झाबुआ। संजय जैन की रिपोर्ट // TOC NEWS
- अनुराग चौधरी -झाबुआ प्रभारी कलेक्टर तथा जिला पंचायत सीईओ
- -स्पष्टीकरण माँगा जायेगा
पीआरओ ने सूची अपडेट करने के आदेश का पालन क्यों नहीं किया.,इसे मैं दिखवाता हु। कलेक्टर ने उनसे बैठक में तय समय के तहत यह कार्य करने के लिए सख्त निर्देश भी दिए थे। निर्देशो का पालन नहीं किये जाने पर उनसे स्पष्टीकरण माँगा जायेगा।
......अनुराग चौधरी -प्रभारी कलेक्टर तथा जिला पंचायत सीईओ
झाबुआ जिला जनसंपर्क कार्यालय में वर्ष 2014 से पत्रकारों की सूची तो नहीं बदली, लेकिन जिले के तीन कलेक्टर जरूर बदल गए है। जिले के शहरी के साथ नगरीय एवं ग्रामीण कस्बो में रहकर कई पत्रकार जिला ब्यूरो बनकर विभिन्न समाचार- पत्रों का संचालन करते है।
उनके अनुसार उनकी ई-मेल आईडी पर जिला जनसंपर्क कार्यालय-पीआरओ से समाचार नहीं आते है,क्योकि वे जिला मुख्यालय पर आकर नियमित पीआरओ से मिलकर उनकी चापलूसी करने नहीं जाते है। उनको शायद मक्खन-पॉलिस करने वाले ही पसंद है।
जिला जनसंपर्क अधिकारी से जिसने दोस्ती बना ली, उस पर पीआरओ पूरी तरह से मेहरबान। उसे ऑफिशियल के साथ अनऑफिशियल जानकारी भी मिल जाती है, लेकिन जिससे पीआरओ ने दोस्ती नहीं बनाई, वह उसे पूरी तरह से नेगलेट कर देती है। ऐसे पत्रकारों की ई-मेल आईडी पर समाचार भी नहीं भेजती है, जबकि नियमानुसार उनको जिले के सभी पत्रकारों की ई-मेल आईडी पर समाचार भेजना चाहिए।
मैं चाहे यह करू या मैं चाहे वो करू, मेरी मर्जी....
मैं चाहे यह करू या मैं चाहे वो करू,मेरी मर्जी....वाले गीत की तर्ज पर पीआरओ के कार्य की कार्यशैली है। यह इस बात से बिलकुल स्पष्ट है कि अभी हाल ही मे
- अनुराधा गहरवाल-झाबुआ जिला जनसंपर्क -उप संचालक
नवागत कलेक्टर आशीष सक्सेना ने पत्रकारों की त्रैमासिक बैठक में पीआरओ को सख्त यह निर्देश दिए थे कि सप्ताह भर के भीतर जिले की साइट पर सभी पत्रकारों की नई सूची उनके द्वारा दिए गए पहचान पत्र एवं नियुक्तिपत्र के आधार पर तुरंत अपलोड करे,जो सूची वर्ष 2014 के बाद बदली ही नहीं गयी है। इस पर पीआरओ पिछली कई त्रैमासिक बैठको की तर्ज पर ही इस बैठक में भी जी सर,कहकर सिर्फ बला टाल दी है। मजेदार बात तो यह है आज तक सूची तो नहीं बदली ,लेकिन जिले के तीन कलेक्टर जरूर बदल गए हैै। मेरी मर्जी ...का जीवंत उदाहरण यह है कि बैठक के लगभग 1 माह बाद भी नई लेटेस्ट प्रतिनिधियो की सूची आज दिनांक तक उनकी हठधर्मिता के चलते उन्होंने साइट पर अपलोड ही नहीं की है।
मुख्य एवं महत्वपूर्ण पदों पर आसीन बड़े अधिकारियो के भी नाम और फोन नबर साइट पर नहीं अपलोड
मजेदार बात तो यह भी है कि जिले के मुख्य एवं महत्वपूर्ण पदों पर आसीन बड़े अधिकारियो के इस जिले से स्थानांतरण हो जाने के बाद भी पुराने अधिकारियो के नाम और फोन नबर ही साइट पर अपलोड है इस सूची में मुख्यत: पुलिस अधीक्षक, अति.पुलिस अधीक्षक,जिला आबकारी अधिकारी,झाबुआ एसडीम,अधीक्षण यंत्री विद्युत् विभाग,कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी विभाग एवं जिला शिक्षा अधिकारी आदि शामिल है। उपरोक्त के आलावा कई पुराने अधिकारियो के नाम और फोन नबर की ही सूची साइट पर अपलोड है जबकि सूची में कुछ अधिकारी तो निलंबित कर दिए गए है और कुछ का स्थानान्तरण हो गया है या तो फिर पदोनन्ति हो गयी है। लेकिन एक बात तो पीआरओ की अच्छी यह है कि जिले के मुखिया कलेक्टर के बदलते ही नवागत कलेक्टर को उनकी चापलूसी करने तथा मक्खन-मलाई लगाने के उदेश्य से उनका नाम सूची में तुरंत साइट पर अपलोड कर देती है।
