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नई दिल्ली: संसद का बजट सत्र मंगलवार से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण के साथ शुरू हो गया। उन्होंने संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित किया। इसके बाद सरकार द्वारा आर्थिक सर्वे पेश किया गया। हालांकि पूरे देश की नजरें सिर्फ वित्त मंत्री अरुण जेटली की पोटली पर टिकी हैं। नोटबंदी की मार से आहत देश को उम्मीद है कि वे अपने चौथे बजट में बुधवार को कुछ ऐसी घोषणाएं करेंगे जो जनता के चेहरों पर मुस्कान ला सकेंगी। विशेषज्ञों का भी मानना है कि पांच राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए सरकार इस बार लोकलुभावन बजट ला सकती है। इसमें आयकर दरों में कटौती और गरीबों को निश्चित आय देने पर जोर रहेगा।
बजट में यह संभव-
-आम आदमी को टैक्स छूट की सौगात मिल सकती है।
-आईटी एक्ट के सेक्शन 87ए में छूट का दायरा बढ़ सकता है। अभी तक इसमें 5000 रुपए तक की अतिरिक्त टैक्स छूट मिलती है।
-होम लोन के ब्याज पर इनकम टैक्स छूट बढ़ने की संभावनाएं हैं और 50,000 रुपए की अतिरिक्त छूट मुमकिन है।
-सिगरेट और तंबाकू उत्पादों के रेट बढ़ेंगे।
-देशी स्टील को बढ़ावा देने के लिए एंटी डंंप्रिंग ड्यूटी बढ़ाई जा सकती है।
-रोजगार सृजन से जुड़ी बड़ी योजनाओं का ऐलान किया जा सकता है।
-मौजूदा योजनाओं के तहत फंड का आवंटन बढ़ सकता है।
-ग्रामीण क्षेत्रों की योजनाओं में ज्यादा खर्च बढ़ाया जा सकता है।
-मनरेगा और कृषि सिंचाई योजना में ज्यादा ध्यान रहेगा।
-नोटबंदी के बाद प्रॉपट्री मार्केट में आई मंदी को दूर करने के लिए सरकार कुछ सुधारात्मक कदम उठा सकती है।
-राजीव गांधी इक्विटी सेविंग्स स्कीम में बदलाव हो सकते हैं। निवेशकों की सालाना आय की सीमा बढ़ सकती है और 50,000 रुपए की मौजूदा सीमा बढ़ाई जा सकती है।
92 साल पुरानी परंपरा टूटी-
विलियम एक्वर्थ कमेटी के सुझावों पर अमल करते हुए ब्रिटिश शासक साल 1924 के आम बजट से अलग कर रेल बजट पेश करना शुरू किया। जेटली इस बार रेल बजट को अलग से पेश की जाने वाली 92 साल पुरानी परंपरा को खत्म करेंगे।
नुकसान
-आशंका जताई जा रही है कि बजट में सर्विस टैक्स की दरों में बढ़ोतरी का ऐलान किया जा सकता है।
-सर्विस टैक्स की दर बढ़ाकर 16 फीसदी की जा सकती है।
-जीएसटी की छवि बजट में दिखेगी, जिससे आम आदमी पर बोझ बढेÞगा।
इंडस्ट्री की आस
-बजट से उद्योग जगत को काफी उम्मीदें हैं, उन्हें यकीन है कि बजट में मेक इन इंडिया को बूस्टर मिलेगा।
-कच्चे माल का आयात सस्ता हो सकता है।
-मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने की कोशिश रहेगी।
-एक्सपोर्ट सेक्टर पर फोकस व इसके लिए ब्याज दर वापसी स्कीम जारी रह सकती है। वहीं इनकम टैक्स छूट की अवधि बढ़ सकती है।
आर्थिक सर्वे एक नजर में
अनुमान...
