#⃣जबलपुर हाई कोर्ट ने आओ बचाये अपना मध्य प्रदेश अभियान के प्रदेश अध्यक्ष विनायक परिहार की जनहित याचिका मे दिये एक अन्तरिम आदेश ने मध्य प्रदेश शासन को महात्मा गांधी राष्ट्रिय रोजगार गारंटी योजना के नियमो के अनुपालन से संबन्धित याचिका की सुनवाई करते हुये न्यायालय ने याचिका मे उल्लेखित बिन्दुओ पर पूर्ण जबाब न देने पर नाराजगी व्यक्त की ।
#⃣ मंगलवार को याचिका क्र॰ WP-4146/2015 (विनायक परिहार वि॰ म॰प्र॰ शासन) पर सुनवाई करते हुये जस्टिस राजेंद्र मैनन एवं जस्टिस सुशील कुमार गुप्ता की खंड पीठ ने नरेगा योजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश सरकार से वर्ष 2013-14 एवं 2014-15 की अवधि से संबन्धित बेरोजगारी भत्ते के भुगतान की जानकारी मांगी और 4 सप्ताह के अंदर शपथ पत्र के साथ अनुपालन प्रस्तुत करने निदेशित किया ।
#⃣ याचिका कर्ता ने सम्पूर्ण मध्य प्रदेश मे रोजगारी गारंटी योजना के नरेगा अधिनियम 2005 एवं उस के अनुपालन के लिए बनाये गये नियमो का पालन न होने से संबन्धित बिन्दुओ पर जनहित याचिका के माध्यम से न्यायालय से निर्देश जारी करने मांग की है ।
#⃣ याचिका की सुनवाई मे न्यायालय ने सरकार द्वरा याचिका से संबन्धित बिन्दुओ पर कोई जबाब नहीं मिलने पर नाराजगी व्यक्त करते हुये याचिका मे उलेखित नरसिंहपुर सहित अन्य जिलों की 100 से अधिक शिकायतों पर की गई करवाही की बिन्दुवार जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से चार सप्ताह के अंदर प्रस्तुत करने निर्देशित किया ।
#⃣ याचिकाकर्ता ने मध्य प्रदेश सरकार से केंद्र सरकार द्वरा जारी बेरोजगारी भत्ते से संबन्धित नियमो के अनुसार बेरोजगारी भत्ते के भुगतान की मांग की है। नरेगा अधिनियम के अनुसार पंजीकृत जॉब कार्ड धारक मजदूर को काम की मांग पर 15 दिनो के अंदर रोजगार उपलब्ध कराना अनिवार्य है, काम उपलब्ध न करा पाने की स्थिति मे मज़दूरों को बेरोजगारी भत्ते का भुगतान करना होता है ।
#⃣ बेरोजगारी भत्ते के भुगतान की पूरी राशि राज्य शासन की निधि से होना है । लेकिन 2005 से नरेगा योजना के मध्य प्रदेश मे लागू होने से आज तक पूरे प्रदेश मे बेरोजगारी भत्ते का भुगतान नहीं किया गया ।
#⃣ केन्द्रीय रोजगार गारंटी परिषद के अनुसार वर्ष 2005 मे योजना के लागू होने से 31 मार्च 2015 तक प्रदेश सरकार को लगभग 100 करोड़ के बेरोजगारी भत्ते का भुगतान करना है । जिससे राज्य शासन लगातार बचने का प्रयास कर रही है ।
#⃣ राज्य रोजगार गारंटी परिषद द्वरा दी गई जानकारी अनुसार पैसे की कमी के कारण भुगतान करना संभव नहीं है ।
#⃣ पूर्व मे उपरिक्त बिन्दुओं पर याचिका स्वीकार करते हुये न्यायालय ने 25 मार्च को राज्य शासन सहित 5 जिलो के क्लेक्टरो को नोटिस जारी करते हुये जबाब माँगा था लेकिन संतोषजनक जबाब न मिलने पर न्यायालय द्वरा यह अंतरिम आदेश जारी किया गया जिसके लिए सरकार को 4 सप्ताह के अंदर याचिका मे उलेखित सभी शिकायकों के निराकरन के लिए शिकायत वार की गई कार्यवाही प्रस्तुत करने आदेशित किया ।
#⃣ न्यायालय मे याचिकाकर्ता और उन के वकील स्नेह मिश्रा तथा सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता स्वप्निल गगुली ने परवी की । मामले की अगली सुनवाई 3 सितंबर को राखी गई है ।
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