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भोपाल. 2011 के बहुचर्चित शहला मसूद हत्याकांड में विशेष सीबीआई अदालत ने मामले की मास्टरमाइंड जाहिदा परवेज समेत 4 लोगों को शनिवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जबकि सरकारी गवाह बने आरोपी को क्षमादान दे दिया। स्पेशल सीबीआई कोर्ट के जज बी. के. पालोदा ने भोपाल की आरटीआई कार्यकर्ता शहला की हत्या के करीब साढ़े 5 साल पुराने मामले में जाहिदा के साथ उसकी सहेली सबा फारकी, भाड़े के हत्यारों का इंतजाम करने वाले शाकिब अली उर्फ 'डेंजर' और भाड़े के कातिल ताबिश को धारा 302 (हत्या), 120 (बी) (आपराधिक साजिश) और अन्य संबद्ध धाराओं के तहत दोषी करार दिया। 5 आरोपियों में शामिल इरफान को अदालत ने क्षमादान दे दिया। सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक अतुल कुमार ने बताया कि जाहिदा ने शहला हत्याकांड की साजिश को सौतिया डाह के चलते अन्य आरोपियों की मदद से अमली जामा पहनाया क्योंकि शहला की नजदीकियां भोपाल के तत्कालीन बीजेपी विधायक ध्रुवनारायण सिंह से लगातार बढ़ती जा रही थी।
शेहला मसूद हत्याकांड में सीबीआई की इंदौर स्थित स्पेशल कोर्ट ने आज फैसला सुना दिया। दोषी जाहिदा परवेज, सबा फारुकी, क्रिमिनल शाकिब डेंजर और शूटर ताबिश को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। एक अन्य आरोपी इरफान को जुर्म कबूलने करने और जांच में मदद करने के लिए बरी कर दिया गया। बता दें कि 6 साल चले इस केस में 137 तारीखों पर सुनवाई हुई। इस दौरान CBI ने 83 गवाह पेश किए थे।शेहला RTI एक्टिविस्ट थीं। उनका भोपाल में 2011 में मर्डर हुआ था। शेहला(38)घर से ऑफिस जाने के लिए निकली थीं। जैसे ही वे कार में बैठीं,उन्हें गोली मार दी गई।
फैसला आने के बाद शेहला के पिता ने कहा,’मैं फैसले का सम्मान करता हूं। अब मेरी बेटी तो वापस नहीं आएगी। मुझे और कुछ नहीं कहना।’ पड़ोसियों ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। शेहला RTI एक्टिविस्ट थीं। इसी से जुड़ा एनजीओ चलाती थीं। शेहला ने 200 से ज्यादा आरटीआई अर्जियां दायर की थीं। वे अण्णा हजारे के इंडिया अगेन्स्ट करप्शन मूवमेंट से जुड़ी थीं।शेहला एन्वायर्नमेंटलिस्ट थीं और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी चलाती थीं। उनके पिता सुल्तान मसूद रिटायर्ड गवर्नमेंट ऑफिसर हैं।शनिवार सुबह करीब 11 बजे पुलिस सबसे पहले इरफान को लेकर अदालत पहुंची थी।
ये लोग कोर्ट के बाहर बेंच पर बैठ गए। इनमें से किसी ने मीडिया से कोई बात नहीं की।दोपहर 12 बजे के करीब जाहिदा परवेज के भी परिजन कोर्ट पहुंचे। यहां भीड़ देख पुलिस ने उन्हें सुरक्षित बिठाया।शाकिब डेंजर और और ताबिश को भी कोर्ट लाया गया।पुलिस दोपहर 12.25 बजे मुख्य आरोपी जाहिदा परवेज और सबा फारुकी को लेकर कोर्ट पहुंची। सजा सुनाने के बाद जाहिदा परवेज ने मीडिया से कहा,”कोर्ट ने बिना किसी सबूत के मुझे दोषी ठहरा दिया।’किसी मुलजिम को सेशन कोर्ट पर यकीन नहीं करना चाहिए। ऐसा लगता है कि कोर्ट ने सीबीआई के प्रेशर में ये फैसला दिया है।
सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक शेहला मर्डर केस में दोषी करार दी गई जाहिदा परवेज पूर्व एमएलए ध्रुवनारायण सिंह के लिए इतनी दीवानी थी कि उसने ध्रुव और शेहला की नजदीकियों से आहत होकर इस मर्डर को अंजाम दिया।शुरुआती जांच में ध्रुवनारायण सिंह से भी पूछताछ की गई। उनका पॉलीग्राफ टेस्ट भी हुआ,लेकिन जांच में ध्रुव के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। सीबीआई ने उन्हें क्लीन चिट दे दी।जाहिदा के बार-बार मना करने के बाद भी ध्रुव जब शेहला से अलग नहीं हुए तो जाहिदा ने तय कर लिया था कि वो शेहला को खत्म कर देगी।
इसका जिक्र जाहिदा की डायरी में भी है।जाहिदा ने शाकिब डेंजर को शेहला की हत्या का अपना इरादा बताया। शाकिब ने कानपुर के इरफान और ताबिश से संपर्क कर हत्या का सौदा तय किया।शाकिब ने ही इरफान और ताबिश को शेहला की हत्या के लिए पल्सर बाइक औैर देशी कट्टा मुहैया कराया। साथ ही दो दिन तक शेहला के घर की रैकी भी करवाई।शेहला को मारने की पहली कोशिश 14 अगस्त 2011 को हुई,लेकिन शेहला को गोली मारने पहुंचे इरफान और ताबिश बिना गोली चलाए ही लौट आए।16 अगस्त 2011 को शेहला अपने घर से ऑफिस जाने के लिए जैसे ही कार में सवार हुई,उसे इरफान और ताबिश ने 315 बोर के देशी कट्टे से गोली मार दी।गोली सीधे शेहला की कनपटी पर लगी।
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शेहला ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।शुरुआती जांच में भोपाल पुलिस को इस मर्डर केस में कोई सबूत नहीं मिले। मामला बढ़ा तो जांच सीबीआई को सौंप दी गई।छह महीने तक अलग-अलग प्वॉइंट्स पर जांच करने के बाद 28 फरवरी 2012 को इस केस में पहली गिरफ्तारी हुई जाहिदा परवेज की।जाहिदा ने बताया उसने शेहला की हत्या के लिए शाकिब से शूटर बुलवाए थे। शाकिब को भी इसी दिन गिरफ्तार किया गया।पूछताछ में जाहिदा ने बताया कि इस हत्या की साजिश उसने सबा फारुकी के साथ मिलकर रची थी। सबा जाहिदा की कंपनी में इम्प्लॉई थी और उसकी दोस्त भी थी।2 मार्च को सीबीआई ने सबा को भी गिरफ्तार कर लिया।
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शाकिब से हुई पूछताछ के बाद सीबीआई ने 9 मार्च 2012 को इरफान को कानपुर से गिरफ्तार कर लिया। उसी दिन ताबिश को भी भोपाल में गिरफ्तार कर लिया गया।जाहिदा और अन्य आरोपियों से हुई पूछताछ के बाद सीबीआई ने हत्याकांड में एक के बाद एक कड़ियां जोड़ना शुरू किया। वो बाइक और देशी कट्टा भी बरामद करने का दावा किया जिससे शेहला की हत्या की गई थी। 25 मई 2012 को सीबीआई ने 4400 पेज की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी। 21 जुलाई 2012 को सीबीआई कोर्ट में आरोपियों पर आरोप तय किए गए।
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