-वैश्विक स्तर पर मांग में उछाल से तेज आर्थिक वृद्धि होगी और भारत की अर्थव्यवस्था दुनियाभर के मुकाबले तेजी से बढ़ेगी।
-आर्थिक वृद्धि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 6.75% से 7.5% के बीच रहेगी।
-जीएसटी तथा अन्य बुनियादी सुधारों से वृद्धि दर 8 से 10 प्रतिशत पर पहुंचेगी। हालांकि जीएसटी से वित्तीय लाभ मिलने में समय लगेगा।
-नोटबंदी का वृद्धि दर पर 0.25 से 0.50 प्रतिशत का असर होगा, लेकिन दीर्घावधि में लाभ होगा।
-मौजूदा वित्त वर्ष 2016-17 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 6.5 प्रतिशत पर आएगी। पिछले वित्त वर्ष में यह 7.6 प्रतिशत थी।
-उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर मौजूदा वित्त वर्ष में महंगाई औसतन 5 प्रतिशत पर ठहरी हुई है।
सुझाव-
-निजीकरण: फर्टिलाइजर, सिविल एविएशन और बैंकिंग के निजीकरण की जरूरत बताई गई है। सरकार ने सिफारिश मानी तो कृभको, एयर इंडिया, पवन हंस जैसी कंपनियों का प्राइवेटाइजेशन हो सकता है।
-यूबीआई: सर्वे में आर्थिक गतिशीलता और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की वकालत की गई है। यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) पर गंभीरता से विचार की जरूरत बताई गई है।
-करों में कटौती: व्यक्तिगत आयकर की दरों में तत्काल कटौती की जाए। ऊंची आमदनी वाले सभी व्यक्तियों को धीरे-धीरे आयकर दायरे में लाकर आयकर का दायरा बढ़ाना। शुल्क में कमी: जमीन जायदाद पर स्टाम्प (पंजीकरण) शुल्क में कटौती हो।
बजट में ये हो सकते हैं ऐलान-
- 50 हजार रुपए से ज्यादा के कैश ट्रांजेक्शन पर लग सकता है टैक्स।
- इसके तहत 50 हजार रुपए से ज्यादा के विदड्रॉअल या कैश ट्रांजैक्शन पर 1 से 2% टैक्स
लग सकता है।
- सरकार पांच या दस लाख रुपए से ज्यादा के कैश ट्रांजेक्शन पर बैन भी लगा सकती है।
- आठ लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है टैक्स फ्री।
- इनकम टैक्स में छूट 2.5 लाख से बढ़कर तीन लाख रुपए सालाना हो सकती है।
- होम लोन के इंटरेस्ट पर अभी दो लाख की छूट मिलती है। इसे बढ़ाकर 2.5 लाख कर सकते हैं।
- बजट में सर्विस टैक्स को मौजूदा 15% से बढ़ाकर 16-18% करने का ऐलान हो सकता है।
- सर्विस टैक्स बढ़ता है, तो बजट के बाद रेस्त्रां में खाने का बिल, फोन बिल, हवाई सफर समेत तमाम सेवाएं महंगी हो सकती हैं।
- सरकार बजट में रेल सफर पर छूट या रियायतों के लिए आधार नंबर को जरूरी बनाने पर विचार कर रही है।
- कॉरपोरेट टैक्स में दो फीसदी की कमी की जा सकती है। इससे मौजूदा दर 30% से घटकर 28% रह सकती है।
- रेल बजट में सीधे रेल किराए में इजाफा होने के आसार कम हैं।
विकास दर 6.75-7.50% रहने का अनुमान-
बजट सत्र के पहले मंगलवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आर्थिक सर्वे पेश किया। आर्थिक सर्वे 2017-18 में देश की विकास दर 6.75-7.50 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों की समीक्षा की गई है।
- जेटली ने नोटबंदी के बाद कृषि सेक्टर पर हुए असर की समीक्षा की। नोटबंदी के बाद किसानों को बीज और उर्वरक खरीदने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। कृषि में अच्छी वृद्धि हो रही है।
