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नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद अब मोदी सरकार की निगाह भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों पर है। केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त को इस संबंध में विशेष निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार को कालाधन के मामले में जो रिपोर्ट मिली थी उसमें भारी पैसा उन अफसरों और कर्मचारियों का पास होना बताया गया था जो या तो मलाईदार पोस्ट पर रहे हैं या फिर नौकरी की आड़ में कारोबार करते रहे हैं।
केन्द्र सरकार इस बात से भी नाराज है कि बार - बार सीमा बढ़ाए जाने के बाद भी कई सरकारी कर्मचारियों ने अपनी आय-व्यय का हिसाब नहीं दिया। इसके अलावा जिन्होंने दिया तो वो भी औपचारिक ही साबित हुआ। आंकड़ों का हेरफेर कर सरकार को उल्लू बनाने की कोशिश की गई।
अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं सर्तकता विभाग में ईमानदार और निष्पक्ष अधिकारियों की नियुक्ति करवाई। इसके बाद पिछले सप्ताह करीब तीन घंटे चुनिंदा अधिकारियों के साथ बैठक कर बेईमान अफसरों पर "सर्जिकल स्ट्राइक " का प्लान तैयार किया गया है। इसमें सभी सरकारी कर्मचारी का डाटा एक सर्वर से जोड़ा गया है।
इसमें उसकी सभी पोस्टिंग, परिवार के सदस्यों की स्थिति, वाहन, मकान, प्लाट, कंपनी, यात्राएं, विदेश गमन,शादी आदि कार्यक्रम से लेकर मोबाइल आदि गैजेट तक का कालम है। इसमें परिवार के अलावा दोस्तों और नौकरों तक की जानकारी गोपनीय रूप से जुटाई गई है।
इसके लिए काल डिटेल, आधार कार्ड, बैंक डिटेल , रेल्वे, एयरलाइंस, बच्चों के स्कूल, शादियों में मैरिज गार्डन, सोशल मीडिया, रजिस्ट्री आफिस, वाहन पंजीयन, ज्वेलर्स, बिल्डर्स विभिन्न माध्यमों का इस्तेमाल किया गया है।
सूत्रों के अनुसार बीते साल के आखिर में जो टास्क प्रधानमंत्री ने विभाग को दिया था वह करीब करीब पूरा हो चुका है। इस रिपोर्ट का प्रेजेंटेशन भी पीएम के सामने किया जा चुका है।
अब प्रधानमंत्री कार्यालय से भरी झंडी मिलते ही ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की सीधे गिरफ्तारी सर्तकता विभाग करेगा और उनकी संपत्ति राजसात की जाएगी।
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