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होशंगाबाद से भाजपा नेता की सिफारिश पर रविवार को काम कराने के सिलसिले में मिलने पहुंचे एक व्यक्ति ने श्योपुर कलेक्टर अभिजीत अग्रवाल को 5 लाख रुपए की रिश्वत मिठाई के डिब्बे में दी| डिब्बा खोलने के बाद कलेक्टर चौंक गए, उन्होंने उस व्यक्ति को बुलवाया और फटकार लगाई|
रविवार को कलेक्टर ने संबंधित के खिलाफ मामला दर्ज कराने की बात कही, लेकिन बाद में कलेक्टर सिफारिश करने वाले और रिश्वत देने वाले की पहचान छिपाने के पक्ष में उतर आए हैं। कलेक्टर ने यहां तक कहा कि पहचान उजागर होने से रिश्वत देने वाली की बदनामी होगी। ऐसे में अब कलेक्टर खुद सवालों के घेरे में आ गए हैं।
रिश्वत देने वाले की पहचान का खुलासा नहीं करने से कलेक्टर के इस रुख पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं| कुछ दिनों पहले ही डिंडोरी की कलेक्टर रहते हुए आईएएस छवि भारद्वाज ने रिश्वत देने के मामले में सीएमओ श्यामसुंदर शर्मा को जेल पहुंचा दिया था| वहीं श्योपुर कलेक्टर ने रिश्वत देने वाले को इतनी आसानी से बख्श दिया| कलेक्टर की यह कार्रवाई जहां कई सवाल खड़े कर रहा है वहीं रिश्वत का खेल खेलकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वालों के हौसले बुलंद करता है|
यहां बता दें कि जब व्यक्ति कलेक्टर को रिश्वत देने गया था, उस दिन रविवार था और कलेक्टर छुट्टी के दिन कलेक्टर कार्यालय में बैठे थे। रिश्वत देने वाले व्यक्ति कलेक्टर से काम के सिलसिले में मिला था, जिस पर कलेक्टर ने काम पूरा होने का भरोसा दिया। इसके बाद उसने एक डिब्बा निकालकर कलेक्टर के सामने रख दिया और चलता बना। बाद में जब डिब्बा खोला तो नए नोट भरे थे। डिब्बे में रखे नोटों पर पास में खड़े चपरासी की भी नजर पड़ी। इसके बाद कलेक्टर ने चपरासी की ओर देखा और तत्काल संबंधित व्यक्ति को बुलाने को कहा। बाद में कलेक्टर ने उसकी फटकार लगाई। कलेक्टर ने डांटते हुए उसे रिश्वत देने के आरोप में जेल भेजने की बात कही। इस बात से वह घबरा गया औरमाफी मांगने लगा। इसके बादउन्होंने माफीनामा लिखवाकरउसे छोड़ दिया।
जब कलेक्टर से पूछा गया कि यह रिश्वत देने का मामला है और नए नोटों से रिश्वत दी गई। इसमें अपराध बनता है। तब कलेक्टर ने बचाव करते हुए कहा कि छोडि़ए अब हो गया। उसने लिखित में माफी मांग ली। क्या फायदा किसी की बदनामी होगी। जब उनसे पूछा गया कि सिफारिश किसने की थी, तो कलेक्टर ने कहा कि सिफारिश करने वाले ने थोड़ी बोला कि रिश्वत लेकर जाना। इधर खबर है कि श्योपुर मामले में आयकर विभाग भी संज्ञान ले सकता है। क्योंकि इन दिनों बैंकों से 2400 हजार रुपए निकालने की सीमा है। ऐेसे में रिश्वत में पांच लाख देने के लिए नए नोटों को लेकर पूछताछ हो सकती है।
होशंगाबाद से श्योपुर पहुंचे थे अग्रवाल 2010 बैच के अधिकारी अभिजीत अग्रवाल की श्योपुर में कलेक्टर के रूप में पहली पदस्थापना है। खास बात यह है कि वे इससे पहले होशंगाबाद में जिला पंचायत सीईओ पदस्थ थे। ऐसे में पूरे मामले पर सवाल यह उठता है कि जिस व्यक्ति ने सिफारिश की थीए उससे कलेक्टर की घनिष्ठता है। रिश्वत के मामले में एफआईआर दर्ज नहीं कराने को लेकर कलेक्टर सवालों के घेरे में हैं।
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