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नई दिल्ली। महाराष्ट्र में अगले कुछ दिनों में बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल हो सकती है। राज्य में नए राजनीतिक समीकरण बनने के संकेत मिलने लगे हैं। शिवसेना राज्य और बीएमसी में सत्ता हासिल करने के लिए कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिला सकती है।
शुक्रवार को कांग्रेस ने शिवसेना के सामने शर्त रखी है कि पहले वह बीजेपी सरकार से बाहर निकले, उसके बाद ही कांग्रेस उसका समर्थन करेगी। अगर ऐसा हुआ, तो न सिर्फ बीएमसी पर उसका राज बरकरार रहेगा, बल्कि राज्य की फडणवीस सरकार को भी जाना पड़ सकता है। स्थानीय निकाय चुनाव की घोषणा के बाद से ही शिवसेना और बीजेपी के बीच गला-काट स्पर्धा चल रही है। चुनाव प्रचार के दौरान इनमें खूब नोकझोंक हुई।
चुनाव में बीजेपी को मिली सफलता से आहत शिवसेना उसे सबक सिखाना चाहती है। इससे नए राजनीतिक समीकरण बनने के संकेत मिलने लगे हैं। बीएमसी चुनाव नतीजे आने के बाद शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा था कि राज्य में मुख्यमंत्री भी शिवसेना का होगा और बीएमसी में मेयर भी शिवसेना का होगा। उनके इस बयान को तब ज्यादा तजवज्जो नहीं दी गई, लेकिन अगले दिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने बयान दिया कि शिवसेना को समर्थन चाहिए, तो पहले उसे सरकार से हटना होगा।
उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गईं।
उसे चार निर्दलियों का समर्थन मिल रहा है, क्योंकि इन चार में से तीन तो शिवसेना के बागी रहे हैं। कांग्रेस के 31 और एनसीपी के 9 नगरसेवक हैं। इन्हें मिलाकर 130 का आंकड़ा बनता है। बहुमत के लिए 114 नगरेसवकों का समर्थन चाहिए। दूसरी ओर, बीजेपी के 82 कॉर्पोरेटर चुनकर आए हैं। चंद निर्दलियों के अलावा उसे किसी और का समर्थन नहीं मिल रहा है। ऐसे में, बीएमसी की सत्ता उसकी पहुंच से दूर ही लग रही है। राज्य सरकार के लिए महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए भी शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी साथ आ सकते हैं।
इससे बीजेपी की फडणवीस संकट में आ जाएगी। बताया जा रहा है कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने युक्ति सुझाई है। विधानसभा में शिवसेना के 63, कांग्रेस के 42 और एनसीपी के 41 विधायक हैं। इन तीनों के मिलने से यह संख्या 146 हो जाएगी। सरकार बनाने के लिए 144 विधायकों का समर्थन चाहिए। फिलहाल बीजेपी के 122 और शिवसेना के 63 विधायकों के योग से फडणवीस सरकार चल रही है
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में अगले कुछ दिनों में बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल हो सकती है। राज्य में नए राजनीतिक समीकरण बनने के संकेत मिलने लगे हैं। शिवसेना राज्य और बीएमसी में सत्ता हासिल करने के लिए कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिला सकती है।
शुक्रवार को कांग्रेस ने शिवसेना के सामने शर्त रखी है कि पहले वह बीजेपी सरकार से बाहर निकले, उसके बाद ही कांग्रेस उसका समर्थन करेगी। अगर ऐसा हुआ, तो न सिर्फ बीएमसी पर उसका राज बरकरार रहेगा, बल्कि राज्य की फडणवीस सरकार को भी जाना पड़ सकता है। स्थानीय निकाय चुनाव की घोषणा के बाद से ही शिवसेना और बीजेपी के बीच गला-काट स्पर्धा चल रही है। चुनाव प्रचार के दौरान इनमें खूब नोकझोंक हुई।
चुनाव में बीजेपी को मिली सफलता से आहत शिवसेना उसे सबक सिखाना चाहती है। इससे नए राजनीतिक समीकरण बनने के संकेत मिलने लगे हैं। बीएमसी चुनाव नतीजे आने के बाद शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा था कि राज्य में मुख्यमंत्री भी शिवसेना का होगा और बीएमसी में मेयर भी शिवसेना का होगा। उनके इस बयान को तब ज्यादा तजवज्जो नहीं दी गई, लेकिन अगले दिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने बयान दिया कि शिवसेना को समर्थन चाहिए, तो पहले उसे सरकार से हटना होगा।
उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गईं।
उसे चार निर्दलियों का समर्थन मिल रहा है, क्योंकि इन चार में से तीन तो शिवसेना के बागी रहे हैं। कांग्रेस के 31 और एनसीपी के 9 नगरसेवक हैं। इन्हें मिलाकर 130 का आंकड़ा बनता है। बहुमत के लिए 114 नगरेसवकों का समर्थन चाहिए। दूसरी ओर, बीजेपी के 82 कॉर्पोरेटर चुनकर आए हैं। चंद निर्दलियों के अलावा उसे किसी और का समर्थन नहीं मिल रहा है। ऐसे में, बीएमसी की सत्ता उसकी पहुंच से दूर ही लग रही है। राज्य सरकार के लिए महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए भी शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी साथ आ सकते हैं।
इससे बीजेपी की फडणवीस संकट में आ जाएगी। बताया जा रहा है कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने युक्ति सुझाई है। विधानसभा में शिवसेना के 63, कांग्रेस के 42 और एनसीपी के 41 विधायक हैं। इन तीनों के मिलने से यह संख्या 146 हो जाएगी। सरकार बनाने के लिए 144 विधायकों का समर्थन चाहिए। फिलहाल बीजेपी के 122 और शिवसेना के 63 विधायकों के योग से फडणवीस सरकार चल रही है
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