संसद को ठप करने से देश को क्या मिलेगा।
Present by: - toc News
4 अगस्त को कांग्रेस ने संसद के अंदर और संसद परिसर में जो तमाशा किया, उससे जाहिर था कि कांग्रेस अब भाजपा से हार का बदला ले रही है और संसद को हथियार के रूप में काम में लिया जा रहा है। 25 सांसदों के निलम्बन के विरोध में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मनमोहन सिंह आदि ने संसद परिसर में धरना दिया तो अंदर खड्गे के नेतृत्व में बचे-खुचे कांग्रेसी सांसद हंगामा करते रहे।'
लोकसभा जब एक फिर स्थगित हो गई तो कांग्रेसी सांसद विजेता के रूप में अपनी नेता सोनिया गांधी के पास आ गए। हम सब जानते हैं कि गत चुनावों में भाजपा के मुकाबले में कांग्रेस की बुरी हार हुई थी। देशभर से कांग्रेस के मात्र 44 उम्मीदवार ही जीत पाए। जबकि देश की जनता ने भाजपा के 283 उम्मीदवारों को जीता कर पूर्ण बहुमत दिया। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी भाजपा की सरकार ने वो सभी कार्य किए, जो कांग्रेस के शासन में अटके हुए थे। लेकिन यह सब कांग्रेस को हजम नहीं हो पाया।
अब कांग्रेस का बार-बार कहना है कि विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने भी लगातार एक वर्ष तक संसद को नहीं चलने दिया था और कांग्रेस की लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने एक भी भाजपा सांसद को निलंबित नहीं किया, जबकि अब भाजपा की लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने एक साथ 25 कांग्रेसी सांसदों को निलंबित कर दिया।
कांग्रेस इसे लोकतंत्र की हत्या मान रही है। यह वहीं कांग्रेस है, जिसने देश में आपातकाल लगा कर नागरिकों के मौलिक अधिकार ही छीन लिए थे। जहां तक सांसदों के निलंबन का सवाल है तो मीरा कुमार ने लोकतंत्र को बचाने के लिए नहीं, बल्कि मनमोहन सिंह सरकार की कमजोर स्थिति और लगातार हो रहे भ्रष्टाचार की वजह से भाजपा के सांसदों को निलंबित करने की हिम्मत नहीं जुटाई।
सब जानते हैं कि टूजी, कोयला, आदर्श सोसायटी आदि घोटालों के चलते कांग्रेस की स्थिति नैतिक दृष्टि से कमजोर थी, इसलिए निलंबन जैसा जोखिम कांग्रेस सरकार ने नहीं उठाया, जबकि वर्तमान में भाजपा को न केवल पूर्ण समर्थन है, बल्कि नैतिक दृष्टि से भी पीएम नरेन्द्र मोदी ही मजबूत स्थिति में हैं। कांग्रेस और सोनिया गांधी चाहे जो आरोप लगाएं, लेकिन आज नरेन्द्र मोदी पीएम की कुर्सी पर सोनिया और कांग्रेस की मेहरबानी से नहीं बैठे हैं, बल्कि देश की जनता के वोट से बैठे हैं। यदि भाजपा सरकार जनविरोधी काम करेगी तो अगले चुनाव में जनता अपने आप निपटा देगी। संसद को ठप कर देने से कांग्रेस को कुछ भी हांसिल होने वाला नहीं है।
4 अगस्त को राहुल गांधी ने कहा कि सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे का इस्तीफा कांग्रेस नहीं बल्कि देश की जनता मांग रही है। राहुल का यह बयान जाहिर करता है कि कांग्रेस के नेता पांच वर्ष तक सत्ता से बाहर नहीं रह सकते। राहुल गांधी के पास ऐसा कौन सा पैमाना है, जिसमें उन्होंने सवा सौ करोड़ लोगों के मन की बात जान ली है। कांग्रेस के शासन में भाजपा ने भी आरोप लगाए थे, लेकिन कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए भाजपा को लोकसभा चुनाव का इंतजार करना पड़ा।
