TOC NEWS @ अवधेश पुरोहित
भोपाल । मध्यप्रदेश के भाग्यविधाताओं, रणनीतिकारों के साथ-साथ भोपाल की पुलिस और एसटीएस को प्रदेशवासियों के साथ-साथ भोपाल वासियों का शतशत नमन जिन्होंने देशवासियों को बहुत बड़े खतरे से निजात दिलाने में सफलता हासिल की यह खतरे और मुसीबतें क्या हो सकती थी, इसकी तो बस कल्पना ही की जाती है.
इस कल्पना के डर का अहसास लेकिन इसके साथ ही यह भी सवाल उठता है कि जिन आतंकवादियों को इस मध्यप्रदेश की धरती पर जेल से फरार होने के बाद चंद घंटों बाद धराशायी कर दिया उसी सिमी के आतंकवादियों के लिये मध्यप्रदेश के तीन जिले सबसे ज्यादा सुरक्षित माने गये हैं यह जिले हैं खण्डवा, धार और इंदौर और इन जिलों के सबसे खतरनाक होने का कारण है कि यहां की प्रदेश की सीमायें काफी नजदीक हैं जिससे घटना कर फरार होने में उन्हें आसानी महसूस होती है।
यही नहीं इन जिलों में उन्हें संरक्षण देने वालों की भी कमी नहीं है सिमी के मामलों की जांच से जुड़े कुछ पुलिस अधिकारियों के अनुसार धार जिले का पीथमपुर इलाका उनका नया ठिकाना बनता जा रहा है, मजे की बात यह है कि मध्यप्रदेश को स्वर्णिम मध्यप्रदेश की ओर ले जाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सपनों का भी यही पीथमपुर मध्यप्रदेश के विकास की परिकल्पना में यही पीथमपुर उद्योग नगरी भी शामिल है और प्रदेश की औद्योगिक नगरी इंदौर के नजदीक होने के अलावा पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र है यहां खुद की पहचान छुपाकर रहना इनके लिये आसान है,
यही नहीं पिछले कुछ वर्षों में राष्ट्रीय सुरक्षा (एएनआई) एजेंसी ने पिछले दिनों कोच्चि में न्यायालय में सिमी के आतंकवादियों को पेश करते हुए यह खुलासा किया था कि इसी धार जिले में सिमी के आतंकियों ने एक ट्रेनिंग केंद्र में ट्रेनिंग ली थी और इसी दौरान उन्होंने यहां रस्सी पर चलना, मोटरसाइकिल से भागना, आधुनिक हथियारों का प्रशिक्षण लिया था, इस खुलासे के बाद प्रदेश सरकार ने इस रिपोर्ट का क्या किया यह तो वही जाने लेकिन भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल के दौरान २००८ से धार व इंदौर जिले में सिमी की गतिविधियों की सूचना और आईबी के अलर्ट के बाद इंदौर व धार की पुलिस ने गोपनीय कार्यवाही करते हुए पीथमपुर व इंदौर से सिमी के १३ खूंखार आतंकियों को धर दबोचा था उनके पास से सात पिस्तौल, कारतूस कम्प्यूटर के अलावा साम्प्रदायिक तनाव फैलाने वाला आपत्तिजनक साहित्य के अलावा ६० से ज्यादा सिम कार्ड सहित अन्य दस्तावेज जब्त किये थे पीथमपुर के साथ ही इंदौर के माणिकबाग के पास श्यामनगर के एक मकान से उन्हें गिरफ्तार किया गया था उनके साथ मकान मालिक हाजी गफ्फार और हाजी अबरार व मकान दिलाने वाला अकरम को भी गिरफ्तार किया था। दोनों व्यापारियों से भी पूछताछ की गई यहां पदस्थ पूर्व अधिकारी के अनुसार पीथमपुर के कई इलाके नजर में रहते हैं लेकिन यहां की औद्योगिक इकाईयों में काम करने वाले मजदूरों का सही रिकार्ड नहीं होने से पुलिस को सुरक्षा के मामले में कई परेशानियां खड़ी होती हैं
यहां ज्यादातर मजदूर बाहर से आते हैं इसलिये सबकी पहचान कर पाना आसान नहीं होता और इसी का फायदा सिमी से जुड़े लोग उठाते हैं पीथमपुर से महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान की सीमाएं ज्यादा दूरी पर नहीं हैं, करीब तीन महीने पहले सिमी सरगना सफदर नागौरी व उनके साथियों के खिलाफ चल रहे केस में इंदौर जिला कोर्ट ने पीथमपुर पुलिस को पत्र लिखकर गवाहों को पेश करने के निर्देश दिए थे। पीथमपुर से इन आरोपियों को आतंकी गतिविधियों के मामले में घातक हथियार सहित गिरफ्तार किया गया था फिलहाल यह सभी कई मामलों में कर्नाटक की जेल में बंद हैं विशेष सीबीआई के तत्कालीन अपन सत्र न्यायाधीश राजीव कुमार अयाची की कोर्ट में हुई सुनवाई में गवाह पेश नहीं हुए थे इस कारण सुनवाई भी टल गई, आठ साल पहले सिमी के सात खूंखार आतंकी खण्डवा जेल से फरार हो गए थे बाद में उनमें से कईयों को पकड़ लिया गया था,
जेल से फरार हुए कैदियों में पांच खण्डवा एक मुंबई और एक नरङ्क्षसहपुर का था पकड़े गए आतंकियों में सिमी सरगना सफदर नागौरी और उसकी भाई कमरुद्दीन नागौरी भी शामिल था सफदर नागौरी के खिलाफ उज्जैन में भी मामला दर्ज है इसके अलावा समझौता एक्सप्रेस काण्ड और हैदराबाद बम विस्फोट के साथ उनपर ३६ से ज्यादा मामले दर्ज हैं
