सिवनी. ह्यूमन राइट्स कमीशन के एक अफसर के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने वाली ट्रेनी महिला आईएएस रिजु बाफना ने फेसबुक के जरिए दर्द साझा किया। कहा- देश में कोई महिला जन्म न ले। पोस्ट वायरल हो गई तो रात को नई पोस्ट के जरिए अफसोस जताया। कहा- ‘‘गुस्से में लिख दिया। हम किसी व्यक्ति के लिए पूरे देश को ब्लेम नहीं कर सकते। मुझे देश पर पूरा भरोसा है।’'
क्या लिखा था फेसबुक पर?
रिजु बाफना ने फेसबुक पर लिखा है, ‘‘मैंने कमीशन के एक दोस्त के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। उन्होंने मुझे अश्लील मैसेज भेजे थे। मेरी शिकायत पर डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर भारत यादव ने तत्काल कार्रवाई कर उसे पद से हटा दिया। लेकिन मुझे तब तकलीफ पहुंची, जब मैं बयान दर्ज कराने अदालत गई। कोर्ट रूम में एक एडवोकेट भी कुछ लोगों के साथ मौजूद थे। इतने लोगों के सामने बयान देने को लेकर मैं असहज महसूस कर रही थी। मैंने मजिस्ट्रेट से स्टेटमेंट की कैमरा रिकॉर्डिंग कराने का अनुरोध किया। कोर्ट मेरी मांग पर विचार करती इससे पहले ही वकील ने चिल्लाते हुए कहा- आप अपने ऑफिस में अफसर होंगी, अदालत में नहीं। मैंने कहा कि मैं आईएएस होने के नाते नहीं, एक महिला होने की वजह से यह मांग कर रही हूं। वे बदतमीजी से बात करते हुए चले गए। मैंने माननीय मजिस्ट्रेट से भी निवेदन किया, लेकिन उन्होंने नहीं सुना। उन्होंने कहा- आप युवा हैं। अभी अप्वाइंट हुई हैं इसलिए इस तरह की मांग रख रही हैं। धीरे-धीरे आप अदालतों के कामकाज के तरीके समझ जाएंगी। फिर ऐसी मांगें नहीं रखेंगी। मैं मजबूर थी। बयान दर्ज करा दिया। यदि आईएएस पद पर बैठी महिला के साथ ऐसी उदासीनता और असंवेदनशीलता है तो आम महिला पर क्या गुजरती होगी? मैं उन महिलाओं के साथ सहानुभूति रखती हूं जो चुप रहीं।’’
‘हर कदम पर उल्लू बैठा है'
क्या लिखा था फेसबुक पर?
रिजु बाफना ने फेसबुक पर लिखा है, ‘‘मैंने कमीशन के एक दोस्त के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। उन्होंने मुझे अश्लील मैसेज भेजे थे। मेरी शिकायत पर डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर भारत यादव ने तत्काल कार्रवाई कर उसे पद से हटा दिया। लेकिन मुझे तब तकलीफ पहुंची, जब मैं बयान दर्ज कराने अदालत गई। कोर्ट रूम में एक एडवोकेट भी कुछ लोगों के साथ मौजूद थे। इतने लोगों के सामने बयान देने को लेकर मैं असहज महसूस कर रही थी। मैंने मजिस्ट्रेट से स्टेटमेंट की कैमरा रिकॉर्डिंग कराने का अनुरोध किया। कोर्ट मेरी मांग पर विचार करती इससे पहले ही वकील ने चिल्लाते हुए कहा- आप अपने ऑफिस में अफसर होंगी, अदालत में नहीं। मैंने कहा कि मैं आईएएस होने के नाते नहीं, एक महिला होने की वजह से यह मांग कर रही हूं। वे बदतमीजी से बात करते हुए चले गए। मैंने माननीय मजिस्ट्रेट से भी निवेदन किया, लेकिन उन्होंने नहीं सुना। उन्होंने कहा- आप युवा हैं। अभी अप्वाइंट हुई हैं इसलिए इस तरह की मांग रख रही हैं। धीरे-धीरे आप अदालतों के कामकाज के तरीके समझ जाएंगी। फिर ऐसी मांगें नहीं रखेंगी। मैं मजबूर थी। बयान दर्ज करा दिया। यदि आईएएस पद पर बैठी महिला के साथ ऐसी उदासीनता और असंवेदनशीलता है तो आम महिला पर क्या गुजरती होगी? मैं उन महिलाओं के साथ सहानुभूति रखती हूं जो चुप रहीं।’’
‘हर कदम पर उल्लू बैठा है'
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