- -आप भिजवाये नई सूची आप पीआरओ से कहकर प्रेस वाहनों के रजिस्ट्रेशन की नई सूची भिजवाये। सूची आने के बाद मैं देखता हु कि जिले में दौड़ रहे ऐसे प्रेस वाहनों के मालिको पर इसमें क्या कारवाई कर सकते है....? ...महेशचंद जैन-पुलिस अधीक्षक झाबुआ
काफी पुरानी प्रेस वाहन की सूची भी अपलोड
गौरतलब है कि पीआरओ की हठधर्मिता के चलते 26 अगस्त 2014 के बाद से प्रेस वाहनों का रजिस्ट्रेशन भी नहीं बदला गया है । वाहन रजिस्ट्रेशन संबंधी जानकारी पुलिस अधीक्षक झाबुआ कार्यालय को भी आधी अधूरी ही भेजी गयी थी,जो आज तक चली आ रही है। जिसकी वजह से जिले में काफी तादात में फर्जी प्रेस वाहन बड़ी आसानी से देखे जा रहे है। इसमें कुछ वाहन तो ऐसे है जिनका दूर-दूर स ेकिसी प्रेस से वास्ता ही नहीं है और कुछ वाहन तो ऐसे दौड़ रहे है जिन्होंने वाहन पर प्रेस लिखने के उद्देश्य से कुछ समय अख़बार चलाया और अपना उल्लू सीधा होते ही अख़बार बंद कर दिया है। पुलिस अधीक्षक महेशचंद जैन ने त्रैमासिक बैठक में पत्रकारों से किये वादेनुसार जिले के पुलिस थानों की नई सूची तुरंत ही अपडेट करवाकर मेल द्वारा सभी प्रतिनिधियो को तय समय से पहले भेज दी थी। अब पुलिस अधीक्षक कार्यालय द्वारा तुरंत पीआरओ को सख्त निर्देश देकर प्रेस वाहनों के रजिस्ट्रेशन की नई सूची पुलिस अधीक्षक झाबुआ कार्यालय में मंगवाने की सख्त आवश्यकता भी है।
कलेक्टर क्यों है मौन....?
गौरतलब है कि उपरोक्त सख्त निर्देश पीआरओ को पत्रकारों की त्रैमासिक बैठक में नवागत कलेक्टर आशीष सक्सेना ने खुद दिए थे,तो फिर पीआरओ की मनमर्जी और उनके अडिय़ल रवैये को साफ देखने के बाद भी कलेक्टर उनकी इस हठधर्मिता के सामने बौने क्यों नजर आ रहे है...? इस सवाल का जवाब तो शायद गर्त के पेट में ही छिपा हुआ है ........
गलती पीआरओ की और माफ़ी मांगी मंत्री विश्वास सारंग ने
गत दिनों इसी समाचार पत्र ने पीआरओ की कार्यशैली के बारे में सतत समाचार प्रकाशित कर प्रशासन को उनकी मनमर्जी और हठ धर्मिता के बारे में अवगत भी किया जा चूका है। सतत समाचार प्रकाशित होने के बाद भी पीआरओ की कार्यशैली में कोई परिवर्तन तो नहीं आया और उलटे प्रेस पर फ़ोन कर समाचारो को लेकर शिकायत करने पहुच गयी और तो और कुछ मीडिया साथियो को यह कहा कि मैं इन समाचारो के खिलाफ नोटिस जारी करूगी।
गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस के दिन उनकी हठधर्मिता का उदहारण तो साफ और सार्वजानिक तौर से तब सामने आया जब कवरेज करने मीडिया कर्मी आयोजन स्थल पर पहुचे। आयोजन स्थल पर मीडिया कर्मियों के लिए बैठने के लिए उचित और कवरेज करने स्थान ही नहीं रखा गया था। कुछ मीडिया साथियो के साथ बदसलूकी भी की गयी। इस पर सभी मीडियाकर्मी लामबंध होकर गणतंत्र दिवस के आयोजन पर आये मंत्री विश्वास सारंग को अपना विरोध दर्ज कराने हेतु आयोजन का बहिष्कार कर,वहा से रवाना हो गए। जब इस बात की भनक मंत्री को लगी तो उन्होंने आज शुक्रवार सबसे पहले अपनी सारे तय कार्यक्रमो को छोड़कर कलेक्टर कार्यालय के सामने उद्यान में लामबंध हुए सभी मीडियाकर्मियों से मुलाकात की। उचित स्थान की व्यवस्था ना होने और मीडियाकर्मियों के साथ हुई बदसलूकी पर खेद प्रकट करते हुए सभी मीडियाकर्मियों से सार्वजानिक रूप से माफ़ी मांगी। साथ ही कलेक्टर को निर्देशित किया कि जिम्मेदारों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करे। प्रभारी मंत्री और प्रभारी कलेक्टर अनुराग चौधरी ने आगे से अब मीडिया कर्मियों को हर समारोह में सुविधा की कोई कमी नहीं होगी,ऐसा ठोस आश्वाशन भी दिया। कलेक्टर ने कहा 3 दिन के भीतर पत्रकारों के साथ बैठकर एक सकारात्मक रणनीति बनाएंगे।
.................अगला भाग कल के अंक में ..............
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