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लखनऊ. यूपी में विधानसभा चुनाव से पूर्व से समाजवादी पार्टी में घमासान मचा हुआ है। सीएम अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम के खिलाफ ही विद्रोह का बिग्ल फूंक दिया है। यह विवाद देश के सबसे बड़े राजनीतिक घराने में से यादव परिवार की सबसे छोटूी बहू अपर्णा यादव की राजनीतिक एंट्री से भी जुड़ा हुआ है।
मुलायम की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा को लखनऊ कैंट से पार्टी उम्मीदवार घोषित किया गया था। समाजवादी पार्टी में चल रही हालिया राजनीतिक अदावत की एक वजह ‘छोटी बहू’ की महत्वकांक्षा को भी समझा जा रहा है।
एसपी ने पिछले साल ही लखनऊ कैंट सीट से अपर्णा को पार्टी उम्मीदवार बना दिया था। इसके बाद से अपर्णा सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय हैं। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव कैंप ने अपर्णा को एक ‘अनावश्यक एंट्री’ के तौर पर लिया। सीएम पद और मूलायम के उत्तराधिकारी पर अखिलेश की ‘नैसर्गिक’ दावेदारी को इससे खतरा भी समझा जाने लगा।
सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव साधना गुप्ता के परिवार के राजनीति में हस्तक्षेप के खिलाफ रहे हैं। यही वजह रही कि 2014 में प्रतीक यादव के राजनीतिक करियर की शुरुआत में भी अखिलेश ने अपनी टांग अड़ाई थी। इन्हीं सब वजहों को लेकर अखिलेश ने पार्टी पर अपनी पकड़ के लिए मुलायम के सामने कठिन शर्तें रख दी हैं।
इसी राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई में अखिलेश यादव लगातार मुलायम के खिलाफ कदम उठा रहे हैं। ऐसे में जब उन्होंने अपने चाचा शिवपावल को यूपी के मामलों से अलग किया तो मुलायम चुनाव आयोग के दर पर पहुंच गए। मुलायम ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर अखिलेश की निर्वाचन को चुनौती दी है।
मुलायम के दावे को काउंटर करने के लिए उनके दूसरे भाई और सांसद राम गोपाल यादव भी चुनाव आयोग पहुंचे। उन्होंने चुनाव आयोग के सामने कुछ साक्ष्य पेश किए। उन्होंने ‘नैशनल एग्जिक्युटिव’ के कुछ विडियो टेप भी चुनाव आयोग के सामने रखे हैं। राम गोपाल यादव ने चुनाव आयोग को तर्क दिया है कि पार्टी के चुनाव चिह्न साइकल पर अखिलेश का दावा सही है।
सूत्रों का कहना है कि दो मुद्दों पर अखिलेश बिल्कुल समझौते के मूड में नहीं है। एक तो उन्होंने यूपी के मामलों से शिवपाल को हटा पार्टी पर पूरी तरह से अपने कब्जे के संकेत दे दिए हैँ। दूसरा वह पार्टी में अमर सिंह की एंट्री को किसी भी कीमत पर स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।
मंगलवार को अखिलेश और मुलायम के बीच शांति स्थापित करने के लिए दोनों के मुलाकात की भी खबर आई। हालांकि राम गोपाव यादव किसी भी तरह के समझौते की बात से इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी अखिलेश की अध्यक्षता में ही विधानसभा चुनाव लड़ेगी। चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि मुलायम ने मंगलवार को लिखित ऐप्लिकेशन सौंपा है। अब चुनाव आयोग इलेक्शन सिंबल ऑर्डर 1968 के तहत दोनों पक्षों के दस्तावेजों की जांच करेगा।
लखनऊ. यूपी में विधानसभा चुनाव से पूर्व से समाजवादी पार्टी में घमासान मचा हुआ है। सीएम अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम के खिलाफ ही विद्रोह का बिग्ल फूंक दिया है। यह विवाद देश के सबसे बड़े राजनीतिक घराने में से यादव परिवार की सबसे छोटूी बहू अपर्णा यादव की राजनीतिक एंट्री से भी जुड़ा हुआ है।
मुलायम की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा को लखनऊ कैंट से पार्टी उम्मीदवार घोषित किया गया था। समाजवादी पार्टी में चल रही हालिया राजनीतिक अदावत की एक वजह ‘छोटी बहू’ की महत्वकांक्षा को भी समझा जा रहा है।
एसपी ने पिछले साल ही लखनऊ कैंट सीट से अपर्णा को पार्टी उम्मीदवार बना दिया था। इसके बाद से अपर्णा सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय हैं। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव कैंप ने अपर्णा को एक ‘अनावश्यक एंट्री’ के तौर पर लिया। सीएम पद और मूलायम के उत्तराधिकारी पर अखिलेश की ‘नैसर्गिक’ दावेदारी को इससे खतरा भी समझा जाने लगा।
सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव साधना गुप्ता के परिवार के राजनीति में हस्तक्षेप के खिलाफ रहे हैं। यही वजह रही कि 2014 में प्रतीक यादव के राजनीतिक करियर की शुरुआत में भी अखिलेश ने अपनी टांग अड़ाई थी। इन्हीं सब वजहों को लेकर अखिलेश ने पार्टी पर अपनी पकड़ के लिए मुलायम के सामने कठिन शर्तें रख दी हैं।
इसी राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई में अखिलेश यादव लगातार मुलायम के खिलाफ कदम उठा रहे हैं। ऐसे में जब उन्होंने अपने चाचा शिवपावल को यूपी के मामलों से अलग किया तो मुलायम चुनाव आयोग के दर पर पहुंच गए। मुलायम ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर अखिलेश की निर्वाचन को चुनौती दी है।
मुलायम के दावे को काउंटर करने के लिए उनके दूसरे भाई और सांसद राम गोपाल यादव भी चुनाव आयोग पहुंचे। उन्होंने चुनाव आयोग के सामने कुछ साक्ष्य पेश किए। उन्होंने ‘नैशनल एग्जिक्युटिव’ के कुछ विडियो टेप भी चुनाव आयोग के सामने रखे हैं। राम गोपाल यादव ने चुनाव आयोग को तर्क दिया है कि पार्टी के चुनाव चिह्न साइकल पर अखिलेश का दावा सही है।
सूत्रों का कहना है कि दो मुद्दों पर अखिलेश बिल्कुल समझौते के मूड में नहीं है। एक तो उन्होंने यूपी के मामलों से शिवपाल को हटा पार्टी पर पूरी तरह से अपने कब्जे के संकेत दे दिए हैँ। दूसरा वह पार्टी में अमर सिंह की एंट्री को किसी भी कीमत पर स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।
मंगलवार को अखिलेश और मुलायम के बीच शांति स्थापित करने के लिए दोनों के मुलाकात की भी खबर आई। हालांकि राम गोपाव यादव किसी भी तरह के समझौते की बात से इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी अखिलेश की अध्यक्षता में ही विधानसभा चुनाव लड़ेगी। चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि मुलायम ने मंगलवार को लिखित ऐप्लिकेशन सौंपा है। अब चुनाव आयोग इलेक्शन सिंबल ऑर्डर 1968 के तहत दोनों पक्षों के दस्तावेजों की जांच करेगा।
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