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सिंगरौली जिले की बदहाल शैक्षणिक व्यवस्था को लेकर किए जा रहे तमाम प्रयास असफल साबित हो रहे है। शहर से लेकर ग्राम तक संचालित समस्त 1,449 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 112 भवनों की हालत जर्जर बनी हुई है। बताते हैं कि बरसात के दिनों में उनकी छतों से पानी टपकने लगता है। नौबत यह कि कभी भी उनकी दीवारें भरभराकर ढह सकती हैं। लिहाजा कुपोषण दूर करने की केंद्र सरकार की ओर से संचालित एकीकृत बाल विकास कार्यक्रम को पंख नहीं लग पा रहा है। जबकि हर साल सरकार इस कार्यक्रम पर करोड़ों की धनराषि खर्च कर रही है।किराए के मकान में 448 केंद्रविभाग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, मौजूदा वक्त में जिले में 1449 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं। उनमें से 448 आंगनबाड़ी केंद्र किराए के मकान में चल रहे हैं। 174 केंद्र सरकारी भवनों में चल रहे हैं। जबकि, 652 केंद्र विभागीय भवन में संचालित हो रहे हैं। साथ ही 175 केंद्र स्कूलों में संचालित किए जा रहे हैं। मतलब साफ सरकार हर महीने हजारों रुपए बतौर किराए पर खर्च कर रही है। सिंगरौली जिला बनने के सात साल बाद ये हालत शर्मनाक है।फिर भी कम है केंद्रदो साल में 112 नए आंगनबाड़ी केंद्र खोले गए हैं। फिर भी नाकाफी है। मानक के मुताबिक, शहरी क्षेत्रों में 1000-2000 तक की आबादी पर एक केन्द्र होना चाहिए। जबकि ग्रामीण इलाकों में 300-700 की आबादी पर एक केन्द्र होना चाहिए।
बीआरजीएफ ग्रामीण विकास, आईएपी, विश्व बैंक आदि की मदद से भवन बनाए जा रहे हैं। 371 भवन निर्माणाधीन हैं।सुभद्रा मानिकपुरी, जिला कार्यक्रम अधिकारी
सिंगरौली जिले की बदहाल शैक्षणिक व्यवस्था को लेकर किए जा रहे तमाम प्रयास असफल साबित हो रहे है। शहर से लेकर ग्राम तक संचालित समस्त 1,449 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 112 भवनों की हालत जर्जर बनी हुई है। बताते हैं कि बरसात के दिनों में उनकी छतों से पानी टपकने लगता है। नौबत यह कि कभी भी उनकी दीवारें भरभराकर ढह सकती हैं। लिहाजा कुपोषण दूर करने की केंद्र सरकार की ओर से संचालित एकीकृत बाल विकास कार्यक्रम को पंख नहीं लग पा रहा है। जबकि हर साल सरकार इस कार्यक्रम पर करोड़ों की धनराषि खर्च कर रही है।किराए के मकान में 448 केंद्रविभाग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, मौजूदा वक्त में जिले में 1449 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं। उनमें से 448 आंगनबाड़ी केंद्र किराए के मकान में चल रहे हैं। 174 केंद्र सरकारी भवनों में चल रहे हैं। जबकि, 652 केंद्र विभागीय भवन में संचालित हो रहे हैं। साथ ही 175 केंद्र स्कूलों में संचालित किए जा रहे हैं। मतलब साफ सरकार हर महीने हजारों रुपए बतौर किराए पर खर्च कर रही है। सिंगरौली जिला बनने के सात साल बाद ये हालत शर्मनाक है।फिर भी कम है केंद्रदो साल में 112 नए आंगनबाड़ी केंद्र खोले गए हैं। फिर भी नाकाफी है। मानक के मुताबिक, शहरी क्षेत्रों में 1000-2000 तक की आबादी पर एक केन्द्र होना चाहिए। जबकि ग्रामीण इलाकों में 300-700 की आबादी पर एक केन्द्र होना चाहिए।
बीआरजीएफ ग्रामीण विकास, आईएपी, विश्व बैंक आदि की मदद से भवन बनाए जा रहे हैं। 371 भवन निर्माणाधीन हैं।सुभद्रा मानिकपुरी, जिला कार्यक्रम अधिकारी
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