- 2017-2018 में श्रम और रोजगार में ज्यादा नौकरियां पैदा होंगी।
- कच्चे तेल के दाम 65 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाते हैं, तो हमारी अर्थव्यवस्था पर उल्टा असर पड़ सकता है।
- आर्थिक सर्वे में बताया कि नोटबंदी के बाद पैदा हुई नकदी की समस्या अप्रैल 2017 तक खत्म हो जाएगी।
- रियल एस्टेट सेक्टर के दाम और गिरने का अनुमान जताया है। नोटबंदी के बाद रियल स्टेट बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
नई दिल्ली: संसद का बजट सत्र मंगलवार से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण के साथ शुरू हो गया। उन्होंने संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित किया। इसके बाद सरकार द्वारा आर्थिक सर्वे पेश किया गया। हालांकि पूरे देश की नजरें सिर्फ वित्त मंत्री अरुण जेटली की पोटली पर टिकी हैं। नोटबंदी की मार से आहत देश को उम्मीद है कि वे अपने चौथे बजट में बुधवार को कुछ ऐसी घोषणाएं करेंगे जो जनता के चेहरों पर मुस्कान ला सकेंगी। विशेषज्ञों का भी मानना है कि पांच राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए सरकार इस बार लोकलुभावन बजट ला सकती है। इसमें आयकर दरों में कटौती और गरीबों को निश्चित आय देने पर जोर रहेगा।
बजट में यह संभव-
-आम आदमी को टैक्स छूट की सौगात मिल सकती है।
-आईटी एक्ट के सेक्शन 87ए में छूट का दायरा बढ़ सकता है। अभी तक इसमें 5000 रुपए तक की अतिरिक्त टैक्स छूट मिलती है।
-होम लोन के ब्याज पर इनकम टैक्स छूट बढ़ने की संभावनाएं हैं और 50,000 रुपए की अतिरिक्त छूट मुमकिन है।
-सिगरेट और तंबाकू उत्पादों के रेट बढ़ेंगे।
-देशी स्टील को बढ़ावा देने के लिए एंटी डंंप्रिंग ड्यूटी बढ़ाई जा सकती है।
-रोजगार सृजन से जुड़ी बड़ी योजनाओं का ऐलान किया जा सकता है।
-मौजूदा योजनाओं के तहत फंड का आवंटन बढ़ सकता है।
-ग्रामीण क्षेत्रों की योजनाओं में ज्यादा खर्च बढ़ाया जा सकता है।
-मनरेगा और कृषि सिंचाई योजना में ज्यादा ध्यान रहेगा।
-नोटबंदी के बाद प्रॉपट्री मार्केट में आई मंदी को दूर करने के लिए सरकार कुछ सुधारात्मक कदम उठा सकती है।
-राजीव गांधी इक्विटी सेविंग्स स्कीम में बदलाव हो सकते हैं। निवेशकों की सालाना आय की सीमा बढ़ सकती है और 50,000 रुपए की मौजूदा सीमा बढ़ाई जा सकती है।
92 साल पुरानी परंपरा टूटी-
विलियम एक्वर्थ कमेटी के सुझावों पर अमल करते हुए ब्रिटिश शासक साल 1924 के आम बजट से अलग कर रेल बजट पेश करना शुरू किया। जेटली इस बार रेल बजट को अलग से पेश की जाने वाली 92 साल पुरानी परंपरा को खत्म करेंगे।
नुकसान
-आशंका जताई जा रही है कि बजट में सर्विस टैक्स की दरों में बढ़ोतरी का ऐलान किया जा सकता है।
-सर्विस टैक्स की दर बढ़ाकर 16 फीसदी की जा सकती है।
-जीएसटी की छवि बजट में दिखेगी, जिससे आम आदमी पर बोझ बढेÞगा।
इंडस्ट्री की आस
-बजट से उद्योग जगत को काफी उम्मीदें हैं, उन्हें यकीन है कि बजट में मेक इन इंडिया को बूस्टर मिलेगा।
-कच्चे माल का आयात सस्ता हो सकता है।
-मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने की कोशिश रहेगी।
-एक्सपोर्ट सेक्टर पर फोकस व इसके लिए ब्याज दर वापसी स्कीम जारी रह सकती है। वहीं इनकम टैक्स छूट की अवधि बढ़ सकती है।
आर्थिक सर्वे एक नजर में
अनुमान...