कांग्रेस को भी चाहिए कि वह तमाशा करने के बजाए आगामी लोकसभा चुनाव तक इंतजार करे। संसद को ठप करने से तो राजनीतिक दृष्टि से कांग्रेस को नुकसान ही हो रहा है। भले ही कई मोर्चो पर भाजपा सरकार विफल रही हो, लेकिन देश की अधिकांश जनता जानती है कि कांग्रेस की भेदभावपूर्ण नीतियों की वजह से देश में आतंकवाद पनपा है।
कांग्रसे ने कश्मीर में जो बीज बोए, उसी की वजह से आज कश्मीर में आईएस जैसे खूंखार आतंकी संगठन के झंडे लहराए जा रहे हैं। मीरा कुमार को भी कांग्रेस के शासन में हंगामा करने वाले भजपा सांसदों को निलंबित करना चाहिए था, अब यदि सुमित्रा महाजन ने हंगामा करने वाले कांग्रेस सांसदों को निलंबित किया है, तो यह लोकसभा अध्यक्ष का अपना निर्णय है। ऐसा लगता है कि निलंबन को सोनिया गांधी स्वयं पर हमला मान रही हैं।
सोनिया गांधी को लगता है कि इस देश पर राज करने का अधिकार सिर्फ उन्हीं के खानदान का है। भाजपा के राज में भी उन्हें कोई चुनौती नहीं दे सकता है। कांग्रेस के घोटालों से सुषमा और वसुंधरा के कृत्यों की तुलना नहीं की जा सकती है। दामाद राबर्ट वाड्रा पर लगे आरोपों के संबंध में सोनिया गांधी ने कहा है कि गलती हो तो कानूनी कार्यवाही करे सरकार। सवाल है कि सुषमा और वसुंधरा के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने के लिए कांग्रेस भाजपा सरकार को विवश क्यों नहीं करती। सोनिया-राहुल अपने 44 सांसदों के बल पर चाहे कितने दिन भी संसद ठप रखें, लेकिन भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि सुषमा और वसुंधरा के इस्तीफे नहीं लेगी।
(एस.पी. मित्तल)M-09829071511
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4 अगस्त को कांग्रेस ने संसद के अंदर और संसद परिसर में जो तमाशा किया, उससे जाहिर था कि कांग्रेस अब भाजपा से हार का बदला ले रही है और संसद को हथियार के रूप में काम में लिया जा रहा है। 25 सांसदों के निलम्बन के विरोध में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मनमोहन सिंह आदि ने संसद परिसर में धरना दिया तो अंदर खड्गे के नेतृत्व में बचे-खुचे कांग्रेसी सांसद हंगामा करते रहे।'
लोकसभा जब एक फिर स्थगित हो गई तो कांग्रेसी सांसद विजेता के रूप में अपनी नेता सोनिया गांधी के पास आ गए। हम सब जानते हैं कि गत चुनावों में भाजपा के मुकाबले में कांग्रेस की बुरी हार हुई थी। देशभर से कांग्रेस के मात्र 44 उम्मीदवार ही जीत पाए। जबकि देश की जनता ने भाजपा के 283 उम्मीदवारों को जीता कर पूर्ण बहुमत दिया। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी भाजपा की सरकार ने वो सभी कार्य किए, जो कांग्रेस के शासन में अटके हुए थे। लेकिन यह सब कांग्रेस को हजम नहीं हो पाया।
अब कांग्रेस का बार-बार कहना है कि विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने भी लगातार एक वर्ष तक संसद को नहीं चलने दिया था और कांग्रेस की लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने एक भी भाजपा सांसद को निलंबित नहीं किया, जबकि अब भाजपा की लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने एक साथ 25 कांग्रेसी सांसदों को निलंबित कर दिया।
