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बैतूल। आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले को कुछेक अफसर किस कदर चारागाह बनाकर मनमर्जी चला रहे हैं इसका ताजा उदाहरण महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी के कृत्यों को देखकर मिल रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा एक वर्ष तक सारणी के लिए अनुबंधित बोलेरो वाहन को स्वयं के निजी उपयोग करने और भुगतान शासन के खाते से करने का मामला राष्ट्रीय जनादेश ने उजागर किया था। इसके बाद लाखों रुपए के एक और फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। इसमें डीपीओ ने बिना शासन की स्वीकृति के ही आदर्श आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए जहां सामग्री खरीद ली वहीं सीडीपीओ पर दबाव बनाकर ब्लाक मुख्यालय तक भी पहुंचवा दी। इस मामले की शिकायत होने पर गुरुवार को होशंगाबाद से संयुक्त संचालक एमएस तोमर जांच करने आए और शिकायतकर्ता पूर्व एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष हेमंत वागद्रे सहित सीडीपीओ और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के बयान दर्ज किए।
एक नजर में पूरा मामला
शासन की योजना के तहत जिले के 54 आदर्श आंगनवाड़ी केंद्रों में प्रति आंगनवाड़ी केंद्र 50-50 हजार रुपए की सामग्री दरी, चटाई, साबून, चम्मच, बर्तन, कुर्सी सहित अन्य आवश्यकता अनुसार सामग्री तदर्थ समिति के माध्यम से खरीदी जाना था। लेकिन डीपीओ डीएस मीणा ने आदर्श आंगनवाड़ी केंद्रों की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं पर दबाव बनाकर और तदर्थ समिति के सदस्यों को नजरअंदाज कर स्वयं ही इटारसी के सप्लायर से 27 लाख रुपए की सामग्री क्रय ली।
बिना आर्डर के खरीदी सामग्री
डीपीओ डीएस मीणा ने बिना शासकीय आदेश के जहां 27 लाख रुपए की सामग्री खरीद कर सीडीपीओ पर दबाव बनाकर सप्लाई कर दी। वहीं कुछ सीडीपीओ द्वारा विरोध करने पर सामग्री को विभाग के स्टोर में पटक दिया गया। इस मामले की शिकायत एनएसयूआई के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष हेमंत वागद्रे द्वारा करने पर आज गुरुवार को संयुक्त संचालक एमएस तोमर बैतूल पहुंचे और सामग्री की जांच की साथ ही शिकायकर्ता श्री वागद्रे के बयान दर्ज किए।
चूना लगाने मास्टर माइंड है मीणा
शासन को किस कदर से चूना लगाना है यह डीपीओ से बेहतर और कौन जान सकता है? श्री मीणा ने सामग्री काण्ड के पूर्व भी शासन को हजारों रुपए का चूना शासकीय वाहन का निजी उपयोग कर लगा चुके हैं। मामला उजागर होने पर श्री मीणा लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। शिकायकर्ता श्री वागद्रे ने बताया कि सामग्री से भरा ट्रक आठनेर पहुंचा वहां पर उन्होंने पूछताछ की तो सप्लायर सामान सहित ट्रेक लेकर भाग खड़ा हुआ था।
रद्दी की टोकरी में सीईओ की जांच
बोलेरो वाहन मामले में डीपीओ का मामला सामने आने पर जिपं सीईओ सौरभ सुमन द्वारा जिपं मुख्य लेखा अधिकारी से जांच करवाकर बयान भी दर्ज कराए थे लेकिन इसके बाद पूरा ही मामला ठण्डे बस्ते में चला गया। तत्कालीन प्रभारी कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन द्वारा इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं करने से डीपीओ का हौसला इतना अधिक बढ़ गया उन्होंने 27 लाख रुपए की बिना शासकीय आदेश के खरीदी कर डाली।
सामग्री का किया निरीक्षण
सामग्री काण्ड की जांच करने आए संयुक्त संचालक एमएस तोमर ने शिकायकर्ता हेमंत वागद्रे से कहा कि उन्होंने बैतूल, आमला पहुंचकर सामग्री का निरीक्षण किया है जो कि बिना शासकीय आदेश के खरीदी गई है। इस मामल में उन्होंने श्री वागद्रे और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सीडीपीओ के भी बयान दर्ज किए हैं। जांच रिपोर्ट आला अफसरों को सौंपने की बात कही है।
कहां-कहां पड़ी हैं सामग्री?