इन सब घटनाओं से और प्रदेश के तीन जिले खण्डवा धार और इन्दौर का इन सिमी के लोगों का इन जिलों में सक्रिय होना इस बात का प्रमाण है कि सिमी के लोगों के लिए धार जिले का पीथमपुर के औद्योगिक इकाईयों के स्थापित होने और उनमें काम करने वाले मजदूरों का सही रिकार्ड नहीं होने से सिमी के आतंकियों का यह नया ठिकाना बनता जा रहा है इसके साथ ही यह सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि औद्योगिक विकास के नाम पर सिमी के इस तरह के ठिकाने न बन सकें इसके लिये भी पहल की जाना जरूरी है, हालांकि मध्यप्रदेश के इतिहास में अपने किस्म का अलग और सनसनीखेज वारदात में इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इण्डिया सिमी से जुड़े आठ आतंकी दीवाली की रात एक सुरक्षा प्रहरी की हत्या कर भाग निकलने की यह घटना भी प्रदेश के इतिहास में अपने किस्म की अलग सनसनीखेज वारदात है।
भोपाल के केन्द्रीय जेल से हेड कांसटेबल की हत्या कर फरार हुए सिमी के आठ आतंकियों को पुलिस ने कुछ ही घण्टों में मार गिराया, दहशतगर्दों के जेल से भागने की खबर आते ही राजनीति शुरू कर मुख्यमंत्री से गृह मंत्री को बर्खास्त करने की मांग विरोधी नेताओं द्वाराउठाई जाने लगीं मध्यप्रदेश के इतिहास में अपने किस्म की अलग और सनसनीखेज वारदात और उसको दिये गये अंजामों पर सवाल खड़े किये जाने लगे यह भी अपने आपमें राजनीति से परे एक अलग मामला हो लेकिन मामला जो भी हो प्रदेश के इतिहास में यह सनसनीखेज जहां घटना घटित हुई और उसके चंद घंटों बाद सनसनीखेज वारदात को अपने ही तरीके से प्रदेश के जांबाज जवानों द्वारा उसको अंजाम तक पहुंचाने का जो कार्य किया वह भी प्रशंसनीय है और उसकी सराहना की जानी चाहिए। यह अलग बात है कि अब राजनेताओं द्वारा इस मामले को लेकर सियासी फायदे के हिसाब से अपनी-अपनी राजनीति को अपने-अपने ढंग से अंजाम दिया जा रहा है।
लेकिन इसके साथ ही अब औद्योगिक विकास के नाम पर स्थापित होने वाले औद्योगिक क्षेत्रों पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं और लोगों को अब यह चिंता सताने लगी है कि कहीं औद्योगिक विकास के नाम पर स्थापित होने वाली प्रदेश की नई औद्योगिक इकाईयों में काम करने वाले मजदूरों का यदि सही रिकार्ड नहीं होने के कारण पुलिस को जो धार जिले में स्थापित पीथमपुर की उद्योग नगरी में पुलिस को जो परेशानी खड़ी होती है यदि इसी तरह की परेशानियां सामने आती रहीं तो औद्योगिक इकाईयों में काम करने वाले मजदूरों के नाम पर इस तरह की गतिविधियां बढ़ती रहेंगी जो हमारे प्रदेश के लिए घातक साबित हो सकती हैं।
जहाँ एक ओर अभी तक प्रदेश में स्थापित औद्योगिक इकाईयों की चिमनियों से उगल रहे जहरीले धुएं के कारण राज्य में धीरे-धीरे जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण की चपेट में आकर विंध्य क्षेत्र के शहडोल, सीधी, सतना, रीवा और सिंगरौली में पैदा होने वाले बच्चे कई बीमारियां लेकर इस स्वर्णिम मध्यप्रदेश में पैदा हो रहे हैं तो वहीं राज्य की चंबल बेतवा नर्मदा सहित तमाम नदियां प्रदूषित तो हो ही रही हैं ऐसे में यह खबर भी इस प्रदेश के लिये ठीक नहीं है कि औद्योगिक इकाईयों में काम कर रहे मजदूरों का सही रिकार्ड न होने से पुलिस के सामने सिमी के सरगनाओं की पहचान करने में दिक्कतें पैदा होती हैं क्योंकि ज्यादातर मजदूर बाहर से आते हैं इसलिये उनकी पहचान कर पाना आसान नहीं होता और इसी का वह फायदा उठाते हैं
शायद यही वजह है कि खण्डवा और इंदौर के साथ-साथ धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षत्र में सिमी के आतंकी खुद की पहचान छुपाकर रहने और अपनी गतिविधियां फैलाने में सफलता प्राप्त कर लेते हैं। हालांकि भोपाल की घटना में जहां एक ओर हमारे पुलिस के जांबाजों ने जिस तरह से इस घटना को अंजाम दिया उनके इस सराहनीय कदम की सराहना होनी चाहिए वह न होकर इस मामले में भी राजनीति चल निकली तो वहीं इस घटना के बाद प्रदेश में पक्ष और विपक्ष से जुड़े राजनेताओं में इस घटना को जोड़कर तरह-तरह की चर्चाएं लोग चटकारे लेकर कर रहे हैं मामला जो भी हो लेकिन इस गंभीर और संवेदनशील मामले में भी लोग राजनीति तलाशने में लगे हुए हैं।
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