कांग्रेस इसे लोकतंत्र की हत्या मान रही है। यह वहीं कांग्रेस है, जिसने देश में आपातकाल लगा कर नागरिकों के मौलिक अधिकार ही छीन लिए थे। जहां तक सांसदों के निलंबन का सवाल है तो मीरा कुमार ने लोकतंत्र को बचाने के लिए नहीं, बल्कि मनमोहन सिंह सरकार की कमजोर स्थिति और लगातार हो रहे भ्रष्टाचार की वजह से भाजपा के सांसदों को निलंबित करने की हिम्मत नहीं जुटाई।
सब जानते हैं कि टूजी, कोयला, आदर्श सोसायटी आदि घोटालों के चलते कांग्रेस की स्थिति नैतिक दृष्टि से कमजोर थी, इसलिए निलंबन जैसा जोखिम कांग्रेस सरकार ने नहीं उठाया, जबकि वर्तमान में भाजपा को न केवल पूर्ण समर्थन है, बल्कि नैतिक दृष्टि से भी पीएम नरेन्द्र मोदी ही मजबूत स्थिति में हैं। कांग्रेस और सोनिया गांधी चाहे जो आरोप लगाएं, लेकिन आज नरेन्द्र मोदी पीएम की कुर्सी पर सोनिया और कांग्रेस की मेहरबानी से नहीं बैठे हैं, बल्कि देश की जनता के वोट से बैठे हैं। यदि भाजपा सरकार जनविरोधी काम करेगी तो अगले चुनाव में जनता अपने आप निपटा देगी। संसद को ठप कर देने से कांग्रेस को कुछ भी हांसिल होने वाला नहीं है।
4 अगस्त को राहुल गांधी ने कहा कि सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे का इस्तीफा कांग्रेस नहीं बल्कि देश की जनता मांग रही है। राहुल का यह बयान जाहिर करता है कि कांग्रेस के नेता पांच वर्ष तक सत्ता से बाहर नहीं रह सकते। राहुल गांधी के पास ऐसा कौन सा पैमाना है, जिसमें उन्होंने सवा सौ करोड़ लोगों के मन की बात जान ली है। कांग्रेस के शासन में भाजपा ने भी आरोप लगाए थे, लेकिन कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए भाजपा को लोकसभा चुनाव का इंतजार करना पड़ा।
कांग्रेस को भी चाहिए कि वह तमाशा करने के बजाए आगामी लोकसभा चुनाव तक इंतजार करे। संसद को ठप करने से तो राजनीतिक दृष्टि से कांग्रेस को नुकसान ही हो रहा है। भले ही कई मोर्चो पर भाजपा सरकार विफल रही हो, लेकिन देश की अधिकांश जनता जानती है कि कांग्रेस की भेदभावपूर्ण नीतियों की वजह से देश में आतंकवाद पनपा है।
कांग्रसे ने कश्मीर में जो बीज बोए, उसी की वजह से आज कश्मीर में आईएस जैसे खूंखार आतंकी संगठन के झंडे लहराए जा रहे हैं। मीरा कुमार को भी कांग्रेस के शासन में हंगामा करने वाले भजपा सांसदों को निलंबित करना चाहिए था, अब यदि सुमित्रा महाजन ने हंगामा करने वाले कांग्रेस सांसदों को निलंबित किया है, तो यह लोकसभा अध्यक्ष का अपना निर्णय है। ऐसा लगता है कि निलंबन को सोनिया गांधी स्वयं पर हमला मान रही हैं।
सोनिया गांधी को लगता है कि इस देश पर राज करने का अधिकार सिर्फ उन्हीं के खानदान का है। भाजपा के राज में भी उन्हें कोई चुनौती नहीं दे सकता है। कांग्रेस के घोटालों से सुषमा और वसुंधरा के कृत्यों की तुलना नहीं की जा सकती है। दामाद राबर्ट वाड्रा पर लगे आरोपों के संबंध में सोनिया गांधी ने कहा है कि गलती हो तो कानूनी कार्यवाही करे सरकार। सवाल है कि सुषमा और वसुंधरा के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने के लिए कांग्रेस भाजपा सरकार को विवश क्यों नहीं करती। सोनिया-राहुल अपने 44 सांसदों के बल पर चाहे कितने दिन भी संसद ठप रखें, लेकिन भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि सुषमा और वसुंधरा के इस्तीफे नहीं लेगी।
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