बिना शासकीय आदेश के जिले के 54 आदर्श आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए खरीदी गई सामग्री को आमला, मुलताई, पट्टन, बैतूल रखा गया है। वहीं घोड़ाडोंगरी और सारणी सीडीपीओ को दबाव बनाकर यहां पर सामग्री का आदर्श आंगनवाड़ी केंद्रों में वितरण करा दिया गया है। सामग्री पर ना तो बिल है और ना ही क्वालिटी है। कुल मिलाकर आला अफसरों की आंख में पट्टी बंधी होने से बैतूल को चारागाह बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
- पूर्व प्रदेशाध्यक्ष द्वारा पूछताछ करने पर ट्रक सहित भागा सप्लायर
- जेडी ने बैतूल पहुंचकर दर्ज किए बयान और किया सामग्री का निरीक्षण
बैतूल। आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले को कुछेक अफसर किस कदर चारागाह बनाकर मनमर्जी चला रहे हैं इसका ताजा उदाहरण महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी के कृत्यों को देखकर मिल रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा एक वर्ष तक सारणी के लिए अनुबंधित बोलेरो वाहन को स्वयं के निजी उपयोग करने और भुगतान शासन के खाते से करने का मामला राष्ट्रीय जनादेश ने उजागर किया था। इसके बाद लाखों रुपए के एक और फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। इसमें डीपीओ ने बिना शासन की स्वीकृति के ही आदर्श आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए जहां सामग्री खरीद ली वहीं सीडीपीओ पर दबाव बनाकर ब्लाक मुख्यालय तक भी पहुंचवा दी। इस मामले की शिकायत होने पर गुरुवार को होशंगाबाद से संयुक्त संचालक एमएस तोमर जांच करने आए और शिकायतकर्ता पूर्व एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष हेमंत वागद्रे सहित सीडीपीओ और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के बयान दर्ज किए।
एक नजर में पूरा मामला
शासन की योजना के तहत जिले के 54 आदर्श आंगनवाड़ी केंद्रों में प्रति आंगनवाड़ी केंद्र 50-50 हजार रुपए की सामग्री दरी, चटाई, साबून, चम्मच, बर्तन, कुर्सी सहित अन्य आवश्यकता अनुसार सामग्री तदर्थ समिति के माध्यम से खरीदी जाना था। लेकिन डीपीओ डीएस मीणा ने आदर्श आंगनवाड़ी केंद्रों की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं पर दबाव बनाकर और तदर्थ समिति के सदस्यों को नजरअंदाज कर स्वयं ही इटारसी के सप्लायर से 27 लाख रुपए की सामग्री क्रय ली।
बिना आर्डर के खरीदी सामग्री
डीपीओ डीएस मीणा ने बिना शासकीय आदेश के जहां 27 लाख रुपए की सामग्री खरीद कर सीडीपीओ पर दबाव बनाकर सप्लाई कर दी। वहीं कुछ सीडीपीओ द्वारा विरोध करने पर सामग्री को विभाग के स्टोर में पटक दिया गया। इस मामले की शिकायत एनएसयूआई के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष हेमंत वागद्रे द्वारा करने पर आज गुरुवार को संयुक्त संचालक एमएस तोमर बैतूल पहुंचे और सामग्री की जांच की साथ ही शिकायकर्ता श्री वागद्रे के बयान दर्ज किए।
चूना लगाने मास्टर माइंड है मीणा
शासन को किस कदर से चूना लगाना है यह डीपीओ से बेहतर और कौन जान सकता है? श्री मीणा ने सामग्री काण्ड के पूर्व भी शासन को हजारों रुपए का चूना शासकीय वाहन का निजी उपयोग कर लगा चुके हैं। मामला उजागर होने पर श्री मीणा लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। शिकायकर्ता श्री वागद्रे ने बताया कि सामग्री से भरा ट्रक आठनेर पहुंचा वहां पर उन्होंने पूछताछ की तो सप्लायर सामान सहित ट्रेक लेकर भाग खड़ा हुआ था।
रद्दी की टोकरी में सीईओ की जांच
बोलेरो वाहन मामले में डीपीओ का मामला सामने आने पर जिपं सीईओ सौरभ सुमन द्वारा जिपं मुख्य लेखा अधिकारी से जांच करवाकर बयान भी दर्ज कराए थे लेकिन इसके बाद पूरा ही मामला ठण्डे बस्ते में चला गया। तत्कालीन प्रभारी कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन द्वारा इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं करने से डीपीओ का हौसला इतना अधिक बढ़ गया उन्होंने 27 लाख रुपए की बिना शासकीय आदेश के खरीदी कर डाली।
सामग्री का किया निरीक्षण
सामग्री काण्ड की जांच करने आए संयुक्त संचालक एमएस तोमर ने शिकायकर्ता हेमंत वागद्रे से कहा कि उन्होंने बैतूल, आमला पहुंचकर सामग्री का निरीक्षण किया है जो कि बिना शासकीय आदेश के खरीदी गई है। इस मामल में उन्होंने श्री वागद्रे और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सीडीपीओ के भी बयान दर्ज किए हैं। जांच रिपोर्ट आला अफसरों को सौंपने की बात कही है।
कहां-कहां पड़ी हैं सामग्री?
बिना शासकीय आदेश के जिले के 54 आदर्श आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए खरीदी गई सामग्री को आमला, मुलताई, पट्टन, बैतूल रखा गया है। वहीं घोड़ाडोंगरी और सारणी सीडीपीओ को दबाव बनाकर यहां पर सामग्री का आदर्श आंगनवाड़ी केंद्रों में वितरण करा दिया गया है। सामग्री पर ना तो बिल है और ना ही क्वालिटी है। कुल मिलाकर आला अफसरों की आंख में पट्टी बंधी होने से बैतूल को चारागाह बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
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