पन्ना। अपर सत्र न्यायाधीश डी.पी.मिश्रा ने मृतक संध्या 10 वर्ष (पहचान छिपाने के लिए परिवर्तित नाम) के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर साक्ष्य मिटाने के आरोप में राजेश वर्मा पिता दुक्खन वर्मा 19 वर्ष, रामसजीवन तनय छिद्दूलाल वर्मा 19 वर्ष को दोषी मानते हुये फांसी की सजा सुनाई गई है, दोनों आरोपी पन्ना जिले के सलेहा थाना क्षेत्र के ग्राम गंज जमराय के निवासी बताये गये हैं। इन आरोपियों के विरूद्ध धारा 302, 34 आईपीसी में फांसी की सजा एवं दो हजार रूपये का अर्थदण्ड, धारा 376 (क) भारतीय दण्ड संहिता एवं सहपठित धारा 5/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में जीवन पर्यन्त सश्रम कारावास एवं 2000 रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया इसके साथ ही आईपीसी की धारा 201 में दोनों आरोपियों को 7 वर्ष की सजा से दण्डित करने का फैंसला सुनाया गया।
जिला लोक अभियोजक किशोर श्रीवास्तव ने बताया कि 8 मई 2013 को मृतिका अपने घर से निकली और फिर लौटकर वापिस नहीं आई। सलेहा पुलिस ने मृतिका के पिता कमलेश की रिपोर्ट पर गुमइंसान कायम किया और फिर 13 मई 2013 को उक्त नाबालिक बच्ची की लाश रामखिलावन के कुंये में बोरी में बंद मिली, जिसकी पहचान मृतिका के परिजनों ने अपनी पुत्री के रूप में की। पुलिस ने विवेचना के दौरान पाया कि उक्त युवती के साथ राजेश वर्मा एवं रामसजीवन वर्मा ने पहले सामूहिक दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर उसे एक बोरी में बंद किया और कुंये में फेंक दिया। इस मामले में कई लोगों के ब्यान कराये गये तमाम सबूतों और ब्यानों के आधार पर अपर सत्र न्यायाधीष डी.पी.मिश्रा ने अपना ऐतिहासिक फैंसला सुनाते हुये दोनों आरोपियों को मृत्युदण्ड की सजा सुनाई।
जिला लोक अभियोजक किशोर श्रीवास्तव ने बताया कि 8 मई 2013 को मृतिका अपने घर से निकली और फिर लौटकर वापिस नहीं आई। सलेहा पुलिस ने मृतिका के पिता कमलेश की रिपोर्ट पर गुमइंसान कायम किया और फिर 13 मई 2013 को उक्त नाबालिक बच्ची की लाश रामखिलावन के कुंये में बोरी में बंद मिली, जिसकी पहचान मृतिका के परिजनों ने अपनी पुत्री के रूप में की। पुलिस ने विवेचना के दौरान पाया कि उक्त युवती के साथ राजेश वर्मा एवं रामसजीवन वर्मा ने पहले सामूहिक दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर उसे एक बोरी में बंद किया और कुंये में फेंक दिया। इस मामले में कई लोगों के ब्यान कराये गये तमाम सबूतों और ब्यानों के आधार पर अपर सत्र न्यायाधीष डी.पी.मिश्रा ने अपना ऐतिहासिक फैंसला सुनाते हुये दोनों आरोपियों को मृत्युदण्ड की सजा सुनाई।
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