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त्रेतायुग की कहानियों में आपने राम-रावण के युद्ध के साथ-साथ लक्ष्मण को जिंदा कर देने वाली संजीवनी बूटी के बारे में तो सुना ही होगा। जिसे सुषेन वैद्द के कहने पर महाबलि हनुमान आकाश मार्ग से होते हुए हिमालय पर्वत गए थे। ये हिनालय पर्वत श्रीलंका में स्थित है। आज हम आपको विस्तार से बताएंगे उस संजीवनी बूटी के बारे में पूरी कहानी जो आज भी सच लगती है। क्योंकि आज भी वो हिमालय पर्वत मौजूद है लेकिन किसी दूसरे नाम से। आइए जानते हैं विस्तार से –
मरते हुए किसी व्यक्ति को किसी व्यक्ति को अगर कोई चीज बचा सकती है तो वो हैं चार बूटियां -मृतसंजीवनी, विशालयाकरणी, सुवर्णकरणी और संधानी बूटियां। ये सभी बूटियां सिर्फ हिमालय पर मिल सकती थीं। हनुमान आकाशमार्ग से चलकर हिमालय पर्वत पहुंचे।
सुषेण ने संजीवनी को चमकीली आभा और विचित्र गंध वाली बूटी बताया था। पहाड़ पर ऐसी कई बूटियां थीं। पहचान न पाने के कारण हनुमानजी पर्वत का एक हिस्सा ही तोड़कर उठा ले गए थे। पहाड़ लेकर युद्धक्षेत्र पहुंचे हनुमान ने पहाड़ वहीं रख दिया। वैद्य ने संजीवनी बूटी को पहचाना और लक्ष्मण का उपचार किया। लक्ष्मण ठीक हो गए और राम ने रावण को युद्ध में पराजित कर दिया।
श्रीलंका के दक्षिण समुद्री किनारे पर कई ऐसी जगहें हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वहां हनुमान के लाए पहाड़ के टुकड़े गिरे थे। इनमें रूमास्सला हिल सबसे अहम है। खास बात ये कि जहां-जहां ये टुकड़े गिरे, वहां-वहां की जलवायु और मिट्टी बदल गई।
उस पहाड़ को आज सारी दुनिया रूमास्सला पर्वत के नाम से जानती है। श्रीलंका की खूबसूरत जगहों में से एक उनावटाना बीच इसी पर्वत के पास है। उनावटाना का मतलब ही है आसमान से गिरा।
वैज्ञानिकों की मानें तो संजीवनी बूटी भी इसी तरह की वनस्पति है जिसका उपयोग चिकित्सा कार्य के लिए किया जाता है। संजीवनी मुरझाकर पपड़ी जैसी हो जाती है लेकिन इसके बावजूद यह जीवित रहती है और बाद में थोड़ी सी ही नमी मिलने पर यह फिर खिल जाती है।
यह पत्थरों तथा शुष्क सतह पर भी उग सकती है। इसके इसी गुण के कारण वैज्ञानिक इस बात की गहराई से जांच कर रहे है कि आखिर संजीवनी में ऐसा कौन सा जीन पाया जाता है जो इसे अन्य पौधों से अलग और विशेष दर्जा प्रदान करता है। रूमास्सला के बाद जो जगह सबसे अहम है वो है रीतिगाला।
रीतिगाला की खासियत यह है कि आज भी जो जड़ी-बूटियां उगती हैं, वो आसपास के इलाके से बिल्कुल अलग हैं। दूसरी जगह है हाकागाला।
हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी असली पहचान भी काफी कठिन है क्योंकि जंगलों में इसके समान ही अनेक ऐसे पौधे और वनस्पतियां उगती है जिनसे आसानी से धोखा खाया जा सकता है। मगर कहा जाता है कि चार इंच के आकार वाली संजीवनी लंबाई में बढ़ने के बजाए सतह पर फैलती है।
श्रीलंका के नुवारा एलिया शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर हाकागाला गार्डन में हनुमान के लाए पहाड़ का दूसरा बडा़ हिस्सा गिरा।
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