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वो रिश्ता जिसे सोनिया ने कभी नहीं स्वीकार.
आज हम बात करने जा रहे है भारत की सबसे ताकतवर महिला शासक की . जिसके हाथ में प्रत्यक्ष सत्ता भले ही न हो लेकिन ये एक पार्टी की सर्वेसर्वा हैं . भारतीय राजनीति में सोनिया गाँधी के बारे में बहुत से अनसुलझे पहलू है . कांग्रेस पार्टी सोनिया के बारे मी जो भी बताते आई है .
वो समय-समय पर गलत साबित हुई है . चाहे बात हो उनके असली नाम की या फिर उनके डिग्री की . लेकिन आज हम आपको सोनिया गाँधी का एक ऐसा सच बताने जा रहे है . जिसके बारे में शायद ही आपको पता हो . बता दें कि राजीव और माधवराव सिंधिया दोनों ही सोनिया के घनिष्ठ मित्र थे . दरअसल माधवराव और सोनिया की दोस्ती राजीव-सोनिया की शादी से पहले से थी .
कहा जाता है कि सोनिया और माधवराव का रिश्ता अक्सर कैमरे की नजरो से बचनें में नाकाम रहा . दोनों छुप-छुप कर रेस्टोरेंट जाया करतें थे . ये रिश्ता ना तो कैमरा के नजरो से बच सका और न ही देश से . माधवराव सिंधिया एक राजशाही परिवार से थे और पारिवारिक परम्परा थी कि सिंधिया वंश की शादी किसी राजशाही परिवार में ही होती थी . शायद यहीं वजह थी जो इन्होने कभी अपनें रिश्ते को सार्वजनिक नहीं किया .
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बताया जाता है कि 1982 में एक रात लगभग दो बजे माधवराव की कार का एक्सीडेंट आईआईटी दिल्ली के गेट के सामने हुआ और उस समय कार में सोनिया भी थीं . दोनों को बहुत चोटें आई . आईआईटी के एक छात्र ने उनकी मदद कर उन्हें कार से बाहर निकाला और ऑटो रिक्शा में सोनिया को इंदिरा गाँधी के यहाँ भेजा गया क्योंकि अस्पताल जाने पर कई तरह के प्रश्न हो सकते थे
जबकि माधवराव सिन्धिया अपनी टूटी टाँग लिये अकेले अस्पताल गये . कहा जाता है कि उस दिन दोनो शराब के नशे में थे . बाद में दोनो के रिश्तो में दरार आई और माधवराव सोनिया के आलोचक बन गये . 2001 में माधवराव की एक विमान दुर्घटना में मौत के साथ ही दोनों के रिश्तो की कहानी भी खत्म हो गयी .
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स्पेनिश लेखक जेवियर मोरी की किताब “एल साड़ी रोजो” जिसका अंग्रेजी अनुवाद “दी रेड साड़ी” है यह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के जीवन पर आधारित हैं . कांग्रेस के विरोध के कारण भारत में किताब लगभग नौ वर्षों से प्रतिबंधित है . 2008 में किताब का पहला संस्करण स्पेन में छपा था . सत्ता परिवर्तन के बाद अब ये किताब भारत में भी प्रकाशित हो रही है .
लेखक जेवियर मोरी का कहना है कि किताब सोनिया की छवि को नुकसान पहुंचा सकती है . इसलिए यूपीए के कार्यकाल में उन्हें प्रकाशन से रोका गया जबकि कांग्रेस का कहना है कि लेखक ने कारोबारी कारणों से उस समय किताब का प्रकाशन नहीं किया . अब उन्हें फायदा दिख रहा है इसलिए वे किताब का प्रकाशन कर रहे हैं , कांग्रेस के इस विरोध के कारण प्रकाशन से पहले ही किताब चर्चा में आ चुकी है। आखिर किताब में ऐसा क्या है? जिस पर कांग्रेस को आपत्ति है?
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