झूठ क्या है, इस बात का फैसला कौन करेगा.....? अरे फैसला करने की क्या बात है यह तो सिद्ध है कि भोपाल के सीने में खड़ी आलीशान बिल्ंिडग डी.बी. मॉल शहर की शान है परन्तु इसके पीछे जो रहस्य हैं वो अगर सही मान लिये जायें तो चौकाने वाले हैं। ये पूरी की पूरी उसी तरह जैसे जादू की छड़ी घुमा दी और जादू की झप्पी में पुरा मध्यप्रदेश शासन, सरकार और विभागीय अधिकारी इस षडय़ंत्र में शामिल हो खड़ा था। कार्यवाहीं करते हुए इस योजना को पूर्ण करवा दिया ‘‘वहीं बड़ी ’’ ‘‘दबंगई’’ के साथ’’ डी.बी. माल प्रबन्धन हो गया मालामाल.......? ये कोई हवा हवाई बात नहीं है इसके लिए पूरी गाथा लिखी है ‘‘कलिनायक’’ नामक पुस्तक लेखक सजीव जैन और धर्मेन्द्र शर्मा ने इन्होंने पूरी मेहनत के साथ मय प्रमाणित दस्तावेजों सहित प्रस्तुत किया है। ये कहानी शुरू होती है 5000 गरीबों की झोपडिय़ों से जो इस डी.बी. मॉल तक पहुंचती हैं। चंद साल पहले संजय नगर नाम की झुग्गी बस्ती थी। जहां पर करीब 5000 गरीब लोग निवास कर अपनी जीविका चलाते हैं। जिनका इस समय कोई माईबाप नहीं है वो ना जाने कौन सी गुमनामी में कहां भटक रहे है। परन्तु जो मालदार हों गये उन्होंने ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी जहां शासन, प्रशासन जिसकी भी आवश्यकता पड़ी मीडियाई तोप चला कर फैसले अपने पक्ष करवाते चले गये। अधिकारियों ने नियमों का चारो कोना चित कर जब जब चाहा नियमों से बालात्कार किया।
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