जिला प्रतिनिधि // डी. जी. चौरे ( बालाघाट // टाइम्स ऑफ क्राइम )
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बालाघाट। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सरकार वृक्षारोपण एवं नये उपवन लगाने में करोड़ो रूपये पानी की तरह बहा रही है वहीं वनो की अवैध कटाई से जंगलों का सत्यानाश होते जा रहा है। घने वनो के लिए बालाघाट जिला मध्यप्रदेश में मशहूर है जो अब खण्ड-खण्ड में बंट चुका है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वन विभाग द्वारा कभी अपना टारगेट पूरा करने अंधाधुंध कटाई की गई। लक्ष्य पूरा करने कटाई तो प्रतिवर्ष पूर्ण कर ली जाती है किंतु काटे गये वृक्षों के स्थान पर नये वृक्ष नहीं लगाये जाते। वृक्षारोपण के तहत लगाये गये पौधे या तो मवेशियों का चारा बन जाते है या सुरक्षा के अभाव में नष्ट हो जाते है। पूरा बालाघाट जिला चारो दिशाओं में वन विरला होते जा रहे है। लांजी क्षेत्र के देवरबेली, सीतापाला, गांगीराज में अवैध कटाई का सिलसिला जारी है। जंगली जानवरों का शिकार तथा वनों से हरे भरे बेशकीमती वृक्षों की कटाई इनके द्वारा लगातार की जा रही है। जिससे यह घना वन क्षेत्र बर्बाद हो रहा है। हाल ही में वन माफियाओं द्वारा जंगली जानवरों का शिकार इसी तरह कर चुके है। क्षेत्र के जंगलो में हो रही अवैध कटाई से हरे भरे वृक्षों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि इस अवैध कटाई में काटी गई वृक्षों की लकडिय़ों का व्यापार खुलेआम लांजी नगर में किया जाता है और ना ही अवैध कटाई पर अब तक कोई अंकुश विभाग लगा पाया है। क्षेत्र के घने जंगलो से हर सुबह हरे भरे बांस सस्ते दामों में बेच दिये जाते है। इस अवैध कटाई से ही इन ग्रामीणों की रोजी रोटी चलती है और अवैध कटाई ही इनका मुख्य कारोबार है। यह सब प्रतिदिन सुबह वन विभाग के नाक के नीेचे किया जाता है और विभागीय कर्मचारी मूकदर्शक बनकर सब कुछ देखते रहते है। क्षेत्र से सटे जंगलो से विगत वर्षो से ग्रामीणों द्वारा की गई अवैध कटाई से लगभग 50: प्रतिशत तक जंगल लगभग साफ हो गया है। जिसका प्रतिकूल असर पर्यावरण पर भी पड़ा है कभी जिले में चेरापूंजी के नाम से विख्यात लांजी क्षेत्र अब वनो के कम होने के कारण सूखे की मार झेल रहा है। वर्तमान में जिस प्रकार प्रतिदिन अंधाधुंध कटाई हरे-भरे वृक्षों एवं बांसो की हो रही है उसे देखकर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कटाई पिछले वर्षो का रिकार्ड तोड़ देगी व वन नाम मात्र के ही रह जायेंगे।
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