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भोपाल। क्षेत्रीय न्यूज़ चैनलों की गिरती हुई दर्शक संख्या से घबराए चैनल मालिकों ने अब उनके नाम पर चल रहे व्हाट्स एप्प ग्रुप बंद करवाने के फैसला लिया है। प्रत्येक जिले में चैनलों के स्टिंगर मौजूद हैं जो की चैनल को खबरें देतें है और चैनल उसके बदले में उन्हें प्रति खबर पैसे देते हैं। पिछले कुछ महीनों में प्रत्येक जिले शहर और तहसील में धडाधड चैनलों के नाम से व्हाट्स एप्प ग्रुप खोले गए और उनमे चैनल से पहले खबर डालने की प्रतिस्पर्धा शुरू हो गयी। कई खबरें तो चैनल तक पहुंचती ही नहीं और सिर्फ ग्रुप तक सीमित रह जाती है। नतीजा यह रहा की लोगों को तो खबरें तत्काल मिलने लगीं पर चैनलों के दर्शक कम होने लगे। इसका चैनलों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। इसी के चलते अब चैनल के मालिक प्रत्येक जिले में उनके चैनल के नाम से चल रहे व्हाट्स एप्प ग्रुप की जानकारी जुटाने में लगे हैं ताकि ग्रुप बनाने वाले पर चैनल के नाम और लोगों के इस्तेमाल का कापीराइट उल्लंघन के तहत मामला चलाया जा सके और स्थानीय स्टिंगर जो यह काम कर रहें है उन्हें चैनल से हटाये जाने की भी बात कही जा रही है। कुछ शहरों में चैनल के नाम से चल रहे ग्रुप्स के माध्यम से अवैध वसूली की बात भी सामने आ रही है। चैनल के नाम से बने ग्रुप में जिले के अधिकारियों को भी जोड़ा जाता है और ग्रुप के माध्यम से उन्हें भी प्रभावित किया जा रहा है।
भोपाल। क्षेत्रीय न्यूज़ चैनलों की गिरती हुई दर्शक संख्या से घबराए चैनल मालिकों ने अब उनके नाम पर चल रहे व्हाट्स एप्प ग्रुप बंद करवाने के फैसला लिया है। प्रत्येक जिले में चैनलों के स्टिंगर मौजूद हैं जो की चैनल को खबरें देतें है और चैनल उसके बदले में उन्हें प्रति खबर पैसे देते हैं। पिछले कुछ महीनों में प्रत्येक जिले शहर और तहसील में धडाधड चैनलों के नाम से व्हाट्स एप्प ग्रुप खोले गए और उनमे चैनल से पहले खबर डालने की प्रतिस्पर्धा शुरू हो गयी। कई खबरें तो चैनल तक पहुंचती ही नहीं और सिर्फ ग्रुप तक सीमित रह जाती है। नतीजा यह रहा की लोगों को तो खबरें तत्काल मिलने लगीं पर चैनलों के दर्शक कम होने लगे। इसका चैनलों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। इसी के चलते अब चैनल के मालिक प्रत्येक जिले में उनके चैनल के नाम से चल रहे व्हाट्स एप्प ग्रुप की जानकारी जुटाने में लगे हैं ताकि ग्रुप बनाने वाले पर चैनल के नाम और लोगों के इस्तेमाल का कापीराइट उल्लंघन के तहत मामला चलाया जा सके और स्थानीय स्टिंगर जो यह काम कर रहें है उन्हें चैनल से हटाये जाने की भी बात कही जा रही है। कुछ शहरों में चैनल के नाम से चल रहे ग्रुप्स के माध्यम से अवैध वसूली की बात भी सामने आ रही है। चैनल के नाम से बने ग्रुप में जिले के अधिकारियों को भी जोड़ा जाता है और ग्रुप के माध्यम से उन्हें भी प्रभावित किया जा रहा है।
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