-वैश्विक स्तर पर मांग में उछाल से तेज आर्थिक वृद्धि होगी और भारत की अर्थव्यवस्था दुनियाभर के मुकाबले तेजी से बढ़ेगी।
-आर्थिक वृद्धि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 6.75% से 7.5% के बीच रहेगी।
-जीएसटी तथा अन्य बुनियादी सुधारों से वृद्धि दर 8 से 10 प्रतिशत पर पहुंचेगी। हालांकि जीएसटी से वित्तीय लाभ मिलने में समय लगेगा।
-नोटबंदी का वृद्धि दर पर 0.25 से 0.50 प्रतिशत का असर होगा, लेकिन दीर्घावधि में लाभ होगा।
-मौजूदा वित्त वर्ष 2016-17 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 6.5 प्रतिशत पर आएगी। पिछले वित्त वर्ष में यह 7.6 प्रतिशत थी।
-उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर मौजूदा वित्त वर्ष में महंगाई औसतन 5 प्रतिशत पर ठहरी हुई है।
सुझाव-
-निजीकरण: फर्टिलाइजर, सिविल एविएशन और बैंकिंग के निजीकरण की जरूरत बताई गई है। सरकार ने सिफारिश मानी तो कृभको, एयर इंडिया, पवन हंस जैसी कंपनियों का प्राइवेटाइजेशन हो सकता है।
-यूबीआई: सर्वे में आर्थिक गतिशीलता और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की वकालत की गई है। यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) पर गंभीरता से विचार की जरूरत बताई गई है।
-करों में कटौती: व्यक्तिगत आयकर की दरों में तत्काल कटौती की जाए। ऊंची आमदनी वाले सभी व्यक्तियों को धीरे-धीरे आयकर दायरे में लाकर आयकर का दायरा बढ़ाना। शुल्क में कमी: जमीन जायदाद पर स्टाम्प (पंजीकरण) शुल्क में कटौती हो।
बजट में ये हो सकते हैं ऐलान-
- 50 हजार रुपए से ज्यादा के कैश ट्रांजेक्शन पर लग सकता है टैक्स।
- इसके तहत 50 हजार रुपए से ज्यादा के विदड्रॉअल या कैश ट्रांजैक्शन पर 1 से 2% टैक्स
लग सकता है।
- सरकार पांच या दस लाख रुपए से ज्यादा के कैश ट्रांजेक्शन पर बैन भी लगा सकती है।
- आठ लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है टैक्स फ्री।
- इनकम टैक्स में छूट 2.5 लाख से बढ़कर तीन लाख रुपए सालाना हो सकती है।
- होम लोन के इंटरेस्ट पर अभी दो लाख की छूट मिलती है। इसे बढ़ाकर 2.5 लाख कर सकते हैं।
- बजट में सर्विस टैक्स को मौजूदा 15% से बढ़ाकर 16-18% करने का ऐलान हो सकता है।
- सर्विस टैक्स बढ़ता है, तो बजट के बाद रेस्त्रां में खाने का बिल, फोन बिल, हवाई सफर समेत तमाम सेवाएं महंगी हो सकती हैं।
- सरकार बजट में रेल सफर पर छूट या रियायतों के लिए आधार नंबर को जरूरी बनाने पर विचार कर रही है।
- कॉरपोरेट टैक्स में दो फीसदी की कमी की जा सकती है। इससे मौजूदा दर 30% से घटकर 28% रह सकती है।
- रेल बजट में सीधे रेल किराए में इजाफा होने के आसार कम हैं।
विकास दर 6.75-7.50% रहने का अनुमान-
बजट सत्र के पहले मंगलवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आर्थिक सर्वे पेश किया। आर्थिक सर्वे 2017-18 में देश की विकास दर 6.75-7.50 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों की समीक्षा की गई है।
- जेटली ने नोटबंदी के बाद कृषि सेक्टर पर हुए असर की समीक्षा की। नोटबंदी के बाद किसानों को बीज और उर्वरक खरीदने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। कृषि में अच्छी वृद्धि हो रही है।
- 2017-2018 में श्रम और रोजगार में ज्यादा नौकरियां पैदा होंगी।
- कच्चे तेल के दाम 65 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाते हैं, तो हमारी अर्थव्यवस्था पर उल्टा असर पड़ सकता है।
- आर्थिक सर्वे में बताया कि नोटबंदी के बाद पैदा हुई नकदी की समस्या अप्रैल 2017 तक खत्म हो जाएगी।
- रियल एस्टेट सेक्टर के दाम और गिरने का अनुमान जताया है। नोटबंदी के बाद रियल स्टेट बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
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